Monday, 29 January 2018

नीम,एक क्वांटम दवाई-कॅप्टन अजीत वाडकायिल

 शुक्रवार, 21 जनवरी, 2011

यह पोस्ट नीचे वाले पोस्ट का हिन्दी अनुवाद है:
http://ajitvadakayil.blogspot.in/2011/01/neem-quantum-medicine-capt-ajit.html

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कुछ साल पहले, सऊदी हुकूमत ने मक्का के अराफात पर्वत पर 50000 नीम के पेड़ लगाने का आदेश दिया, जहां तीर्थयात्रियों सतर्क रहते हैं.



मैं कहूंगा, यह मक्का में किया गया दूसरा सबसे समझदार निर्णय है.सबसे पहला, पैग़म्बर मोहम्मद का 'अपने लोगों को सुअर ना खाने देने' का निर्णय.

एक आम भोले पश्चिमी को समझाएँ तो, यह निर्णय अच्छा क्रॉस वेंटिलेशन प्रदान करने के लिए और छाया देने के लिए किया गया है----जो कि छोटे तम्बू द्वारा प्रदान नहीं किया जा सकता क्योंकि गर्मी से आदमी पिघल जाएगा.
 बात इससे भी आगे की है.

भारत के आयुर्वेद ग्रंथ, 5000 ईसा पूर्व में नीम के बारे में बताते हैं। संस्कृत से अनुवाद,एक पैरा--
"नीम की छाल(bark) शीतल,कड़वी, कसैली, तीव्र और सर्द होती है। यह थकान, खांसी, बुखार, भूख की हानि, कीड़े के इन्फेक्षन में उपयोगी है। यह कफ, उल्टी की घावों और विकृत त्वचा रोग, अत्यधिक प्यास, और डाइयबिटीस जैसी समस्याओं को ठीक करता है.नीम के पत्ते आँखों के विकारों और कीट जहरों को ठीक करने में फ़ायदेमंद होते हैं. यह वॅटिक की गड़बड़ी को ठीक करता है.यह एंटी-लेप्रोटीक है. इसके फल कड़वे, रेचक,रक्तस्रावी(हेमोर्र्हॉइड) विरोधक और आंटी-थेल्मिन्तिक होते हैं."

भारत के अधिकांश घरों (शहरों को छोड़ दें) में नीम का पेड़ होता है. इसे अंग्रेजी में मार्गोसा कहा जाता है.इसका बोतानिकल नाम है आज़ादीरखता इंडिका-क्योंकि इसके जादुई गुण को सबसे पहले भारत में पहचाना गया था और फिर सम्राट विक्रमादित्य ने इसे चारों ओर फैलाया.

भारत ने निम और हल्दी के पेटेंट के लिए निहित अमेरिकी प्रयास का विरोध किया और जीता.एडिसन की तरह,प्राचीन भारतीयों को कभी ऐसे घिनौने तरीके से चीज़ें पेटेंट करने की ज़रूरत नहीं पड़ी.

नीम के वृक्ष पे घने पत्ते होते हैं.वसंत में, छोटे सफेद फूल खिलते हैं.बाद में जून में, छोटे फल हरे से पीले रंग में दिखाई देते हैं. इसमें एक बीज होता है जो कि नीम का तेल देता है।

नीम में कुछ जटिल ऑर्गॅनिक रासायनिक/ केमिकल कॉंपाउंड होते हैं जैसे आज़दीरखतीं, triterpenes, limonoids, nonterpenoids, hexanortriterpenoids, pentattriterpenoids etc. 

कुछ भी बेकार नहीं जाता--पौधे के हर हिस्से का उपयोग किया जाता है  जैसे पत्ते, फूल, छाल, सैप नीरा, बीज, तेल आदि.



नीम इन सब का विरोध करता है:
बॅक्टीरिया
फंगस/कवक
वाइरस
परजीवी/parasite
सूजन/inflammation
ज्वरनाशक/pyretic.

