Friday 26 January 2018


गोत्र प्रणाली, खप नियम, वाई गुणसूत्र(Y chromosome), डीएनए, आनुवंशिक जन्म विकार-कॅप्टन  अजीत वाडकायिल


बुधवार, नवेंबर 21, 2012

यह पोस्ट इस लिंक के पोस्ट का हिन्दी अनुवाद  है:-
http://ajitvadakayil.blogspot.in/2012/11/gotra-system-khap-rules-y-chromosome.html

 ajitvadakayil.blogspot.in/


सामंजस्य विवाह,हिंदू धर्म विवाह अधिनियम को बदलने के लिए खाप पंचायत की माँग,माइटोकोंड्रियल डीएनए,जेनेटिक नर वंशावली,कॅप्टन अजीत वाडकायिल





करीब साढ़े तीन दशक पहले, मैं मुंबई में नौवहन के लिए अपनी परीक्षा देने गेया था।


जब मैं अपने दोस्त के साथ दोपहर को भोजन के लिए पास के होटल में घूम रहा था, तो हमने सड़क पर पड़ा हुआ धन से भरा एक पर्स देखा ।


चूंकि वह रविवार का दिन था, सड़क काफी सुनसान थी ।बहुत जल्द एक आदमी सामने से आया ,और ऐसा लग रहा था जैसे वह सचमुच अपने पर्स के लिए तनावपूर्ण स्थिति में खोज कर रहा था ,उसकी आँखें जमीन पर इधर-उधर मटक रही थी । तो हमने उससे पूछा "क्या आपने कुछ खो दिया है?"उसने कहा -"हाँ, मेरा पर्स मेरे पैंट की जेब से गायब है ।







 एक बूढा आदमी(एक पुराना पारसी सज्जन) हमारे नज़दीक खड़ा हुआ 
था ।जब उसने यह सुना,वह तुरंत डर के चिल्लाया-"मैंने  नहीं लिया  ,मैंने  नहीं लिया " !

मैंने पर्स निकाला और उसके सही मालिक को दे दिया और फिर हम सभी तीनों ने पारसी बाबजी को समझाने की कोशिश की,कि बटुआ वास्तव में पाया गया है, और किसी ने उनपर चोरी करने का आरोप नहीं लगाया है ।





सच कहूँ तो हम अगले 5 मिनट उस  सनकी  बाबाजी को शांत किया ,कि वह बिल्कुल भी शामिल नहीं है, पर्स मिल गया है और सब ठीक है।
एक मिनट के लिए हमने सोचा कि वह गिरने के बाद मर जाएगा ,और फिर हम पर हत्या का आरोप लगाया जाएगा, अगर हमें  भीड़ ने नहीं मारा  होता।


सड़क पर भावना हो गई होती-'ओ भैया, आपने बाबाजी को क्यों कष्ट दीया? '


ये सब जानते हैं  कि पारसीयों  में आनुवंशिक(जेनेटिक) जन्म समस्याए होती है ,जब पारसी लोग 40 साल पार करते हैं तब वह अपना क्रूर रूप दिखाने लगती हैं।


25 साल की उम्र तक पारसी लड़कियां बहुत प्यारी होती हैं और पुरुषों  फिट और समझदार होते हैं।


इस घटना ने हमें इतनी बुरी तरह से हिलाकर रख दिया कि हमने एक ठंडी बीयर पीने का फैसला किया।


मेरा दोस्त अपनी हसी नही रोक पा रहा था और मेरे से  पूछा कि क्या  बूढ़ा बाबाजी पागल था । मैंने उससे कहा-"यह सब वाई(Y) क्रोमोसाम के कारण हुआ था।


इसे आम आदमी की भाषा में डालें  तो-' एक ही
 गोत्रा की शादी एक छोटे संप्रदाय में '.


पारसी, एक छोटे संप्रदाय के लोग हैं  जो की 950 a.d.(1050 साल पहले)  ईरान से भागकर भारत में शरड़ लिए थे.अँग्रेज़ों के राज में पारसी लोगो की बहुत उन्नति हुई . टाटा और गोदरेज़ ख़ानदान पारसी ख़ानदान हैं,वह लोग अपने ही रिश्तेदारो और अपने ही समाज में शादी करते हैं .अगर कोई पारसी लड़का या लड़की गैर पारसी से शादी करे,तो उस पारसी को  पारसी समाज से बहिष्कार कर दिया जाता है.


3.5 दशक पहले मैंने उनसे क्या कहा था, इसका एक हिस्सा अब इस पोस्ट में दोबारा लिखूंगा .


हाल ही के दिनों में  कॉंग्रेस के  चापलूस   हिंदू मंत्री इटली वाली महारानी सोनिया गाँधी को खुश करने के लिए सारी  हिंदू मान्यताओं(जैसे गोत्रा) को बकवास बता रहे हैं.


ये वही मंत्री संसद में घोषित करेंगे कि गोत्र सिस्टम,ज्योतिष ज्ञान सब अंधविश्वास है,
लेकिन जब यह अपनी बेटियों और बेटों की बात आती है, तो उन्होंने गोत्र और जन्म कुंडली प्रणाली की उपेक्षा नहीं की।


मेरे अपने मामले में, मेरे माता-पिता  ने 77 जन्मकुंडली से मेल किया था,हमारे 78 वां जन्मकुंडली भी मेल खाया(मेरी पत्नी-कितनी भाग्यशाली लड़की !)
मैं गोत्रा प्रणाली के पीछे अद्भुत विज्ञान समझाऊंगा .
डीएनए शोध(Research) में विज्ञान की प्रगति के साथ ही यह प्राचीन वैदिक विज्ञान कुछ दशक पहले ही स्पष्ट हो गया था।

यह आश्चर्यजनक है कि 7000 साल पहले,वैदिक महरिशियो को अपने सभी ज्ञान में Y गुणसूत्र(chromosome) के बारे में पता था .
गुणसूत्र का मतलब:-एक धागे-जैसी संरचना है, जो जीन के रूप में आनुवंशिक(genetic) जानकारी रखती है।


गोत्र प्रणाली को एक व्यक्ति के रूट  Y क्रोमोजोम को बहुत आसानी से पहचानने के लिए बनाया  गया था .
गोत्र का अर्थ संस्कृत भाषा में गोशाला है .गोत्र प्रणाली को ब्राह्मणों के बीच शुरू किया गया था, जो कि समुदाय में परिवारों को वर्गीकृत करने और पहचानने के लिए एक प्रणाली थी।


वेद 7000 साल पहले लिखा लिखे गये थे । गोत्रा सिस्टम सप्तऋषि से लिया गया है,मतलब 7 ऋषि .वह 7 ऋषि हैं:
1)अगस्त्या
2)अंगीरस
3)अत्रि
4)कश्यप
5)भृिगु
6)वशिष्ट
7)भारद्वाज




बहुत बाद क्षत्रिय और वैश्य इस सिस्टम में कूद गए दलितों से ऊपर होने के लिए और उन्होंने गोत्र की आवश्यकताओं को तोड़ दिया । यह ब्रिटिश ईसाई आक्रमणकारी द्वारा प्रेरित था .


