Monday, 29 January 2018

नीम,एक क्वांटम दवाई-कॅप्टन अजीत वाडकायिल

 शुक्रवार, 21 जनवरी, 2011

यह पोस्ट नीचे वाले पोस्ट का हिन्दी अनुवाद है:
http://ajitvadakayil.blogspot.in/2011/01/neem-quantum-medicine-capt-ajit.html

ajitvadakayil.blogspot.in/

कुछ साल पहले, सऊदी हुकूमत ने मक्का के अराफात पर्वत पर 50000 नीम के पेड़ लगाने का आदेश दिया, जहां तीर्थयात्रियों सतर्क रहते हैं.



मैं कहूंगा, यह मक्का में किया गया दूसरा सबसे समझदार निर्णय है.सबसे पहला, पैग़म्बर मोहम्मद का 'अपने लोगों को सुअर ना खाने देने' का निर्णय.

एक आम भोले पश्चिमी को समझाएँ तो, यह निर्णय अच्छा क्रॉस वेंटिलेशन प्रदान करने के लिए और छाया देने के लिए किया गया है----जो कि छोटे तम्बू द्वारा प्रदान नहीं किया जा सकता क्योंकि गर्मी से आदमी पिघल जाएगा.
 बात इससे भी आगे की है.

भारत के आयुर्वेद ग्रंथ, 5000 ईसा पूर्व में नीम के बारे में बताते हैं। संस्कृत से अनुवाद,एक पैरा--
"नीम की छाल(bark) शीतल,कड़वी, कसैली, तीव्र और सर्द होती है। यह थकान, खांसी, बुखार, भूख की हानि, कीड़े के इन्फेक्षन में उपयोगी है। यह कफ, उल्टी की घावों और विकृत त्वचा रोग, अत्यधिक प्यास, और डाइयबिटीस जैसी समस्याओं को ठीक करता है.नीम के पत्ते आँखों के विकारों और कीट जहरों को ठीक करने में फ़ायदेमंद होते हैं. यह वॅटिक की गड़बड़ी को ठीक करता है.यह एंटी-लेप्रोटीक है. इसके फल कड़वे, रेचक,रक्तस्रावी(हेमोर्र्हॉइड) विरोधक और आंटी-थेल्मिन्तिक होते हैं."

भारत के अधिकांश घरों (शहरों को छोड़ दें) में नीम का पेड़ होता है. इसे अंग्रेजी में मार्गोसा कहा जाता है.इसका बोतानिकल नाम है आज़ादीरखता इंडिका-क्योंकि इसके जादुई गुण को सबसे पहले भारत में पहचाना गया था और फिर सम्राट विक्रमादित्य ने इसे चारों ओर फैलाया.

भारत ने निम और हल्दी के पेटेंट के लिए निहित अमेरिकी प्रयास का विरोध किया और जीता.एडिसन की तरह,प्राचीन भारतीयों को कभी ऐसे घिनौने तरीके से चीज़ें पेटेंट करने की ज़रूरत नहीं पड़ी.

नीम के वृक्ष पे घने पत्ते होते हैं.वसंत में, छोटे सफेद फूल खिलते हैं.बाद में जून में, छोटे फल हरे से पीले रंग में दिखाई देते हैं. इसमें एक बीज होता है जो कि नीम का तेल देता है।

नीम में कुछ जटिल ऑर्गॅनिक रासायनिक/ केमिकल कॉंपाउंड होते हैं जैसे आज़दीरखतीं, triterpenes, limonoids, nonterpenoids, hexanortriterpenoids, pentattriterpenoids etc. 

कुछ भी बेकार नहीं जाता--पौधे के हर हिस्से का उपयोग किया जाता है  जैसे पत्ते, फूल, छाल, सैप नीरा, बीज, तेल आदि.



नीम इन सब का विरोध करता है:
बॅक्टीरिया
फंगस/कवक
वाइरस
परजीवी/parasite
सूजन/inflammation
ज्वरनाशक/pyretic.

क्या मुझे कुछ और कहने की ज़रूरत है?
मुझे व्याख्या करना चाहिए--

यह मुँहासे, एलर्जी, दाद, जुराब,डैंड्रूफ्फ, बालों का झड़ना,रोमटाय्ड अर्थराइटिस, गाउट, कब्ज, कीड़े, मलेरिया, साइनस, खाँसी, एसटीडी, अल्सर, पॉक्स स्कैरिंग, पैर के फंगस को ठीक करता है.योनि के अंदर, नीम का उपयोग गर्भनिरोधक के रूप में किया जाता है। नीम का उपयोग एक कीटनाशक के रूप में भी किया जाता है।नीम चावल या आलू जैसा मुख्य खाना नहीं है.

यह कीड़े, मच्छरों और साँप को दूर करता है.यह पक्षियों को नुकसान नहीं करता.

सभी वेदिक ऋषि नीं के दातुन से अपने दाँत साफ करते थे.इसका कड़वा स्वाद जीभ के स्वाद को बदल देता है--पर्फ्यूम की दुकानों की तरह जहाँ आप कॉफी बीन की गंध के साथ अपने घ्राण इंद्रियों(olfactory senses) को प्रारूपित(format) करते हैं ताकि आप एक और पर्फ्यूम की गंध ले सकें.

इसका उपयोग भारत में खाद्य गोदामों में किया जाता है क्योंकि यह अवांछित कीट और दीमक को दूर करता है।छाल के चूर्णों और जड़ों को पालतू जानवरों पर लागू किया जाता है ताकि देहिका(fleas)) दूर हो जाए.

मेरे लॉन में, मैं नीम के बीज केक का उपयोग नाइट्रोजन के नुकसान को कम करने के लिए करता हूं और कवक को रोकने के लिए भी।

पुरी के मंदिरों में, भगवान की मूर्तियों को पुरानी नीम की लकड़ी से बनाया जाता है.

जब मैं शाम को अपने लॉन में बैठता हूं तब नीम के पानी को छिड़कर मुझे मच्छरों से छुटकारा मिल जाता है---मच्छरों की गंध इंद्रियों को बेवकूफ बनाकर.



    कॅप्टन अजीत वाडकायिल

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