क्या मुझे कुछ और कहने की ज़रूरत है?
मुझे व्याख्या करना चाहिए--

यह मुँहासे, एलर्जी, दाद, जुराब,डैंड्रूफ्फ, बालों का झड़ना,रोमटाय्ड अर्थराइटिस, गाउट, कब्ज, कीड़े, मलेरिया, साइनस, खाँसी, एसटीडी, अल्सर, पॉक्स स्कैरिंग, पैर के फंगस को ठीक करता है.योनि के अंदर, नीम का उपयोग गर्भनिरोधक के रूप में किया जाता है। नीम का उपयोग एक कीटनाशक के रूप में भी किया जाता है।नीम चावल या आलू जैसा मुख्य खाना नहीं है.

यह कीड़े, मच्छरों और साँप को दूर करता है.यह पक्षियों को नुकसान नहीं करता.

सभी वेदिक ऋषि नीं के दातुन से अपने दाँत साफ करते थे.इसका कड़वा स्वाद जीभ के स्वाद को बदल देता है--पर्फ्यूम की दुकानों की तरह जहाँ आप कॉफी बीन की गंध के साथ अपने घ्राण इंद्रियों(olfactory senses) को प्रारूपित(format) करते हैं ताकि आप एक और पर्फ्यूम की गंध ले सकें.

इसका उपयोग भारत में खाद्य गोदामों में किया जाता है क्योंकि यह अवांछित कीट और दीमक को दूर करता है।छाल के चूर्णों और जड़ों को पालतू जानवरों पर लागू किया जाता है ताकि देहिका(fleas)) दूर हो जाए.

मेरे लॉन में, मैं नीम के बीज केक का उपयोग नाइट्रोजन के नुकसान को कम करने के लिए करता हूं और कवक को रोकने के लिए भी।

पुरी के मंदिरों में, भगवान की मूर्तियों को पुरानी नीम की लकड़ी से बनाया जाता है.

जब मैं शाम को अपने लॉन में बैठता हूं तब नीम के पानी को छिड़कर मुझे मच्छरों से छुटकारा मिल जाता है---मच्छरों की गंध इंद्रियों को बेवकूफ बनाकर.



    कॅप्टन अजीत वाडकायिल
नाज़ी ज़्यादा संस्कृत और दयालु थे-कॅप्टन अजीत वाडकायिल
गुरुवार, 27 सितंबर, 2012

यह पोस्ट निम्न लिंक वाले पोस्ट का हिन्दी अनुवाद है:-
http://ajitvadakayil.blogspot.in/2012/09/nazis-were-more-cultured-and-kinder.html

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फ़िलिस्तीन पर इजरायली क़ब्ज़ा, नाज़ी इनसे बेहतर मानव थे, फ़िलिस्तीन को यूएन द्वारा राज्य का दर्जा मिलेकॅप्टन अजीत वाडकायिल

"सच सच होता है भले कोई उसे विश्वास ना करे
झूठ झूठ होता है भले  हर कोई उसपे विश्वास करे "


विषय रेखा को सारी दुनिया में मतदान के लिए रखा गया है (इस्लामी दुनिया को छोड़कर, क्योंकि वे पक्षपाती हो सकते हैं)---43% दुनिया का मानना है कि ज़िोनिस्ट यहूदी इजरायल  नाज़ी जर्मनी से ज़्यादा खराब हैं.

पूरी दुनिया सोने का नाटक कर रही है और उम्मीद करती है कि कोई उन्हें जगाए. आज इसराइल के पनडुब्बी ईरान के नज़दीक आस-पास मंडरा रहे हैं.

देखें कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जिमी कार्टर का नीचे दिए गए वीडियो में क्या कहना है। हमें कर्मों की जरूरत है, नाकी शब्दों की.
 

