Sunday, 28 January 2018

असंख्य होलोकॉस्ट और जनसंहार-कॅप्टन अजीत वाडकायिल

Monday, July 25, 2011


यह पोस्ट निम्न लिंक  के अँग्रेज़ी पोस्ट का अनुवाद है:-
http://ajitvadakayil.blogspot.in/2011/07/unquantified-holocaust-and-genocide.html
और उसका मुख्य पेज ये है:-
http://ajitvadakayil.blogspot.in/

 



अन्गिनत कत्लोगारत - मुसलमानों और ईसाइयों द्वारा हिंदुओं का जनसंहार -सबसे बुरा उत्पीड़न -एक शानदार 11000 साल पुराने सभ्य निवासियों का विनाश

 मुझे 7000 साल पुरानी वैदिक मंत्र के इस वीडियो (ऊपर) के साथ शुरू करना  चाहिए --कृपा और शांति

इस पोस्ट को मंत्र प्ले करके पड़ने का प्रयास करें .
 
ऊपर का नक्शा प्राचीन हिन्दू भारत का है --जो की सिकंदर अलिक्सांदर को भारत से भगाए जाने के बाद का है .
मुसलमानों द्वारा भारत पर हमला होने के बाद का नक्शा नीचे है;
 


 
पूरी दुनिया को कई नरसंहारों और खूनखराबों के बारे में पता है जो सदियों से होते आए हैं . सबको तालिबान द्वारा  बामियान बुद्ध मूर्ति विनाश  के बारे में पता है .
 

इतिहासकारों ने उन सभी की मात्रा निर्धारित कर दी है--चाहे वह हिटलर का हो, या अमेरिका के रेड इंडियन्स का या ऑस्ट्रेलियाई आदिवासियों का या सर्बियाई का या स्पेनिश क्रूरता या बाकी किसी और का .

 

यहां तक कि अंग्रेजों ने भी हिंदू नरसंहार का आकलन करने की परवाह नहीं की जो कि 900 साल तक हमलावर मुसलमानों और मुस्लिम शासकों के हाथों हुआ .
पिछले 800 सालों में 9 करोड़ मासूम हिंदुओं का कत्ल हुआ  - किसे परवाह है ?

इस 9 करोड़ की संख्या में शामिल नहीं है;

 2010 में श्रीलंकाई तमिलों का विशाल नरसंहार--
या
13 लाख भारतीय गुलाम-मज़दूर (indentured labourer),जिन्हें अँग्रेज़ों ने दोखा देकर विदेश भेजा और उनसे गुलामों वाले काम करवाए
या
भारतीय फ़ौजी जिन्हें दोनों विश्व युद्ध में बलि-के-बकरे की तरह इस्तेमाल किया गया और जिन्हें स्मारकों के बिना दफ़नाया गया .

1 लाख 11 हज़ार भारतीय फ़ौजी पहले विश्व युद्ध में
और
2 लाख 43 हज़ार भारतीय फ़ौजी दूसरे विश्व युद्ध में मारे गये थे.

हम देखते हैं बेवकूफ़ हिंदुस्तानियों को जो की  यहूदियों के नकली 60 लाख होलोकॉस्ट मृतकों के लिए रोते हैं .


एनसाइक्लोपीडीया ने भी इसे रेकॉर्ड नही किया था,लेकिन इस ब्लॉगसाइट ने उन्हें मजबूर किया यह करने में .


इस 9 करोड़ वाली संख्या में भारत की अकाल की मौतें शामिल नहीं है-जो कि इस उपजाऊ देश में जान-बूझकर लाई गयी थी .

98 लाख भारतीयों की मृत्यु 1769 के महान विनाशकारी अकाल में हुई थी .यह अकाल रोथसचाइल्ड द्वारा ईस्ट इंडिया कंपनी के कर्मचारी वॉरेन हेस्टिंग्स ने जान-बूझकर लाई थी ताकि किसान खाद्य फसल  छोड़कर अफ़ीम,नील,जूट की फसल उगाएं .


1832 में महान गुंटूर अकाल के बारे में कोई बात नहीं करता जिसे भी जान-बूझकर लाया गया था ताकि लोग अपनी उम्मीद खो बैठें और विस्थापित होकर गुलाम-मज़दूरी करने विदेशों में चले जाएँ .
रोथसचाइल्ड ने दो साल पहले ही योजना बना ली थी क्योंकि 1834 में काला-गुलामी को समाप्त किया गया और भारतीय गुलाम-मज़दूरों ने इनकी जगह ले ली .
 