यह निचली जाती वाले दलितों के विशाल बहुमत को दूर करने के लिए किया गया था और हिंदू धर्म को तोड़ने के लिए था .


अँग्रेज़ों ने बी.आर. अंबेडकर और पेरियार ई.वी. रामास्वामी जैसे झूठे देवताओं का सहारा लिया , जिन्होंने घोषित किया कि ब्रिटिश शासन आज़ाद हिन्दुस्तान से बेहतर है ..




'एक ही गोत्र वालों में शादी' का मुद्दा हाल ही में एक गर्म विषय है .
कई संगठन जो हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और यू.पी. के खाप पंचायतों को शामिल करते हैं, वे मांग रहे हैं कि 'एक ही गोत्र वालों में शादी' पर प्रतिबंध लगाने के लिए हिंदू विवाह अधिनियम में संशोधन किया जाना चाहिए । गुज्जर, राजपूत, बानीया, ब्राह्मण और पंजाबियों ने 'एक ही गोत्र वालों में शादी'  का विरोध किया है .


भारत में अब 1.3 अरब लोग हैं . उनकी कम होती ताक़त को  बनाए रखने के लिए खाप पंचायत इस समस्या को हिंसक तरीके से उठा रहे हैं .
250 से अधिक गोत्र श्रृंखलाओं को स्पष्ट रूप से सूचीबद्ध किया गया है।
खाप अपने मुराह भैंसों के दृश्यों से गर्व कर रहे हैं . मुर्रा भैंस, हरियाणा का गौरव संकरण(hybridization) का परिणाम है .




 काले रंग में, कभी कभी चेहरे या पैरों पर सफेद निशान के साथ,इन भासों का वज़न 800 किलो होता है .स्त्री भैंस 35 लीटर के आसपास शानदार मात्रा में दूध देते हैं। 


हमारे मुस्लिम और ईसाई मित्र हैं जो उनके गोत्रों को ट्रॅक करते हैं .
वे अपने नए पाया धर्म में कम मनुष्यों पर श्रेष्ठता का दावा करना चाहते हैं, और दोनों धर्म दुनिया को  सबसे महान धर्म दिखाने की कोशिश करते हैं .


यह अब एक सामाजिक मुद्दे से अधिक है .
कुछ बौद्ध दैवी वंश और श्रेष्ठता का दावा करने के लिए,अपने गौथमा गोत्र की फालतू का लेक्चर देते हैं .बुद्धा, सिद्धार्थ के नाम का एक हिंदू था .उनके वाई-क्रोमोसोम रिग-वैदिक ऋषि 'गौथामा राहूगन' से हैं । स्वार्थ उन्हे ऐसे दावे करने के लिए प्रेरित करता है .


बुद्ध 1900 (ईसा पूर्व) में रहते थे । बौध धर्म के लोग  बुद्धा की जन्म और मृत्यु की तारीखों को भी नहीं जानते हैं । उनका दावा है कि बुद्धा का जन्म 563 ईसा पूर्व में हुआ था ,ब्रिटिश इतिहासकारों को ब्रांडी और सिगरेट के नशे में अनप-शनाप ढंग से दिया गया तारीख है . यह दावा किया जाता है कि एक ही गोत्र के लड़के और लड़कियां भाइयों और बहनों की तरह हैं और उनके बीच की शादी आनुवांशिक(जेनेटिक) समस्याओ को जन्म देता है.
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दिल्ली उच्च न्यायालय, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालयों ने  एक ही गोत्र में शादी  के बीच प्रतिबंध की मांग करने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है जिसमें कहा गया है कि संविधान की किताब में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है ।


हिंदू विरोधी सोनिया गाँधी के गैर-विश्वासी हिंदू मंत्रियों ने 'गोत्र' को प्राचीन, अवैज्ञानिक, अप्रासंगिक और पुरुष क्रोधवादी के रूप में संदर्भित किया है!अच्छा ऐसा क्या!?


आधुनिक डीएनए विज्ञान ने हमारे प्राचीन साधुओं के लिखे गये गोत्र सिस्टम को सही ठहराया है .रोत्सचाइल्ड(Rothschild) ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का मालिक था ,जिसने हिन्दुस्तान पे राज किया था .


सफेद ईसाई आक्रमणकारी और रोत्सचाइल्ड ने "विभाजन और शासन" की ख्वाइश में इन ग्रंथों को नष्ट कर दिया है .


आधुनिक डीएनए और आनुवंशिक अनुसंधान ने पुरुष लाइन वाई गुणसूत्र स्थानांतरण(ट्रान्स्फर) की पुष्टि की है ।.व्यापक रूप से प्रचारित मामले में, थॉमस जेफरसन, अमेरिका के तीसरे राष्ट्रपति और एक संस्थापक पिता के मामले में, यह 8 पीढ़ियों के माध्यम से महान व्यय और समय पर साबित  हुआ ।


गोत्र' मूलतः वाई-क्रोमोसोम(गुणसूत्र) की पहचान है .

थॉमस जेफरसन के गुलाम सैली फ्लेमिंग के साथ गुप्त शारीरिक संबंध थे, जिन्होंने उनके बच्चों को जन्म दिया था .




लगभग 200 वर्षों के लिए, अमेरिकी राष्ट्रपति थॉमस जेफरसन के समय से, उनके  चाहने वाले इस बात को नकारते रहे .
 

उन्होंने कहा, नहीं, वह सैली को नही चोद रहा था .लेकिन सैली के वंशज ने दावा किया कि वे अमेरिकी संस्थापक पिता की सही संतान
हैं ।


तो डीएनए विज्ञान बचाव में आया । जैसे डीएनए साइंस ने बिल क्लिंटन को मोनिका लेविंस्की मामले में उनको नंगा कर दिया .
डीएनए वैज्ञानिकों ने एक वैज्ञानिक तथ्य का इस्तेमाल किया है ,जिससे यह पता चलता है की वाई-क्रोमोसोम पिता से बेटे तक बरकरार जाता  हैं .
महिलायें  वाई-क्रोमोसोम की वारिस नहीं होती हैं .


यह सच 7000 साल पहले हमारे वैदिक संतों को मालूम था, इसका  इस्तेमाल पैतृक वंश का पता लगाने के लिए किया जाता है ,और जेफरसन और बिल क्लिंटन जैसे चरित्रहीन लोगों को नंगा करने के लिए किया गया है .




