Monday 29 January 2018

चिकनगुनया,लैब में बनाई गई बीमारी,कॅप्टन अजीत वाडकायिल

रविवार, 5 अगस्त, 2012

यह पोस्ट निम्न लिंक  पोस्ट का हिन्दी अनुवाद है:-
http://ajitvadakayil.blogspot.in/2012/08/chikungunya-disease-created-in-lab-capt.html

http://ajitvadakayil.blogspot.in/


चिकनगुनया वाइरस  (CHIKV) एक अमरीकी लैब में बना है और यह इंसानों में अएडेस आइग्यप्टि आंड अएडेस आल्बॉपिक्टस मच्छरों द्वारा फैलता है.

नीचे: यह मच्छर मुख्य रूप से दिन के समय में काटता है - जब आसमान में बादल होते हैं.
 
इसका कोई भगवान की प्रतिरक्षा या इलाज नहीं है --लालची दवाई कंपनियाँ और उनके घूसख़ोर डॉक्टरों  के दावों को ना माने.

इसमें और भी अन्य उपभेद
होते हैं:-
- रॉस रिवर फीवर
- डेंगू फीवर
- ब्रेक बोन फीवर
- ओ न्योंग न्योंग फीवर आदि

पर ये चिकनगुनया जितने घातक नही होते.

1981 में अमरीका ने क्यूबा के फिदेल कास्त्रो को सबक सिखाने के लिए इन उपभेदों का इस्तेमाल किया.

एक बार जब यह वाइरस जिंदा जीव के सेल में घुस जाता है तब यह खुद से ही अपनी संख्या बड़ाता है और मेजबान सेल की चयापचय प्रक्रियाओं(metabolic processes) को चलाने लगता है . चिकनगुनिया आल्फा-वाइरस परिवार का है.


ऊष्मायन अवधि या इंक्युबेशन पीरियड आम तौर पर 1-12 दिन का होती है। इसका मतलब यह है कि मच्छर के काटने के बाद रोग 1 से 12 दिनों के पश्चात प्रकट होता है। 


चिकनगुनिया का निदान:
1. वायरस आइसोलेशन टेस्ट के द्वारा या
2.आईजीएम के एंटीबॉडी परीक्षण तथा वायरस जीन संरचनाओं के आनुवांशिक पहचान(जेनेटिक आइडेंटिफिकेशन) के द्वारा किया जाता है. 


 सी या ई1 जीनोम का मिलना या 'आंटिबॉडी की अधिक मात्रा' चिकनगुनया वाइरस का पॉज़िटिव परिणाम देती है . चिकनगुनिया के लक्षणों में बुखार, ठंड लगना, मतली, सिरदर्द और आर्तराईटीस(जोड़ दर्द) शामिल हैं।

इस बीमारी के कारण अत्यधिक हड्डी के जोड़ों में दर्द पुराने नागरिकों को खत्म करने में करीब दो साल लगते हैं और कई मामलों में वे कभी ठीक नहीं होते. पुराने लोगों को शौचालय के लिए रेंगकर जाना पड़ता है और खुद से खाना खाने को भी नहीं हो पाता.  पैर के दर्द के कारण आप ड्राइविंग व्हील नहीं पकड़ सकते या जूते नहीं पहेन सकते।

कुछ लोगों को धड़ और आंग में दाने आते हैं जो लाल रंग के होते हैं और दबाने के बावजूद गायब नहीं होते.
 

इसका फीवर सचमुच में आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को नष्ट कर देता है. वायरस बूड़े लोगों के लिए एक बड़ा खतरा है। यह पक्षाघात, गुर्दा और लिवर विकार और मस्तिष्क संबंधी समस्याएं पैदा कर सकता है। बीमारी लंबे समय तक  होने से सोचने की शक्ति में गिरावट आता है. 

चिकनगुनिया आपके सिस्टम को थोड़ा-थोड़ा करके तब तक खाता है जब तक कि यह पूरी तरह से मानव शरीर के सभी कामकाजी अंगों को ख़त्म ना कर दे.
 