1866-67 में रोथसचाइल्ड की वजह से आए महान  उड़ीसा अकाल के बारे में कोई बात नहीं करता 1866-67 में रोथसचाइल्ड की वजह से आए महान  उड़ीसा अकाल के बारे में कोई बात नहीं करता,जिसमें 58 लाख हिन्दुस्तानी भुखमरी से मारे गये थे .
 
1876-78 में भारत में आए महान अकाल के बारे में कोई भी बात नहीं करता जिसमें 63 लाख लोग मारे गए थे. उसका मकसद यही था की लोग भारत छोड़कर विदेश में गुलाम-मज़दूरी करने चले जाएँ .
महान अकाल (1899-1900 -10.1 करोड़ से ज्यादा मृत) की वार्ता के बारे में कोई नही बोलता जिसे वाइसरॉय कर्सन द्वारा शुरू की गई ताकि भारतीय पुरुष रोथसचाइल्ड की ब्रीटैश इंडिया आर्मी में नामांकन करें और मुफ़्त का खाने का राशन पाएँ . यह आज भी एक रहस्य है ..

हम भारतीय 1943 (बंगाल) में जान-बूझकर लाए अकाल से परिचित हैं जिसमें 52 लाख लोग मारे गए थे . इस अकाल के लिए अमरत्या सेन ने अँग्रेज़ों को क्लीन-चिट दी जिसके परिणामस्वरूप उन्हें नोबेल प्राइज़ से नामज़ा गया . रोथसचाइल्ड ने सुभाष चंद्र बोस के बंगालियों को सज़ा दी जिन्होंने दूसरे विश्व युद्ध में ब्रिटिश पक्ष से जापानी पक्ष में छलाँग लगाई .

http://ajitvadakayil.blogspot.in/2010/04/indentured-coolie-slavery-reinvented.html



 



नॉर्वे में सिर्फ 68 लोग मारे गए,और बीबीसी / सीएनएन स्मारक सेवाओं को घंटे प्राइम टाइम पर लाइव दिखाया--क्योंकि वे गोरे ईसाई हैं .


तलवार-की-धार पर रूपांतरण के लिए लाखों हिंदुओं को इस्लाम में तब्दील होना पड़ा जिसे इस पोस्ट में शामिल नहीं किया गया है।
 

 
आज किसीको परवाह नही--विजय माल्या ने टीपू सुल्तान की तलवार ख़रीदकर लाई जिसने पचासों बंधक(पेड़ से उल्टा लटकाए) हिंदुओं का लहु बहाया .

 

हमलावर मुसलमानों ने आकर्षक युवा महिलाओं के मृत शरीर को कभी भी नहीं छोड़ा।
 

 

जब तक मृत शरीर गंध नहीं करता या ठंडा,कठोर नहीं हो जाता,तब तक यह बेहूदा मुस्लिम हमलावर मृत शरीर के साथ सेक्स करते थे .
राजपूत महिलाएँ आग में कूद कर जान दे देती थीं ताकी वो ज़िंदा ना पकड़ी जाएँ क्योंकि फिर उन्हें स्त्रीगृह में बेचकर उनका बलात्कार किया जाता था .



लगभग सभी प्राचीन हिंदू मंदिरों और महलों पर हमला करके विदेशी आक्रमणकारियों नें उन्हें     धराशायी किया .
 

शुरू में वे  गुप्त वाल्टों या भूमिगत कुओं में छिपा हुआ सोना और हीरे का पता लगाने के लिए करते थे .

 

बाद में, औरंगजेब की तरह मुस्लिम शासकों के लिए यह काफिरों के स्थानों को नष्ट करने के लिए किया जाता था .

 

 
160 साल पहले भारत इस धरती पर हीरे का एकमात्र स्रोत था।

त्रिवेन्द्रम केरल के एक छोटे श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर में 2 हफ्ते पहले, 24 अरब अमरीकी डॉलर का सोने और हीरे का पता चला था। एक न्यायिक जुडीशियल आदेश के कारण मुख्य पत्थर काल्लरा वाल्ट्स अभी तक खोले जाने बाकी हैं।
 
येह सोना एक पुल्ली प्रणाली द्वारा वाल्टों में उतारा गया था, क्योंकि यह डर था कि कहीं टीपू सुल्तान (केरल के) राजा वर्मा को ना हरा दे

 

 

टीपू सुल्तान की हत्या के बाद, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के मालिक रोथसचाइल्ड परिवार  कई जहाजों में सोना उठाके ले गये .
 