थॉमस जेफरसन के पास अपनी कानूनी पत्नी से जीवित पुत्र नहीं थे .लेकिन उनके चाचा का पुरुष वंश वर्तमान समय में मौजूद है ।


इन व्यक्तियों (थॉमस जेफरसन के चाचा से आठ पीढ़ियों) के आनुवंशिक Y- गुणसूत्र वर्तमान समय में संदर्भ के रूप में इस्तेमाल किया गया था । यह वर्तमान में सेली फ्लेमिंग के रहने वाले (पांच पीढ़ियों से) बरकरार पुरुष रेखा वाले लोगों के साथ तुलना की गई थी  । डीएनए वैज्ञानिकों ने पॉलिमॉर्फ मार्करों का इस्तेमाल किया ताकि वाई-क्रोमोसोम को हॅप्लोटाइप द्वारा अलग किया जा सके ।
(हॅप्लोटाइप का मतलब-गुणसूत्र पर स्थित आनुवंशिक निर्धारकों का एक समूह जो की माता  पिता से विरासत में मिला है।)




उन्होंने पाया कि सैली फ्लेमिंग के बेटे एस्टन की नर लाइन संतान के क्षेत्र में जेफर्सन थे जो थॉमस जेफरसन के चाचा थे।




अन्य भौतिक और जीवित कारकों का उपयोग करते हुए, आनुवंशिकीवादियों ने निष्कर्ष निकाला है कि एस्टन फ्लेमिंग वास्तव में थॉमस जेफरसन और सैली फ्लेमिंग के बेटे थे।


हमारे केरल में  गोत्र प्रणाली नहीं होती। यह केरला का  छोटा इतिहास है ।


4000 ईसा पूर्व में ब्राह्मणों के एक समूह के साथ भगवान परशुराम केरल आए थे , जब सरस्वती नदी सूख गई थी .रास्ते में उनमें से कुछ ने गोवा  के झुआरी नदी के तट पर बसने का फैसला किया . भगवान परशुराम बहुत कट्टर  ब्राह्मण समर्थक थे और उन्हें योद्धा जाति से नफ़रत थी । वह खुद एक योद्धा संत थे ।


केरल में किसी से पूछो "केरल के निर्माता परशुराम ने अपना कुल्हाड़ी क्यों फेंका? "-और अगर वो लड़का या लड़की इस सरल सवाल का जवाब नहीं दे सका तो वह केरली नहीं है । आपको जवाब मिलेगा, "उन्होने अपने कुल्हाड़ी को अरेबीयन समुद्र से भूमि को पुनः प्राप्त करने के लिए फेंका था''




असली बात यह है कि उन्होनें अपनी कुल्हाड़ी का इस्तेमाल करके सही मालिकों की भूमि को छीनकर , केरल के पूरे मैदानों को  'नंबूदिरी ब्राह्मणों' को दान किया .


केरल एक अरबी समुद्र और पश्चिमी घाट पर्वत श्रृंखला के बीच बहुत ही छोटी सी पट्टी है . उन दिनों केरल के दो कबीले थे।
- मलायर-,जो पहाड़ों पर रहते थे (और अभी भी वहां हैं) और  
-थिरायर-जो मैदानी इलाकों में रहते थे और 'समुद्री नेविगेशन' करते थे . 
 थिरायरों  ने  अपनी जमीन खो दी .केरल थियरों के संरक्षक संत ऋषि तेरायर हैं ,महर्षि अगस्ती के पहले शिष्य .


 सप्त ऋषियों का महानतम अगस्ती्य, सबेसे पहले सिद्धों में से एक हैं . उन्होंने लड़ाई के 'कलारी पयत्तु' कला की भी स्थापना  की थी . 


नंबूदिरी ब्राह्मण इस नए अधिग्रहीत भूमि को बिना दान किए खुद के लिए रखना चाहते थे  . उन्होंने भूमि के लिए अपने लालच को बनाए रखने के लिए एक विचित्र सामाजिक सेक्स सिस्टम बनाया .आज वे अपनी खुद की अस्वस्थ स्थिति और संख्याओं की कमी के लिए जिम्मेदार हैं .
नम्बूथिरि का सबसे बड़ा बेटा ही शादी कर सकता था . बाकी सभी भाई आकर्षक महिलाओं के साथ सेक्स करते थे, जिसे "सम्बन्धम" कहा जाता है . नायर  महिलायें  खुद  नम्बूथिरियो के 6 फीट के भीतर नहीं आ सकती थी , नंबूदिरी अछूतता नियमों के मुताबिक ( बिस्तर  को छूट दी गई है भैया!हाहाहा) .


 सभी निचली जाति महिलाओं को सार्वजनिक रूप से अपने स्तनों को उजागर करना पड़ा, तलवार से दोनों स्तनों को खोने के डर के तहत . वेदों के अनुसार यह सब अनुमति नहीं है, क्योंकि महान संत नस्लवादी नहीं 
थे . 


बाद में इस तरह की यौन अराजकता अधिक संगठित हुई .   उनके संतानों का उनके पिता के लिए कोई दावा नहीं था, वे एक अलग क्षत्रिय जाती बन गए, जिन्हें नायर  कहा जाता था . इस कबीले में वर्तमान मेनन, नांबियार, पिल्लई, कुरुप, अदियोडी, असन, एरदी, कामाल, कार्थ, नयनार, नायर, मेनोकी, आचन, थम्पी, वेल्लोडी, पनिकर, यूनिनीथान आदि शामिल थे।
वे हमेशा तलवारें लेते थे और ज़िम्मेदारी के साथ सामंती अधिपतियों का ख्याल रखते थे , लूट का टुकड़ा पाने के लिए . नंबूदिरीस अब केवल अपने घर के उत्पादन के साथ ही यौन संबंध बनाते थे,यानी नायर महिलाओं के साथ . उन्होंने केरल के मातृप्रधान सिस्टम को बनाया .


नायर महिला वास्तव में हाई-फ़ाई थी . जब नायर पुरुष युद्ध के लिए जाते थे, तब सभी नायर महिलायें अपने संबंधित थारवडु या पैतृक बंगले में रहते थी . एक करुणावर अभिभावक होता था, एक वरिष्ठ चाचा जो जो की उन  महिलाओं के साथ रहता था .