 
फिलिस्तीन में, हम संयुक्त राष्ट्र द्वारा निंदा किए गए 'राज्य आतंकवाद' देख रहे हैं.ब्रिटन अमरीका और कुछ चाटुकार पेसिफिक आइलॅंड छोड़कर दुनिया के सभी देश इसके खिलाफ है .

इसराइल एक दुष्ट आतंकवादी मुल्क है.

गैर-यहूदी नीच माने जाते हैं.मुसलमानों के साथ हैवनों जैसा बर्ताव होता है. सभी मानवाधिकार इनकार कर दिए गए हैं।

प्रतिरोध को आतंकवाद कहा जाता है. फिलिस्तीनियों का अपराध यह है की वे अपने वतन में आज़ादी से जीना चाहते हैं.

इजराइल का AIPAC द्वारा अमरीकी मीडीया में बहुत दबदबा है इसलिए वे फ़िलिस्तीन मस्ले पर एकतरफ़ा कवरेज दिखाते हैं . ज़िोनिस्ट आईपैक लॉबी अमरीकी सदन को बताती है कि क्या करना है.

ज़िोनिस्ट आईपैक लॉबी अमरीकी सदन को बताती है कि क्या करना है.

शर्मनाक!

एआईपीएसी अमरीका की दोनों पार्टियों-रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स की तुलना में अधिक शक्तिशाली है. वॉशिंगटन में यह सबसे शक्तिशाली बल है.

एक तरह से वे अमरीकी कॉंग्रेस(सदन) के मालिक हैं. यदि आप 435 प्रतिनिधियों और सीनेटरों के मालिक हैं तो आप दुनिया पर शासन करेंगे।

जब अक्खड़ धौंसिया बेंजामिन नेतनयाहू ने मई 24,2011 में अमरीकी कॉंग्रेस को भाषण दिया  तब अमरीकी सांसदों ने उसके लिए 29 बार खड़े होकर ताली बजाई--आप ऐसा खुद ट्राइ करके देखें.

यह इतना अच्छे से संगठित था--कि कुछ यहूदी खड़े होकर ताली बजाएँगे और बाकी सांसद जॉर्ज ऑरवेल(ऐनिमल फार्म) के भेड़-बाकरों की तरह उनको फॉलो करेंगे.

धत्त्तेरी-बाद में यह पाया गया कि बहुसंख्यक सांसद डर से उठ गए, क्योंकि वीडियो कैमरे उन्हे रिकॉर्ड कर रहे थे और जो कोई बैठा हुआ दिखा,उसका अगली बार कॉंग्रेस में एलेक्ट होना बहुत मुश्किल हो जाएगा. ये है अमरीकी लोकशाही.



अमरीकी सांसद सामान्य इज़राइल-समर्थक मुहावरे बोलते हैं जैसे,"इसराइल के लिए हमारी अटूट कमिटमेंट" "हमारे साझा-मूल्य और गहरे संबंध" "लोकतंत्र के लिए एक आम प्रतिबद्धता". अमेरिकी सीनेटर आज्ञाकारिता और वफ़ादारी के भद्दे शर्मनाक बयान देते हैं ताकि उन्हें एलेक्षन के लिए आईपैक लॉबी द्वारा चंदा,मुनाफ़ा मिल सके..
 

इजरायल की तूती बोलती है.

नेतन्याहू का भाषण:---
"परमाणु हथियार वाला ईरान इस क्षेत्र के लिए ख़तरा है जो कि हमास का समर्थन करके इज़राईल-फ़िलिस्तीन के दरम्यान बवाल कराता है ."(तालियाँ!!तालियाँ!!--)

"जब हम कहते हैं कि एक परमाणु हथियारधारी ईरान हमें मंज़ूर नहीं, तो नहीं!"
(और तालियाँ!!तालियाँ!!--)

बेहूदा दावा यह है कि अमेरिका को आतंकवाद के खिलाफ इजरायल की लड़ाई का समर्थन करना चाहिए क्योंकि इस्राइल पश्चिमी सभ्यता और अमेरिका के हित का बचाव कर रहा है  जो की एक सफेद झूठ है.