1858 में, सिपाही विद्रोह के बाद और भारत पर कब्जा करने के बाद-ईस्ट इंडिया कंपनी के मालिक रोथसचाइल्ड ने ताजमहल के शिखर के ठोस स्वर्ण हटाए और उन्हें ब्रिटेन भेज दिया--

 

 
--और उन्हें वैसे ही दिखने वाले पीतल से बदल दिया .

 
उन्होंने सभी कीमती पत्थरों को निकाल दिया जैसे कि रजत, नीलमणि, पन्ना, ताजमहल के हीरे और अर्द्ध कीमती पत्थरों के साथ बदसूरत छेद भर दिया .

 


आज भी अगर आप भारत सरकार से अनुमति लेते हैं --(यह हिंदू-मुस्लिम दंगों को रोकने के कारण नहीं मिलेगा)

--आप ताज महल में गहरे भूमिगत कुएँ,अच्छी ख़ासी गोल सीडियाँ देख पाएँगे--यह एक राजपूत महल था, जिसे राजस्थानी मार्बल से बनाया गया था ---
 
--जहां एक पल में खजाने को जलमग्न किया जा सकता था और महाराजा मानसिंघ के ख़ज़ाने के अधिकारियों को दरवाजों की श्रृंखला के माध्यम से यमुना नदी में भागने का रास्ता था।


यहां कुछ काले और सफेद प्राचीन चित्र हैं, जो कि ब्रिटिश म्यूज़ीयम इतिहासकारों द्वारा लिए गए हैं . लंदन के ब्रिटिश म्यूज़ीयम में ताज महल के इन सभी ईंठ के वाल्ट्स और कमरों की सैकड़ों अधिक तस्वीरें हैं।

 
ऊपर ताजमहल (तेजो महालय) की एक इंटीरियर रूम की छत पर वेदिक डिजाइन है

ताजमहल के अंदर सैकड़ों कमरे (सभी ईंठ वाले), 7 मंजिला और दर्जनों शौचालयों की आवश्यकता क्या है?

इस्लामिक ताज महल दक्षिण का सामना क्यों कर रहा है, और यह वास्तु सिद्धांतों पर क्यों बनाया गया है?

और हिंदू राजा मंत्र ओम क्यों जगह का गौरव ले रहा है?

 

वैसे, रानी का नाम कभी मुमताज महल नहीं था, बल्कि मुमताज-उल-जमानी था।
गजनी के महमूद ने गुजरात के सोमनाथ मंदिर से खजाने को लूट लिया, और उन्होंने शिव लिंगम को भी चुरा लिया। ।
 

 

700 साल बाद सम्राट औरंगजेब सोमनाथ मंदिर को आखरी बार नष्ट
 किया .

गज़नी ने इसे खजाने और काला पत्थर के लिए किया था और औरंगजेब ने धर्म के लिए किया

 

क्यों गजनी शिव लिंग चोरी करना चाहता था?
क्योंकि मक्का के काबा से 5 फीट दक्षिण पूर्व कोने पर एक मिटेओरिक काला पत्थर है। ग़ज़नी को इस पत्थर की शक्तियों के बारे में पता था।
 

 


यह अविश्वसनीय है कि पाकिस्तानी मुसलमान आक्रमणकारी और बलात्कारी गजनी का समर्थन करते हैं। उनके मिसाइलों का नाम उसके नाम पर है .

भारतीय और पाकिस्तानी का एक जैसा खून है- हमारे पूर्वज एक ही थे.
 
पाकिस्तान की तुलना में भारत में अधिक मुसलमान हैं . वेदिक संस्कृति पाकिस्तान की भी है .  हम इसके बारे में बहुत स्पष्ट हैं कि वे सरस्वती नदी के क्षेत्र से संबंधित हैं.
 
पाकिस्तान के ज़्यादातर मुसलमानों को बलपूर्वक आक्रमणकारियों द्वारा तलवार-की-धार पे धर्म परिवर्तन करना पड़ा--हाँ ये बात अलग है अगर उनका डीएनए तुर्की या कॅस्पियन सी का हो और अगर वे इमरान ख़ान जैसे दिखते हों .


और वैसे भी रोथसचाइल्ड ने अपने 33 डिग्री फ्रीमेसन चर्चिल और माउंटबेटन का उपयोग करके पूर्व और पश्चिम पाकिस्तान का निर्माण किया था ताकि कम्यूनिस्ट और हिंद महासागर में एक रुकावट बन सके .