नायर जाती में शादी की कोई परंपरा नहीं थी।  जब एक नायर पुरुष एक खूबसूरत महिला को देखता था, तो वह एक पुड़व (एक सूती का कपड़ा या मुंडू) देता था और नायर को स्त्री के घर आमंत्रित किया जाता है। आदमी अपने घर में दिन बिताता है,पर रात को नायर उस  महिला के साथ उसके ही घर में सेक्स करता  था। सुबह स्नान के बाद नायर घर छोड़ कर जाता था . उस महिला के लिए नायर का  शून्य प्रतिबद्धता(कोमिटमेंट) था, और जब वह बाहर निकलता था , यह महिला पर निर्भर था, अगर वह उसी बंदे का इंतजार करना चाहती है या फिर एक और प्रेमी से मिलती है। 


यदि युद्ध के बाद वही आदमी वापस आ जाता है, और घर के बाहर एक और जूते की जोड़ी देखता है,  तो इसका मतलब है कि उस महिला ने एक नये आदमी को अनुमति दी है,और वह दिल का दर्द के साथ या बिना दूर चला जाता था । 


इस प्रणाली ने महिलाओं को पूर्ण सुरक्षा प्रदान की क्योंकि औरत की तूती बोलती थी ,और वे  घरों से कभी भी विस्थापित नहीं हुई . आदमी महिला के जीवन में प्रवेश करता था और महिला के  इच्छा से निकलता है .इस आदमी को महिला के तरीके से चलना पड़ा और जीवन का काम करना पड़ा ,दक्षिण भारत में जहां कोई गोत्र सिस्टम नहीं है,  हिंदू समाज ने मामा की बेटी से विवाह करने की अनुमति दी है, या माता की मां की बेटी से । लेकिन पिता के भाई की बेटी से शादी करने की अनुमति नहीं थी, क्योंकि वे पितृवंशीय समाज में एक ही गोत्र के है ।
बेचारी उत्तर बहरतीय महिलायें !वे अपने सपनों में भी पुरुष  की गाअंड   नही मार सकतीं .


विडंबना यह है कि ये सिर्फ उल्टा है।
उत्तर भारत में, शहरी घरों में महिलाओं को एक अच्छी दहेज(सोने के रूप में, पैसे के फर्नीचर, कार ... उसके घर के लिए सब कुछ) के साथ भेज दिया जाता है,और उसके बाद उसके माता-पिता के घर में कुछ भी दावा करने का उसे कोई अधिकार नहीं है ।




वह लड़के के घर वालों का सब कुछ अपनाती हैं-अपने पति का गोत्र, पारिवारिक नाम,सास के नखरे,और सभी  बकवास जो साथ में आता  है।
आदमी यह तय करता है कि एक महिला को क्या जीवित और साँस लेना चाहिए- क्या खाना बनाना है, क्या पहनना है, जबकि एक महिला, चाहे कितना भी शिक्षित हो, सभी परिस्थितियों में पालन करना पड़ता है।
दक्षिण भारतीय सास कोमल और मोहोबत्ति होती हैं ,उत्तर भारत की 'लड़ाकू विमान' महिलायें जैसी नही होती .


लंबे समय के लिए एक उदासीन सिस्टम में पीड़ित होने के बाद,उनका डीएनए विकृत हो जाता है और वह अपना  एकत्रित गुस्सा अपनी बहू पर निकलती है .


आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के अनुसार,एक आंतरिक प्रजनन से होने वाले व्यक्ति या महिलाएं 6000 बीमारियों से पीड़ित हो सकती हैं .






जेनेटिक डिसॉर्डर से होना वाली कुछ समस्याएं यह हैं:
-शारीरिक विकलांगता
-छोटा सिर होना
-भ्रष्टबुद्धि
- गुर्दा और लिवर की खराबी
-समलैंगिकता,होमोसेक्ष्युवालिटी
-सिकल सेल एनीमिया(एससीडी)
-सिकल सेल एनीमिया (एससीए))
-ड्रेपोनाइटोसिस सिकल बीटा-प्लस-थैलेसीमिया .




जैसा कि मैंने पहले कहा था, भारत के महान द्रष्टा ऋषियों ने गोत्रा प्रणाली का निर्माण किया है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आंतरिक प्रजनन  नहीं हो।
एक ही गोत्र वाले लड़का लड़की में सेक्स होने से उनके वंश की शारीरिक और मानसिक अंग नष्ट हो जाते हैं .
 ऋषियों  के वंषो को वेदों को दिल से सीखना था और भविष्य की पीढ़ियों के लिए इसे पारित करना था ।

यह केवल 5000 ईसा पूर्व था कि वेदों को मौखिक परंपरा से लिखित परंपरा में बदल दिया गया था ।



मैं सिर्फ ब्राह्मणों में गोत्र व्यवस्था के बारे में बात करता , समझने में आसानी के लिए .


प्रत्येक गोत्र ऋषि के एक प्रसिद्ध नाम पर रखा गया है, जो कबीले के पिता के पूर्वज थे .गोत्र पितृलिनी वर्गीकरण की एक अवधारणा है, जो एक जाति के परिवारों की पहचान करता है ।


जैसे ही जनसंख्या में वृद्धि हुई है, वैसे ही गोत्र की संख्या में भी वृद्धि हुई .
मूल ऋषियों, जिसके बाद गोत्र नामित थे, सिर्फ आठ संख्या में थे .
गोत्रों को आगे गान और उपगाणों में विभाजित किया गया है । एक और अवधारणा यह है  प्रवार ऋषियों की, जो कि गोत्र से संबंधित सबसे ज्यादा सीखा और सक्षम संतों में से कुछ थे।


इस प्रकार प्रत्येक ब्राह्मण को अपने गोत्र, प्रवार, सूत्र और शाखा द्वारा जाना जाता था।

नियम के अपवाद(एक्सेप्षन) भी हैं I
उदाहरण -महर्षि भृगु और अंगिरसा के वंशज शादी नहीं कर सकते, क्योंकि वह एक ही प्रवार ऋषि के थे .





भारत में शादी दुल्हन और दुल्हन के गोत्र के अनुसार तय की जाती है ।गोत्र मिलान उत्तर भारतीय हिंदू विवाह में सबसे महत्वपूर्ण कार्यों में से एक है । समान गोत्र में शादी सख्त मना  है । हिंदू जाति व्यवस्था और गोत्र के बारे में बहुत सख्त हैं .



उत्तर भारतीय हिंदू समाज में, शादी के गठबंधन को अंतिम रूप देने से पहले दुल्हन और दुल्हन के वंश के बारे में पूछताछ करना आवश्यक है । आप उत्तरी भारतीयों और दक्षिण भारतीयों के शादी के एड देख सकते हैं .
उत्तर में, यह माना जाता है कि उसी गोत्र के बीच की शादी से परिवार और कबीले का विनाश हो जाएगा और यदि दुल्हन और दूल्हा अलग गोत्रों से संबंधित हैं, तो उनके गठजोड़ होमोज़ैयगौट्ज़ की संख्या में इज़ाफ़ा होने से जन्मजात जन्म दोष की संभावना को कम करा जा सकता है .