अंतराष्ट्रीय समुदाय चुप्पी से या कमज़ोर बयानों से इज़रएली अराजकता को प्रोत्साहन देते हैं.

अमेरिका का इसराइल के साथ "मृत्यु तक एक साथ"  जैसा संबंध अमेरिका की तटस्थ, ईमानदार और निष्पक्ष छवि को कम करता है.

 
अमेरिका से इज़राईल का मनोवैगयानिक बंधन  ने अमेरिका की राजनीतिक संस्कृति और अमेरिकी समाज को पूरी तरह से कमजोर कर दिया है।पूरी दुनिया जानती है कि अमेरिका का ईरान को धमकाना और इज़राईल का समर्थन करना बेतुका है. ईरान के पास एक भी परमाणु हथियार नही है जबकि इज़राईल के पास 400 से ज़्यादा परमाणु हथियार हैं और उन्होने साफ़तौर पे कहा है की ज़रूरत पड़ने पर वे इसका इस्तेमाल युरोपियन मुल्कों के खिलाफ भी करेंगे!!

 


चौथा जिनेवा के अनुच्छेद 53 में कहा गया है:
"Any destruction by the Occupying Power of real or personal property belonging individually or collectively to private persons, or to the State, or to other public authorities, or to social or cooperative organizations, is prohibited, except where such destruction is rendered absolutely necessary by military operations."
 
इज़राईल सबको चॅलेंज करता है. वह अंतराष्ट्रीय क़ानून की धज्जियाँ उड़ाता है क्यूंकी कौन उसे ज़िम्मेदार ठहराएगा?

फ़िलिस्तीनी संपत्ति का विनाश सैन्य आवश्यकता की वजह से नही हो रहा. इज़राईल बिना किसी डर के अपना काम करता है क्योंकि विश्व के नेता उन्हें ऐसा करने देते हैं.

कल्पना करिए  कि आप फिलिस्तीनी हैं और 46 सालों से ये सब से रहे हैं.

अमेरिका इराक और लीबिया के तानाशाही के बारे में चिंतित है,लेकिन वे मध्य पूर्व में तानाशाही के बारे में परवाह नहीं करते हैं, क्योंकि ये तानाशाह राजा उनके प्रकार के तानाशाह हैं जो उन्हें सस्ता तेल बेचेंगे, और  रोथसचाइल्ड नियंत्रित स्विस बैंकों में अपनी कमाई डालेंगे.

रोथसचाइल्ड के चम्चे चर्चिल ने प्रथम विश्व युद्ध में यात्री जहाज ल्यूसितानिया को डूबा दिया जिससे अमेरिका को युद्ध में आने का बहाना मिल गया. चर्चिल की मां जेनी जेरोम रोथसचाइल्ड परिवार से थी . उपर की घटना से प्रथम विश्व युद्ध शुरू हुआ और 1916 में इजरायल के जन्म के लिए 'बारफ्लोर डिक्लरेशन' सामने लाया गया.
 

ब्रिटिश ईसाइयों को इस बारफ्लोर घोषणा के बारे में भी पता नहीं था . रोथसचाइल्ड के कठपुतली चर्चिल ने पर्ल हार्बर के बहाने से दूसरे विश्व युद्ध का आगमन किया.

दूसरे विश्व युद्ध के बाद ही इज़राईल  अस्तित्व में आया . 60 लाख यहूदी मौतों की कहानी बकवास है . वास्तविक गिनती इस का 1/6 है। यदि आप इस नंबर पे सवाल उठाते हैं तो 18 देश ऐसे हैं, जिनके नियम के अनुसार आपको जेल भेज दिया जाएगा.