 

 


माउंटबेटन ने नेहरू से भारत की नब्ज पाने के लिए अपनी पत्नी का इस्तेमाल किया . विभाजन के बाद की लड़ाई रोथसचाइल्ड द्वारा करवायी गई थी। उन दिनों में भी यह स्पष्ट था कि कुरस्क जैसे परमाणु पनडुब्बी एक देश को अपने घुटनों तक ला सकते हैं .

 

 

 


17 दिसंबर, 13 9 8 में, तुर्की के मोंगोलियाई खून वाला तिमूर बिन तारगै बारलास,जो कि अमू दरिया से आया था,उसने एक दिन में एक लाख से ज्यादा हिंदुओं को तलवारों से काट डाला .यह बात उसने खुद अपनी किताब तिज़क-ई-तिमूर्ी में लिखी है .
 


उसने दावा किया कि एक बड़े तांडव में एक घंटे के भीतर 100,000 सिर काट दिए गये थे जहां रक्त धारा की तरह बह रहा था .
 

उसने दिल्ली की लूटपाट अगले दिन की . यह आदमी -नहीं-जानवर,बाबर के दादा का दादा था.
राम और लक्ष्मण और हिंदुओं की इस संस्कृत भूमि,जहाँ कोई भाई या बेटा राजा को नही मारता था,यहाँ पर हमने देखा-राजा के परिवार के सदस्य एक दूसरे की आँख नोच रहे,भाई भाई को मार रहा,वग़ैरह-वग़ैरह .

 



उन्होंने सभी आकर्षक युवा महिलाओं को हरेम में दास बनने के लिए रखा।
 
समरकंद में विशाल बीबी काहिंम मस्जिद का निर्माण किया गया था जो कि 92 विशाल हाथियों में लाए खजाना से बना था .

 


अधिकतर पैसा ओटोमन साम्राज्य के भाड़े के सैनिकों की भर्ती के लिए किया गया था।

किसी भी इतिहासकार ने कभी जाना है कि ओटोमैन इतने सफल क्यों थे?
उन्होंने अपने सैनिकों को अच्छी तरह से भुगतान किया, और उन्हें युद्ध की लूट की अनुमति दी। यह सिकंदर अलेक्सांद्र के प्रकार का नेतृत्व और प्रेरणा जैसी परिस्थिति नहीं थी .
 

कुत्तब-उद-दीन ऐबक ने दिल्ली में पहले मस्जिद का निर्माण किया- कुव्वत-अल-इस्लाम ने पृथ्वीराज द्वारा निर्मित महान मंदिर के पत्थर और नींव का इस्तेमाल किया।

 

इस मंदिर का एक हिस्सा अभी भी है और मस्जिद की पीठ पर है।
 
शमसुद्दीन इल्तुतमिश ने 11 वीं शताब्दी में वाराणसी के सभी महान मंदिरों को नष्ट कर दिया।
 
औरंगजेब ने दिवाली पर प्रतिबंध लगा दिया और सभी गैर मुसलमानों पर एक जबरदस्त जाज़िया  टैक्स लगा दिया।
बहुत सारे गरीब हिंदुओं ने इस तरह भी परिवर्तित कर दिया। औरंगजेब ने मूर्तियों को तोड़ा-


 

 

वह किसी भी मंदिर के अंदरूनी जगहों में दफन खजाने की तलाश में नहीं था। उसने वाराणसी और मथुरा में एक ही नींव और एक ही पत्थर पर महान हिंदू पत्थर के मंदिरों पर मस्जिद बनाए।

 
मथुरा में उसने कटरा मस्जिद  का निर्माण किया , लेकिन उसने मस्जिद के पीछे की मंदिरी दीवार को वैसा ही रखा .यह स्थान  पवित्र कृष्ण केशव देव मंदिर (जहाँ कृष्ण के पैदा होने की अफवाह है) का है .



इसके अलावा वाराणसी में विश्वनाथ मंदिर की जगह की भी जांच करें, 1669 में गंगा द्वारा निर्मित लंबी मीनार मस्जिद के साथ -उसकी  पिछली दीवार पुरानी मंदिर की दीवारों का उपयोग करती है।

मैं राम मंदिर और बाबरी मस्जिद के बारे में बात नही करूँगा,क्योंकि वो आग में घी डालने जैसा हो जाएगा . इस ब्लॉग का मकसद मुसलमानों पर उंगली उठाना नहीं है . मैंने क़ुरान पड़ी है और मैने पाया कि यह अच्छी किताब है जो की उस ज़माने के अरबी रेगिस्तानी लोगों के लिए बनाया गया था--पर तानाशाहों और शासनकरियों ने इसे खराब कर दिया..
 