(होमोज़ैयगौट्ज़(homozygote)  का मतलब:-एक व्यक्ति जिसकी एक विशेष जीन के दो समान रूप होते हैं, प्रत्येक को प्रत्येक माता-पिता से विरासत में मिला हो .)


उसकी शादी तक,लड़की अपने पिता के गोत्र के अंतर्गत आती है, और शादी के बाद उसके पति के गोत्र की  सदस्य बन जाती है । हमारे डीएनए को क्रोमोसोम नामक छोटे तार में पैक किया जाता है । हमारे पास प्रत्येक गुणसूत्रों(क्रोमसोम्ज़) की एक जोड़ी है, एक माँ से मिलती है और एक पिता से ।


पारित होने से पहले, दो गुणसूत्रों में प्रत्येक पारिस्थितिकी में डीएनए का एक्सचेंज होता है . इसे पुनर्संयोजन कहा जाता है और हम सभी को अनोखा बनाने के लिए महत्वपूर्ण है .


लेकिन यह पूर्वजों के परीक्षणों को प्रभावित करता है क्योंकि यह प्रक्रिया पैटर्न को तोड़ देती है . लगभग पांच पीढ़ियों के बाद, पैटर्न इतनी छोटी मात्रा में रह जाता है कि हम आसानी से उनका पता नहीं लगा सकते । इसलिए आपका ज़्यादातर डीएनए केवल एक सौ साल के आसपास तक ही आपकी जड़ों का पता लगा सकते हैं।


सस्ता  डीएनए परीक्षण  पुन: संयोजन नहीं करता है . आप वाई गुणसूत्र  के साथ ही पैतृक रेखाएं और एमटीडीएनए(mtDNA) के साथ केवल मातृ रेखाओं का पता लगा सकते हैं . इसका मतलब ये है कि ये परीक्षण कई रिश्तेदारों को छोड़ देते हैं । 


y गुणसूत्र,डीएनए का एक ऐसा टुकड़ा है जो एक लड़के के साथ जुड़ा हुआ 
है .यह पिता से बेटे को  जाता है . इसलिए, यदि आपके पास एक वाई गुणसूत्र है, तो आप जानते हैं कि आप इसे अपने पिता से प्राप्त कर चुके हैं, जैसे आपके पिता ने दादाजी से प्राप्त किया था.


लड़कों में एक एक्स और एक वाइ क्रोमसोम होता है .लड़की में 2 एक्स क्रोमसोम होते हैं .
डीएनए की  अदल-बदल गुणसूत्रों की एक जोड़ी के बीच में होता है ,और चूंकि Y गुणसूत्र के पास कोई जोड़ी नहीं है, यह डीएनए को अदल-बदल  नहीं कर सकता ।
तो पैटर्न एक लंबे समय के लिए रहते हैं ,और यह हमारे प्राचीन वैदिक संतों को मालूम था और 7000 साल पहले लिखा गया था।


लेकिन क्या होगा अगर आप एक लड़की हैं? फिर इसमें डीएनए का एक छोटा टुकड़ा शामिल है,आपके शरीर के अधिकांश डीएनए सेल के न्यूक्लियस  में पाए जाते हैं.
(न्यूक्लियस (nucleus) क्या है-क्रोमोसोम बनाने के लिए यह सामग्री-
-डीएनए अणुओं और
- प्रोटीन
 को मिलाकर  क्रोमोसोम बनाती है।)

पिता अपने  माइटोकॉन्ड्रिया पारित नहीं करता है, लेकिन माँ करता है .

माइटोकोंड्रिया डीएनए y गुणसूत्र के जैसे प्रभावित नहीं होता है .
इसलिए डीएनए बताता है कि आपकी माँ की माँ (और आगे) हजारों साल पहले कहां थीं .लेकिन चूंकि ज्यादातर महिलाएं अपने अंतिम नामों को नहीं रखती हैं, इसलिए इस परीक्षण का उपयोग करके रहने वाले रिश्तेदारों को ढूंढना कठिन है ।


यदि आप जानना चाहते हैं कि आपके सबसे हाल के पूर्वज कहाँ से आए और अपने रहने वाले रिश्तेदारों के संपर्क में आना चाहते हैं,तो आपको महँगे टेस्ट  की आवश्यकता होगी जो आपके सभी डीएनए को देखेगा .यदि आप केवल अपने बहुत प्राचीन उत्पत्ति में रुचि रखते हैं,एक सस्ता परीक्षण,जो की वाई गुणसूत्र या एमटीडीएनए(mtDNA) के द्वारा आपको वह जानकारी देगा ।


उत्तर भारतीय मंदिरों में, समृद्ध दिखने वाले भक्त को धोखा देने के लिए प्रसाद लेने के बाद पुजारी भक्त का  नाम ,जन्म सितारा और गोत्र का नाम पूछेगा,जो वास्तव में बेवकूफी है .


पुजारी इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए नाम, गोत्र और जन्म सितारा को दोहराता है ताकि उन्हें इथिरीअल में घोषित और रिकॉर्ड किया जा सके।



दक्षिण भारतीय मंदिरों में एक पुजारी मंदिर के अंदर किसी व्यक्ति को धोखा देने की कोशिश नहीं करेगा .
भारत में किसी विशेष गोत्र के दावे को हल करने का एकमात्र सही तरीका यह है की पुरुषों में वाई क्रोमोजोम के डीएनए का विश्लेषण करना .


तीन प्रकार के वंशावली डीएनए टेस्ट होते हैं:
1)ऑटोसॉमल (एटीडीएनए /atDNA);
पूरे वंश को खोजने के लिए ऑटोसॉमल टेस्ट किया जाता है . 2)मिटोकॉन्ड्रियल डीएनए (एमटीडीएनए /mtDNA) ;
एमटीडीएनए अपने प्रत्यक्ष मातृ रेखा के साथ एक पुरुष या महिला का परीक्षण करता है।
3)वाई-क्रोमोजोम (वाई-डीएनए /Y-DNA) ;
वाई-डीएनए  पुरुष  के नज़दीकी पितृ रेखा का परीक्षण करता है  .


हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि एक गोत्र एक ऋषि से कथित पौराणिक वंश के अलावा कुछ भी नहीं है । 7000 साल पहले, भारत में बहुत कम लोग थे  ।  बीच में हम 800 वर्षों तक गुलाम थे, और बहुत सारे स्वार्थी लोग जो कि आदिवासियों की तरह दिखते थे,
उन्होने गियर को चेंज कर दिया ।



अगर कोई व्यक्ति बंदर की तरह दिखता है, और दिमाग से पैदल  है,वो अगर कहे कि वह भारद्वाज गोत्र का है ,तो क्या हम यह मान लें कि वो मेहेरिशी भारद्वाहज का वंशज है,और उसके पैर पड़ जाएँ क्या??