अमरीकी जैविक हथियार(biological weapons) कार्यक्रम आधिकारिक रूप से यहूदी अमेरिकी राष्ट्रपति 'फ्रैंकलिन रूजवेल्ट' के आदेशों पर 1 943 के वसंत में शुरू किया गाया. परमाणु बम की तुलना में एक जैविक हथियार अधिक प्रभावी हो सकता है. चूंकि यह बीमारी अमरीकी प्रयोगशाला मेंबनाई गई है, इसलिए इसका कोई इलाज नहीं है। अमेरिकी सेना केमिकल कॉर्प्स के 'रिसर्च आंड इंजिनियरिंग डिवीज़न'  के तत्वावधान में अमेरिकी जैव-हथियार सुविधा मैरीलैंड के कैम्प डेट्रिक में स्थित थी।

 
अमरीकियों ने फोर्ट टेरी में जैव-युद्ध सुविधाओं को भी बनाए रखा.. स्टोरेज डंप 'पाइन ब्लफ आर्सेनल' में था. 1969 में, राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने अमेरिका के जैव हथियार कार्यक्रम के सभी आक्रामक पहलुओं को समाप्त कर दिया। यह राष्ट्रपति निक्सन था जिसने वियतनाम में एजेंट ऑरेंज केमिकल युद्ध पे रोक लगाई थी-इसके बावजूद वे रोथसचाइल्ड नियंत्रित मीडीया में बदनाम किए जाते हैं..

 
स्त्री मच्छर ही खून को चूस्ती है क्योंकि उसे अंडे देने लिए खून के प्रोटीन की आवश्यकता होती है. महिला 'एडीज मच्छर' अंडे देने के लिए एक उपयुक्त जगह की खोज करती है और आमतौर पे स्थिर पानी इस काम आते हैं.. पुरुष मच्छर आमतौर पर अमृत पौधे पर ही फ़ीड करते हैं। चिकुनगुनया वाले मच्छर आमतौर पे दिन में ही काटते हैं जब भारत में बारिश का मौसम होता है और धूप ना निकली हो. मलेरिया के मच्छर रात को काटते हैं.


यह मच्छर शरीर की गंध,कार्बन डाइऑक्साइड या गर्मी की ओर आकर्षित होता है. इसको छलावरण(कैमोफ़लाज़) करें.

यह बीमारी (जैसे एड्स) एक प्राकृतिक बीमारी नहीं है बल्कि इसे  अमरीकी लैब में  बनाया गया है...इसका एकमात्र "निवारक" समाधान यह है कि एक आनुवंशिक रूप से संशोधित 'पुरुष मच्छर' का उत्पादन करना जो स्त्री मच्छर के साथ प्रजनन करके कमज़ोर या शून्य सन्तान पैदा करे. हालांकि यह एक बड़ा खतरा है, और इसलिए बुद्धिमान लोगों द्वारा किया जाना चाहिए ..एक अन्य समाधान महिला मच्छर की एक ही ध्वनि आवृत्ति उत्पन्न करना है जो कि प्रतिकारक अनुनाद(रिपल्सिव रेज़ोनेन्स) है।


चूंकि इस रोग को प्रयोगशाला में बनाया गया था,तभी यह बताया गया है कि जब बीमारीफैलने लगती है, तब ईसाई मिशनरी चिकित्सा शिविरों की स्थापना करते हैं और आशाहीन पीड़ितों को जीसस का नाम लेकर झूठे इलाज करते हैं--यह जॉश्वा प्रॉजेक्ट पार्ट-2 है.


एक प्लेटलेट की औसत उम्र सामान्यतः केवल 8 दिन होती है। यदि प्लेटलेट्स की संख्या बहुत कम है, तो अत्यधिक खून बह सकता है। हालांकि, यदि प्लेटलेट्स की संख्या बहुत अधिक है, तो खून में क्लॉट बन सकता हैं ,जो रक्त वाहिकाओं(वेसल्स) को बाधित कर सकता है और स्ट्रोक, म्योकार्डिअल अवरोधन, फुफ्फुसीय अवरोध या शरीर के अन्य हिस्सों में रक्त वाहिकाओं की रुकावट जैसी समस्याएं हो सकती हैं.

एक स्वस्थ व्यक्ति में सामान्य प्लेटलेट गिनती रक्त के प्रति  160,000 μएल (माइक्रोलाइट्रर) से अधिक होती है।
 
चिकनगुनिया बहुत कम रक्त प्लेटलेट गिनती का कारण बनता है।

 

आयुर्वेदिक इलाज:- दो पपीते को मिक्सर में डालें और रस निकालें। चिकनगुनिया के लिए स्टेबलाइज़र के रूप में, हरा रस का एक चम्मच 6 घंटे में एक बार दिया जा सकता है जो कि प्लेटलेट संख्या स्थिर करता है.ये जादू की तरह काम करेगा.

कृपा और शांति!


कॅप्टन अजीत वाडकायिल

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