 
मैं कलीकट से हूँ. हमारे रेकॉर्ड टीपू
सुल्तान के अत्याचार और मंदिरों की तबाही की  पुष्टि करते हैं .

 

वह सोने और हीरे की तलाश में था। उसका कोई शाही वंश नहीं था।

 

उसके पिता हैदर अली सिर्फ एक अवसरवादी सेनापति थे, जिन्होंने सही समय पर पदभार संभाला था। टिपू हैदर का बेटा उसकी दूसरी पत्नी फकरुनिसा से था . जब भी टीपू सुल्तान एक अभियान पर जाता था वह श्रीरंगापट्टनम के रंगनाथ मंदिर के हिन्दू ज्योतिषियों से सलाह लेता था---ऐसा विरोधाभास(paradox) था। उसने कलले में लक्ष्मीकांत मंदिर के ज्योतिषियों से भी परामर्श किया .

 

हैदर अली ने कालीकट के राजा झमोरीन (समथिरी) को घेर लिया। राजा ने अपने गन-पाउडर शस्त्रागार को उड़ाकर 1766 में आत्महत्या कर ली।
उन्हें डर था कि उनके स्वर्ण-ख़ज़ानों के ठिकाने का पता लगाने के लिए उनपर ज़ुल्म किया जाएगा।


ज़मोरीन के वित्त मंत्री पर अत्याचार हुआ और फिर उसे मार दिया गया .
 

ब्रिटिश रिकॉर्ड के अनुसार,उत्तरी केरल के मुसलमानों का एक बड़ा प्रतिशत जबरन टीपू सुल्तान ने परिवर्तित किया . लोगों ने चुपचाप कबूल किया, क्योंकि टीपू अत्याचार और आतंक से धार्मिक ज़ुल्म करने में एक्सपर्ट था। आज केरल की आबादी में 25% मुसलमान है।


उसने इस्लामी नामों से सभी कस्बों का नाम बदल दिया। कोझीकोड(कलीकट) इस्लामाबाद बन गया . आज केवल फररोक नामक कस्बा ही वैसा रह गया है, बाकी सभी का नाम वापस मूल रूप में कर दिया गया है।

ब्रिटिश ने कोझिकोड को कालीकट में बदल दिया आज फिर से यह कोझीकोड वापस आ गया है, मेरा पासपोर्ट इसका गवाह है।
 

बहुत सारे स्थानीय मुस्लिम समर्थकों(मपिला) ने हिंदुओं को आतंकित करके उनकी   पुरानी ज़मीनें(थारवाडु) और जायदाद हड़प लीं--ऐसा पोर्तुगालि एफ.र. बार्तोलोमाको का दावा है.
 


ब्रिटिश अभिलेखों के अनुसार इन प्राचीन मंदिरों को लूटा और तबाह कर दिया गया:-
त्रिप्रन्गोत,त्रिचेम्बारम,तिरुणावाया ,कालीकट ताली,हेमाम्बिका मदिर,पालघाट का जैन मंदिर,मम्मीयूर,तिरुवन्नूर,परामबाटली,वेंकितांगू,
पेम्मयानाडु,तिरुवांजिकुलम,तेरुवनाम,त्रिचूर का वादाखुँनातन,बेलूर शिव मंदिर,श्री वेलियनट्तुकवा, वराक्कल, पुथु, गोविंदपुरम, केरिलदीश्वर, त्रिकन्दियुरूर, सुकपुरम,मरनहे टेंपल ऑफ आअल्वंचेरी तंब्राककाल, वेंगरा टेंपल- अरणाडु, तिकूलम, रामनातकरा, अज़िंजलां इंडियाणनूर, वाडुकुंडा शिव मंदिर मादाई .

 
सबसे बड़ा नुकसान 7000 वर्षीय थिरुनावझा मंदिर का था जहाँ ढेरों वेदिक रेकॉर्ड थे. यह मंदिर 6000 वर्ष पुराना गुरुवायूर से भी पुराना था।
टीपू सुल्तान को हाइड्रोज़ कुट्टी द्वारा गुरुवायूर मंदिर को नष्ट करने से रोक दिया गया था जिन्होंने उन्हें बताया कि 8000 साल पुरानी काला मूर्ति को त्रावणकोर राज्य में अंबलपुज्हा श्री कृष्ण मंदिर में स्थानांतरित कर दिया गया है .