यह दावा ज़्यादातर बकवास होता है,अपने आत्म महत्व को ऊपर उठाने के लिए .       विश्वास कीजिए,पाकिस्तानी परमाणु तस्कर ए.क्यू. खान के दावे की,की कि वह गजनी के महमूद का वंश  है!!

और हाल ही में ब्रिटिश जासूस राजकुमारी, नूर इनायत खान,टीपू सुल्तान के भी दावे-ताकि ईसाई और यहूदी सूफ़ी को दूर कर सकें।


गोत्र सिस्टम वैदिक महरिशियों द्वारा वाई क्रोमोजोम को विलुप्त होने से बचाने के लिए बनाई गई थी । यह मौखिक मार्गों द्वारा वेदों को व्यक्त करने के बारे में ही नहीं था .

यह मानव जाति को भी बनाए रखने के लिए किया गया था .

 

 

एक वंश रेखा सीधा महिला से होती है,
यह हमारी मां की मां के माध्यम से प्राप्त होता है, हम एक्स गुणसूत्र के अंदर माइटॉकौन्ड्रियल डीएनए को प्राप्त करते हैं ,जो की हम सब में है . दूसरा, प्रत्यक्ष पिता-से-पिता की रेखा है, जिसके द्वारा पुरुष वाई गुणसूत्र का उत्तराधिकारी होते हैं ।


गोत्र एक परिवार का वृक्ष है जिसके जड़ से  एक सामान्य पूर्वजों का पता लगाया जा सकता है। चूंकि यह अकसोगैंस और पितृवंशीय है,यह केवल Y गुणसूत्र पर आधारित है .  एक पुरुष एक ही गोत्रा की एक महिला से शादी कर सकता है, जो उसके पिता से कम से कम 7 पीडी दूर है ।


गोत्र प्रणाली का नियम यह है कि पुरुषों का गोत्र एक ही रहता है,जबकि महिला का गोत्र विवाह के बाद अपने पति का ही गोत्र बन जाता है ।


अब मान लीजिए कि एक व्यक्ति के पास केवल  बेटियां हैं और बेटे नहीं हैं ।  उस मामले में उनके गोत्र उसी वंश में समाप्त होंगे क्योंकि उसकी बेटियां अपने पतियों के गोत्र को अपनाएँगी .
यही कारण था कि प्राचीन वैदिक या हिन्दू समाजों में लोगों को बेटियों के साथ-साथ  एक बेटा  रखना पसंद था ,ताकि पिता के गोत्र(वाई क्रोमोजोम) को  जारी रखा जा सके .



इस प्रकार गोत्र प्रणाली केवल वाई क्रोमोजोम से संबंधित है । इंसान में 23 जोड़े क्रोमोजोम के होते हैं,एक जोड़ी को सेक्स क्रोमोसोमेस कहा जाता है जो व्यक्ति के लिंग का निर्णय करता है ।
गर्भधारण के दौरान,यदि परिणामी सेल में एक्स-एक्स(X-X) सेक्स क्रोमोसोम होता है तो लड़की पैदा होगी  और अगर यह X-Y  सेक्स क्रोमोसोम  है तो  लड़का पैदा होगा .
एक्स गुणसूत्र एक व्यक्ति की महिला विशेषताओं का निर्धारण करता है और वाई क्रोमोजोम एक व्यक्ति के पुरुष गुणों का निर्धारण करता है ।


जब प्रारंभिक भ्रूण कोशिका(embryonic cell) में XY गुणसूत्र होता है,तो वाई क्रोमोजोम के जीन द्वारा महिला गुणों को दबा दिया जाता है,और भ्रूण एक पुरुष बच्चे में विकसित होता है ।


चूंकि केवल पुरुषों में वाई  क्रोमोजोम है, बेटे को हमेशा अपने पिता से अपने वाई क्रोमोजोम और उनकी मां से एक्स क्रोमोजोम मिलता है । दूसरी ओर बेटियों को हमेशा अपने एक्स क्रोमोजोम प्राप्त होते हैं, पिता और मां दोनों से एक-एक .


तो वाई क्रोमोजोम हमेशा एक नर वंश में ही संरक्षित है .(पिता - पुत्र - पोता आदि) क्योंकि एक पुत्र हमेशा अपने पिता से इसे प्राप्त करता है .क्योंकि एक्स क्रोमोजोम पिता और माता दोनों से आता है,इसलिए यह महिला वंश में संरक्षित नहीं रहता(माँ, बेटी,बेटी की बेटी आदि)

एक मां या तो-
1)अपनी मां के एक्स क्रोमोजोम को अपने बच्चों में देगी
2)या उसके पिता के एक्स क्रोमोजोम को अपने बच्चों  में देगी
3)या दोनों के एक्स-कॉमोजोमो को  मिश्रित करके बच्चे को देगी(क्रॉसोवर)


दूसरी ओर, एक पुत्र को हमेशा अपने पिता के वाई क्रोमोजोम विरासत में बिना किसी  परिवर्तन के बरकरार मिलता है ,क्योंकि उनके संयोजन में एक्स के गुणसूत्र का कोई मेल नहीं है क्योंकि उनका संयोजन एक्स-वाई है,जबकि महिलाओं का है एक्स-एक्स गुणसूत्र, जिसको  मिश्रण के लिए अनुमति  है क्योंकि दोनों एक्स क्रोमोजोम हैं ,जबकि महिलाओं का  एक्स-एक्स गुणसूत्र में मिश्रण होता है,



वाई क्रोमोजोम एकमात्र क्रोमोसोम है जो एक वंश में पुरुषों के बीच ही पार हो जाता है।


महिलाओं के शरीर में  वाई क्रोमोजोम   नहीं होता . इसलिए जेनेटिक्स में एक व्यक्ति के पुरुष वंश की पहचान करने के लिए वाई क्रोमोजोम अहम् भूमिका निभाता है .गोत्र प्रणाली  एक व्यक्ति के रूट वाई क्रोमोजोम को  आसानी से ट्रैक करने के लिए बनाया किया गया था ।



 वाई क्रोमोजोम एकमात्र क्रोमोसोम है जिसका समान जोड़ा मानव शरीर में होता .
एक्स क्रोमोजोम वाई क्रोमोजोम से काफी अलग है । यहां तक कि वाई क्रोमोजोम का आकार एक्स क्रोमोजोम के आकार से लगभग एक तिहाई होता है ।