1791 में टिपू को अंग्रेजों ने मार दिया था। जहाँ पर वो गिरा,उधर एक पत्थर का स्मारक है, जिसे मैंने वो देखा है.उस्के श्रीरंगपट्टम के महल हिंदू मंदिर की तिजोरी से बनाए गये थे
 

2003 में टीपू सुल्तान की तलवार को विजय माल्या ने खरीदा था। टीपू सुल्तान की तलवार पे फारसी में एक शिलालेख(inscription) है:"मेरा विजयी साबर अविश्वासियों के विनाश के लिए चमक रहा है तू हमारा खुदा है, उसे विजयी बनाओ जो मुहम्मद के विश्वास को बढ़ावा देता है। उसे उलझाओ, जो मुहम्मद की आस्था को अस्वीकार कर देता है और उन लोगों से हमें रोको जो इतने इच्छुक हैं "।

 
टीपू ने तलवार तब छोड़ दिया, जब वह अलुवा में राजा त्रावणकोर के राजा से लड़ाई हारने के बाद लड़ाई मैदान से भाग रहा था.

 

आज भी आप पाएंगे कि उनका किला सुल्तान बैथरी सिर्फ एक जैन मंदिर है जिसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है। इस व्यक्ति के पास अन्य धर्मों के लिए कोई सम्मान नहीं था- सिवाय इसके कि जब वह अपने भविष्य को अग्रिम में जानना चाहता था .
 
जब उसे दफ़नाया जा
रहा था तब अंगेज़ों ने यह लिखा--आकाश उग आया और आनन्दित हुआ - या यह एक संयोग हो सकता है - यह 4 मई को कभी भी पहले की तरह बिना बारिश से बारिश हो सकता है .
 

अंत में:-क्या किसी को अंदाज़ा है  कितना ट्रिलियन अमरीकी डॉलर के मूल का सोना और हीरा यहूदियों(रोथसचाइल्ड),ईसाइयों(ब्रिटिश,पोरटुगाली) और मुसलमानों(ओत्टॉमान मुघल) ने हिन्दुस्तान से चुराया??
 
भारतीय वेदिक ज्ञान का क्या जिसे चोरी करके उन्होनें अपने नाम का पेटेंट लगाया और फिर हिंदुओं को मंद नस्ल बताया .

 

भारत ने अब तक अपने इतिहास में किसी भी अन्य देश पर हमला नहीं किया है।


https://www.youtube.com/watch?v=9IstZSgniH8

लगभग मुघल राज के सभी मस्जिद हिंदू मंदिर को तोड़कर बनाए गए थे . यह सोने के लिए और वास्तु पर आधारित सही जगह हासिल करने के लिए किया गया .

 
भारतीय हिंदू महिलाएँ, जो 1970 के दशक में
शादी करके ब्रिटेन में बसना चाहती थीं,उनपे ऐयरपोर्ट पर जब्रन
कौमार्य परीक्षण(virginity tests) करे गए. किसी और धर्म की महिलाओं पर ऐसा करने की उनकी औकात नहीं थी .ब्रिटिश प्रधानमंत्री आधिकारिक तौर पर इस बात पर सहमत हुए कि 1970स में ऐसे परीक्षण किए गए - जबकि वास्तव में सौ से अधिक गए थे।


 
हर कोई जानता है कि रजनीश, प्रभुपाद और कई अन्य  हिंदू आध्यात्मिक गुरु ईसाइयों द्वारा जहर देकर मारे गए थे . वे कट्टर भक्त  के रूप में आंतरिक चक्र में आए थे .ऐसा करने की क्या ज़रूरत है?
क्यों कृष्णा कॉन्षियसनेस को ईसा कॉन्षियसनेस में तब्दील किया गया,वो भी ऐसे लोगों के द्वारा जो की कोंसीऔसनेस्स का नहीं समझते .
 
जब भी कोई हिंदू अधिक सहता है, और शांतिपूर्ण तरीके से मौखिक रूप से इसका विरोध करता है, तो उसे तुरंत हिंदू राष्ट्रवादी और एक भयानक आतंकवादी से बुरा करार दिया जाता है .



यह नीचे एक नमूना है कि कैसे हिंदू  अपने ही देश में अपमानित किए जाते हैं-यह पेंटिंग मुस्लिम पेंटर एम.एफ.हूसेन ने बनाई थी .
हमारे यहाँ ईसाई, मुसलमान और हाइ-फ़ाई हिंदू ,विदेशी चंदों पे चलने वाले टीवी चैनलों पर आते हैं और यह घोषित करते हैं कि हूसेन साहब 'देवदूत' जैसे हैं और हिंदुओं को 'बोलने की आज़ादी' पर सहिष्णु होना चाहिए. एक बूखे ग़रीब हिंदू के लिए उसके भगवान ही उसकी उम्मीद की किरण हैं:

 
सीता मा श्री लंका में दस सिर वाले रावण की गोद में निर्वस्त्र बैठी है और अपने उखड़े बलों पे कंगी कर रही है---और भगवान हनुमान भी इसे देखकर हैरान हो गए .
 

उपर:- भगवान हनुमान छुपकर आश्चर्य होकर देख रहे हैं की क्या चल रहा है . उपर वाला आदमी(69 पोज़िशन) रावण या राम नहीं है ! मैं नही लिखूंगा यह कौन है,क्योंकि फिर लोगों का खून उब्लेगा!!!
 
उपर-सीता हनुमान की पूंछ पर टाँग खोलके बैठी है .
भगवान गणेश का लटका हुआ पेट--और उसपे साइंबोर्ड-ताना मारते हुए .


उपर-हिंदू भगवानों की हवस पार्टी

वैसे, शिव लिंग भगवान शिव की पिनीयाल ग्रंथि(pineal gland) है,नाकि उनका लन्ड -जैसा वॅटिकेन ने प्रचारित किया है .


यदि आप हिन्दू हैं, तो मेरा ये कहना है-"फटटू मत रहो" .ऐसा भी समय आता है कि अगर आप दूसरे गाल पे थप्पड़ खाते हैं तो आप गुलाम बन जाते हैं .मेरे माता-पिता गुलाम थे,और आपके भी,ज़रा इस्पे गौर करें .


जब पश्चिमी देश,9500 ईसा पूर्व में चतुर्थक बर्फ युग(quarternary ice age) से बाहर आए थे तब वे असभ्य थे, गुफ़ाओं में रहते थे और कच्चा माँस खाते थे . उस दौरान भारत एक महान सभ्यता थी, जहाँ राजा महलों में रहा करते थे,लोग सिल्क के कपड़े पहनते थे और संस्कृत में कविताएँ लिखी जाती थीं .
रोथसचाइल्ड(ईस्ट इंडिया कंपनी का मालिक) का एक कर्मचारी था मैक्स म्यूलर,जिसे वॅटिकेन ने विश्व-इतिहास को उलटने का आदेश दिया ताकि बाइबल की तारीखें सही साबित हों .

ईसाइयों की बाइबल के मुताबिक ब्रह्मांड का बड़ा धमाका(big bang) 23 अक्तूबर 4004 ईसा पूर्व में 9 बजे हुआ जबकि यह वारदात 1400 करोड़ साल पहले हुई थी . यह भी लिखा गया है की नोआह के चाप (noah's arc) और पार्टी के साथ बड़ी बाढ़ 2500 ईसा पूर्व में हुई(जीवन 4 अरब साल पहले धरती पर आया था) . 5000 ईसा पूर्व तक, भारतीय रिग वेद संस्कृत में लिखी जा चुकी थी .
इस ग्रह पर हर धर्म और प्रार्थना हिंदू धर्म से प्रेरित है और हर भाषा संस्कृत से निकली है .

आर्य अपना स्वास्तिका चिह्न(शिव के पुत्र गणेश की ताड़ पर बने) लेकर भारत से बाहर चले गए . आधुनिक डीएनए परीक्षण यह साबित करते हैं कि आर्य भारत में नहीं आए(जैसा कि हिटलर ने कहा था) बल्कि यहाँ से बाहर गये थे. भारतीय ड्राविदियान अनाहत चक्र '6 प्वाइंट स्टार' यहूदी धर्म द्वारा अपनाया गया है . शिव लिंगम मूर्तिपूजक मंदिरों के पत्थरों का मुख्य आकर्षण मक्का काबा, जेरूसलम और वेटिकन पर स्थित चट्टान के गुंबद हैं।

 



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कॉमेंट :

शफ़ीक़ अब्दुल्ला , 12 जनवरी 2014 को 7:44 पी.एम.
 