 दूसरे शब्दों में एवोल्यूशन(इततेक़ा) के दौरान वाई क्रोमोजोम के आकार में कमी आई है और यह अपने अधिकांश जीन  खोया है और यह अपने वर्तमान आकार में बहुत घटा हुआ  है . वैज्ञानिक इस बात पर बहस कर रहे हैं कि क्या वाई क्रोमोजोम भविष्य में कुछ लाख वर्षों से अधिक समय तक जीवित रहने में सक्षम होगा , या यह धीरे-धीरे गायब हो जाएगा, और यदि  ऐसा हुआ तो क्या यह पुरुषों की विलुप्ति  का कारण बनेगा!
जाहिर है क्योंकि वाई क्रोमोजोम वह है जो एक पुरुष या एक आदमी को बनाता है . इन सभी का कारण यह है कि अन्य क्रोमोसोमों के विपरीत, वाई  क्रोमोजोम के लिए इसके क्रोमोसोमल जोड़ी के साथ क्रॉस करके खुद को सुधारने का कोई रास्ता नहीं है ।



अन्य सभी क्रोमोसोम समान जोड़े में आते हैं और जब एक क्रोमोसोम का डीएनए  नष्ट हो जाता है, तो सेल उस जोड़ी में अन्य क्रोमोसोम से डीएनए पर कॉपी करके मरम्मत करता   है क्योंकि दोनों अन्य गुणों में क्रोमोसोम लगभग एक जैसे होते हैं । 



यह प्रतिलिपि(copying) मां और पिता के जीनों के बीच मिश्रण और मैचों के विभिन्न संयोजनों को भी अनुमति देता है और इसलिए क्रोमोसोम को आगे की पीडियों के लिए मजबूत बनाते हैं ..महिला में एक्स क्रोमोजोम भी इस मिश्रण से गुजरती हैं और चूंकि महिलाओं में दो एक्स क्रोमोजोम होता है .


महिलाओं में XX गुणसूत्र होते हैं, और एक एक्स गुणसूत्र में किसी भी क्षति को अन्य एक्स गुणसूत्र से आनुवांशिक डेटा की प्रतिलिपि करके ठीक किया जा सकता है।


पुरुषों में XY क्रोमोजोम है . वाई क्रोमोजोमो के पास इसके जोड़ी में किसी भी समान सममूल्य क्रोमोजोम नहीं है । यह केवल एक XY संयोजन में मौजूद हो सकता है,एक्स वाई के साथ मेल खाने वाले एक्स के छोटे से 5% को छोड़कर एक्स वाई के साथ मिश्रण नहीं कर सकता है;;जबकि  शेष 95% y क्रोमोजोम जो कि नर के विकास में महत्वपूर्ण होता है, बिल्कुल  मेल नहीं खाता है . यह वाई क्रोमोजोम का  95% है जो पुरुष या एक आदमी बनाने में पूरी तरह से जिम्मेदार है.


लेकिन, वाई क्रोमोजोम को अपने किसी भी चोट की मरम्मत के लिए स्वयं पर निर्भर होना पड़ता है और इसके लिए वह अपने जीनों की डुप्लिकेट प्रतियां अपने भीतर बना देता है . हालांकि यह वाई क्रोमोजोम में डीएनए की खरबियो को नहीं रोक सकता, जो कि स्थानीय मरम्मत प्रक्रिया को नर संतानों में  प्रचार होने से रोकता है । इसके कारण वाई क्रोमोजोम के विकास की लंबी अवधि में अधिक से अधिक दोष जमा हो जाते हैं और वैज्ञानिकों का मानना है कि यही वजह है कि वाई क्रोमोजोम का वजन लगातार घटता जा रहा है .


तो संक्षेप करने के लिए,वाई क्रोमोजोम, जो पुरुषों के निर्माण और विकास के लिए महत्वपूर्ण है, इसकी एक मौलिक कमजोरी है ,जो यह क्रोमोसोमल मिश्रण के माध्यम से विकास की सामान्य प्रक्रिया में भाग लेने में अस्वीकार  रहा है .


यह कमजोरी अगले कुछ लाख वर्षों में पूरी तरह से वाई गुणसूत्र के विलुप्त होने का कारण बन सकती है, और अगर ऐसा होता है तो वैज्ञानिक यह सुनिश्चित नहीं पा रहे कि इससे पुरुषों विलुप्त हो जाएंगे या नहीं ।  इसका कारण यह है कि वैज्ञानिकों को यकीन नहीं है कि 23 जोड़े में कोई भी क्रोमोसोम वाई क्रोमोजोम की भूमिका निभाने में सक्षम होगा या नहीं।
यह साबित करता है कि हमारे वैदिक संतों ने y क्रोमोजोम के अवमूल्यन को देखा था और वे यथासंभव कई व्यक्तिगत स्वस्थ अद्वितीय y क्रोमोजोम वंशावली बनाए रखना चाहते थे।


यह नर के अस्तित्व को जारी रखने के लिए एक उचित मौका प्रदान करेगा क्योंकि Y गुणसूत्रों को उनके अनुवांशिक संयोजनों में लगभग नगण्य परिवर्तन के साथ पीढ़ियों से पारित किया गया है,क्योंकि वे अन्य क्रोमोसोम के साथ 'मिश्रण और मेल' में भाग नहीं लेते हैं ।
महर्षि ने गोत्र प्रणाली का निर्माण किया जहां उन्होंने एक लड़का और उसी गोत्र से संबंधित एक लड़की के बीच शादी को रोक दिया, चाहे कितना गहरा वंश का पेड़ हो . यह आंतरिक प्रजनन को रोकने और मानवीय डीएनए से सभी दोषपूर्ण जीन को पूरी तरह से समाप्त करने के प्रयास में किया गया था ।


मनु-स्मृती बताती है कि शादी को तय करने से पहले हिंदुओं को पिता की तरफ से 7 पीढ़ियां और मां की तरफ से 5 पीढ़ियां छोड़नी चाहिए ताकि  वाई गुणसूत्र की अखंडता को बचाया जा सके ।
Punch into Google search MANU , THE FIRST LAW MAKER -- VADAKAYIL
मैंने एक पाकिस्तानी फिल्म बोल देखी थी जहां  एक  बूढ़ा आदमी अपनी पत्नी को मारता है क्योंकि उसने केवल लड़कियों को जन्म दिया -और उसने एक लड़के को जन्म दिया जो कि  हिजड़ा था ।



मुस्लिम समुदाय अंतर-प्रजनन द्वारा खुद को पारसी तरीके से नष्ट कर रहे हैं .