कप्तान, मैं वास्तव में आपके इस रिसर्च से बहुत प्रभावित हूं और मैं आपको इसके लिए सलाम करता हूं। मुझे लगता है कि इसे हमारे इतिहास की पुस्तकों में होना चाहिए क्योंकि हमें यह जानना चाहिए कि हम वास्तव में हैं कौन .

हमारी     तहज़ीब के लिए ये एक दुख की कहानी है और मेरा दिल उन सभी शुद्ध भारतीय आत्माओं के साथ है जो अपने वतन के लिए लड़े और अपनी जान गवाए बैठे ...मुझे ऐतराज है,जब आप कहते हैं कि कई हिंदू जानें गयीं . यह हक़ीकत में हमारे भी पूर्वज थे . मैं मुसलमान हूं लेकिन मेरा  यह मानना है कि मेरे पूर्वज भी हिंदू  थे।

अफसोस; मैं यही कह सकता हूं कि हमें एकजुट रहना चाहिए, चाहे कोई भी व्यक्ति किसी भी मज़हब का पालन करना चाहता हो .. धर्म पूरी तरह से एक व्यक्ति की चोइस होती  है .
मैं मुसलमान हूं लेकिन अगर टीपू या किसी अन्य व्यक्ति ने मेरे साथी भारतीय(हिंदू,क्रिस्चियन,मुस्लिम,यहूदी) के घर पर हमला किया तो मैं उन्हें बचाने के लिए अपनी जान तक कुर्बान कर दूँगा . 

यह हमारा भारत होना चाहिए, नाकी उन पाकियों की तरह जो यहाँ से फ़र्रार हो गये .

मैं अपने  भारत से प्यार करता हूं और आप को  सलाम करता हूँ। प्यार बाँटो  और एकजुट रहो . 

हमारी भूमि हमारे धर्म से ऊपर होनी चाहिए . ऐसा मेरे माता-पिता नें मुझे सिखाया , कि अपने वतन के लिए लड़ना ही असली जिहाद है जिसका कुछ आतंकियों ने ग़लत मतलब निकाला है .

मेरा मानना है कि शिक्षित और सच की राह पर चलने वाले लोग सांप्रदायिक हिंसा को अपने भाइयों बहनों के साथ सुलझाएँगे .
जय हिंद .

जवाब:

कैप्टन अजीत वाडकायिल, 12 जनवरी 2014 8:19 पी.एम.

नमस्ते  शफ़ीक़ अब्दुल्ला,

मैं चाहता हूं कि सभी भारतीय मुसलमान तुम्हारे जैसे हों - जहां पहले वफादारी वतन के लिए हो और फिर मक्का के लिए .

भारतीय, पाकिस्तानी और बांग्लादेशी मुसलमानों को एक यहूदी रोथसचाइल्ड के शाही सवारी के लिए लिया गया था- जिन्होंने अपने मुस्लिम कठपुतलियों का इस्तेमाल किया .

वे ये भी नही जानते क़ि यह दोनों  थे कौन -- जैसे भारतीय लोग गाँधी(यहूदी रोथसचाइल्ड का एक कठपुतली) की असलीयत नहीं जानते .
कितना शर्मनाक!!

हिन्दुस्तानी और पाकिस्तानी एक ही खून(डी.एन.ए.) के हैं--फिर भी पाकिस्तानी छोटी आँख वाले चाइनीज़ के साथ दोस्ती किए हैं(अवसरवाद).

भारत में पाकिस्तान से ज़्यादा मुसलमान हैं .
गौरवशाली सरस्वती नदी की वैदिक सभ्यता भारतीयों से ज़्यादा पाकिस्तानियों की है .

GOOGLE में टाइप करें -- SIR MUHAMMED IQBAL KNIGHTED FOR SCUTTLING THE KHILAFAT MOVEMENT VADAKAYIL
और
DAMA DAM MAST QALANDAR, A PRAYER TO A SINDHI HINDU SAINT JHULELAL VADAKAYIL
कॅप्टन अजीत वाड़काइल
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कॅप्टन अजीत वाडकायिल

2 comments:

  1. उत्कृष्ट
    अति सुन्दर

    कल्कि अवतार के आगमन की पृष्ठभूमि

    जय हो
    🇮🇳🇮🇳🇮🇳
    🙏🙏🙏

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  2. अति सुन्दर!
    मैं तो इसे पढ़कर भाव विभोर हो गया !

    धन्यवाद मेरे कप्तान!

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