 महिलाओं में केवल एक्स गुणसूत्र होते हैं, जबकि पुरुष दोनों एक्स और वाई गुणसूत्रों को लेते हैं। तो यह वास्तव में पुरुष है जिसका गुणसूत्र तय करता है कि संतान एक पुरुष या एक महिला होगी .(पत्नी को मारने का कोई मतलब नहीं !!)


चूंकि चुनाव समय के दौरान खाप जाति परिषद शक्तिशाली उपकरण हैं,उनका उपयोग देशद्रोही नेताओं द्वारा किया जाता है .लगभग 2700 जाट गोत्र हैं और उनके पास ब्राह्मण्यल गोत्र और सप्तर्षि गोत्र जैसा कुछ भी नहीं है ।



ऊपर: - एक बड़े आकार का हुक्का एक खाप पंचायत बैठक में व्यक्तित्व का प्रतीक है ..

गोत्र नाम सिंधु, गांधारी, तुषार, नेहरा, भिंड आदि नामों पर आधारित हैं । कुछ गोत्र नाम रावत, राव, चौहान, परिहार, परमार, राणा, ठाकुर, चौधरी आदि जैसे खिताब पर आधारित हैं ।


ओम प्रकाश चौटाला (पूर्व मुख्यमंत्री), नवीन जिंदल (कुरुक्षेत्र के कांग्रेस सांसद) और कई अन्य केंद्र सरकार से खाप पंचायतों के मामलों की वकालत कर रहे हैं । 


इन खाप पंचायतों को कानूनी तौर पर प्रतिबंधित किया जाना चाहिए, जब एनडीए सत्ता में आ जाए ..
खाप पंचायत के पास अलिखित कानून हैं, जो असाधारण शक्ति का संचालन करते हैं..उनके फ़ैसलों ने ग्रामीणों को डर के शासनकाल में बाध्य किया है, और यह स्पष्ट रूप से अवैध और अतिरिक्त-संवैधानिक हैं


हमें मनोज (23) और उसकी पत्नी बबली (1 9) को याद करना चाहिए जो 15 जून 2007 को एक खाप पंचायत के आदेश से मारे गए थे और उन्हें कीटनाशक पीने के लिए मजबूर किया गया था ।
यह उच्च न्यायालय के आदेश के आधार पर प्रेमियों को पुलिस सुरक्षा देने के बावजूद हुआ क्योंकि पुलिसकर्मियों ने सशस्त्र होने के बावजूद परिदृश्य से दूर चले गए ।



रॉबर्ट वाड्रा ने लाखों रुपये कैसे प्राप्त किए? भूमि सौदों से, सही है?
ये स्थानीय जमींदारें,अजीब दिखने वाले पुराने फैशन के कपड़े, स्व-नियुक्त प्रमुख और  विभिन्न खापों के सचिव बन जाते हैं..हर खाप आंदोलन एक ही गुंडे, कांग्रेस से जुड़े हुए या तो चौटाला के भारत राष्ट्रीय लोक दल , के द्वारा शुरू किए जाते हैं .जब वे विदेश जाते हैं तो वे 3 पीस सूट पहनते हैं .

ये खाप महिलाओं को सशक्त बनाने से डरे हुए हैं.


मारुति कार कारखाने दंगों के दौरान कुछ बहुत अजीब हुआ। मानेसर में मारुति प्रबंधन का समर्थन करने के लिए खाप बड़ी संख्या में बाहर आ गए, श्रम बलों के खिलाफ ।
क्या चीज हाथ आई है?
इसका मतलब है कि पूंजीवाद और सामंतवाद के बीच एक अपवित्र संबंध हैं। इन खाप मल्टीब्रांड खुदरा में एफडीआई का समर्थन करते हैं - प्रार्थना करें- क्यों?


दो दशक पहले, किसने खाप के बारे में सुना था?रियल एस्टेट बूम ने आश्चर्यजनक रूप से इन सामंती संरचनाओं को पुनर्जीवित किया है।
खाप पंचायत झज्जर, रोहतक, सोनीपत, पानीपत और पश्चिमी यू.पी. में सबसे मजबूत हैं।





गोत्र एक मात्र सामाजिक पहचान चिन्हक है और 1300 मिलियन भारतीयों के इस आधुनिक युग में एक आनुवंशिक इकाई नहीं है, जिसमें मैदानों में जातियों और परिवारों की एक पूरी किस्म है। 


 अधिकांश 72% सम्मान हत्या मामलों में अंतर जाति विवाह (अमीर गरीब भी) और केवल 3% एक ही गोत्रा विवाह ।


पहले चचेरे भाई विवाह और उसी गोत्रा विवाह को समान नहीं किया जा सकता है और इसलिए आनुवांशिक रूप से भी प्रभाव पड़ता है ।


समलैंगिकों की जल्दी मृत्यु क्यों होती है और  मरने से पहले उनमें से अधिकतर अल्जाइमर से ग्रस्त क्यों होते हैं?क्योंकि उनके पास छोटे तेलोमेयेर्स होते  हैं . भारत में हमें गोत्र प्रणाली की वजह से इस समस्या नहीं है .(telomere/ तेलोमेयेर्स का मतलब:-जो क्रोमोसोम को गिरावट से या पड़ोसी गुणसूत्रों के साथ संलयन से बचाता है)




अनपड़ खाप के बुजुर्गों को इन दिनों अपनी पगड़ी के माध्यम से बात कर सकते हैं जैसे कि जेनेटिक्स के एक्सपेर्ट हों . उनका तर्क है कि एक विशेष गोत्र में दो लिंगों के बीच किसी भी प्रकार का यौन संबंध ग़लत माना जाता है, क्योंकि इस तरह के गठबंधन के वंशज में आनुवंशिक विकार होते हैं । 




यह बकवास है .




गोत्र प्रणाली की वजह से,आप भारत में बहुत सारे रंगहीन अंधे लोग (या समलिंगी भी) नहीं देखेंगे ।




रंग अंधापन मुख्यतः उत्परिवर्तित एक्स क्रोमोजोम के माध्यम से विरासत में मिलता है । कि पुरुषों में केवल एक एक्स गुणसूत्र है,इसलिए अगर उन्हें एक दोषपूर्ण एक्स गुणसूत्र ( माँ द्वारा) सौंपे जाते हैं तो वे रंग के अंधे हो जाते हैं ।।






दूसरी ओर, महिलाओं के पास दो एक्स गुणसूत्र होते हैं, यही वजह है कि पुरुषों की तुलना में बहुत कम महिलाओं को रंग  का अंधापन होता है।




दोनों एक्स गुणसूत्र दोषपूर्ण होने की संभावना बहुत कम है, और स्वस्थ एक रंग की सामान्य धारणा प्रदान करने के लिए प्राथमिकता ले जाएगा ।।
कृपा और शांति!




कॅप्टन अजीत वाडकाइल

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