इजरायल बनाने की विचारधारा 'ज़ियोनिस्म' थी . ज़ियोंनिज़्म तालिबान समान है.सारे मुसलमान तालिबानी नहीं होते.वैसे ही सारे यहूदी ज़िोनिस्ट नही होते.


समय के साथ जब उनकी ताक़त बड़ी,तब ज़ियोनिस्टों ने "वादा किया हुआ देश,प्रॉमिस्ड लैंड" का खूब प्रचार किया .

इसराइल में कोई भी यहूदी फिलिस्तीन से नहीं हैं . वे जॉर्जिया क्षेत्र के ख़ज़ार हैं. मूल यहूदी केरल के लोगों से संबंधित हैं। मैं केरल से हूँ. यह सब रोथसचाइल्ड का बनाया हुआ एक बड़ा झूठ है. जब से फिलीस्तीन को ऑटमन से अंग्रेजों ने "मुक्त" किया तब से उन्हें शांति,सुरक्षा नही मिली है.

अमेरिका में यहूदी अमीरज़ादों के आशीर्वाद से फिलिस्तीनी संयुक्त राष्ट्र के रेज़ल्यूशन 181 के तहत अपने ही देश में स्टेटलेस हो गए.

उनकी भूमि के साथ, उनके अधिकार भी छीन लिए गए . रोथसचाइल्ड के पश्चिमी मुल्कों की पूर्ण सहायता के साथ इज़राइल ने मिस्र,जॉर्डन,सिरिया,इराक़ से युद्ध किया और फ़िलिस्तीन की 50% ज़मीन को 6 महीने के भीतर हड़प लिया.

यह अवैध रूप से छीने गए क्षेत्र में गलिली,तटीय क्षेत्र,उत्तर-पश्चिमी जरूसलम आते हैं . फिलिस्तीनियों को वेस्ट बैंक और गाज़ा ही मिला,ये वे लोग हैं जो हज़ारों साल से उधर रह रहे थे.
800000 फिलिस्तीनियों को अपनी ज़मीनें छोड़के भागना पड़ा और पूरी दुनिया और संयुक्त राष्ट्र मुख दर्शक रह गए. कौन मुसलमानों की परवाह करता है? वे ईसाई या यहूदी नहीं हैं, है ना?

मध्य पूर्वी और इस्लामिक देशों के शासकों को उनके निजी काले धन के बारे में अधिक चिंता हैं जो कि रोथसचाइल्ड के स्विस बैंकों में रखे हैं. अगर इन शासकों ने ज़्यादा मूँह खोला या ज़्यादा होशियारी दिखाई तो इनके स्विस बैंक के अकॉंट फ्रीज़ या ब्लॉक हो जाएँगे.
 

ये शरणार्थियों को केवल अपनी मातृभूमि पर लौटने की इच्छा है. इजरायल अब वेस्ट बैंक के 97% और गाजा पट्टी के 41% से अधिक इलाक़े में राज करता है. यह दोनों इलाक़े फिलिस्तीनी औथोरेटी के अंतर्गत आते हैं. पश्चिमी तट पे रहने वाले फिलिस्तीनी और गाजा के लोग आज़ादी से चल नहीं सकते.

1993 के ओस्लो समझौते के बाद से ही इसराइल कब्जे वाले इलाक़ों में यहूदियों को बसने के लिए प्रोत्साहित दे रहा है इसलिए 50% ज़प्त ज़मीन पे कट्टर यहूदियों रहते हैं जो कि इज़रईली बंदूक-नीति के समर्थक हैं.
 

बसने वाले लोग अपने घरों को उपजाऊ भूमि पर ही बनाते हैं. हर पश्चिमी मीडिया ग़लत रिपोर्टिंग करता है क्योंकि लोग मुसलमान हैं-फिलिस्तीनियों को आतंकवादी बताया जाता है. पक्षपाती पश्चिमी मीडिया के अनुसार, फिलिस्तीनी हमेशा क्रॉस फायर में मारे जाते हैं।

अमेरिका सुनिश्चित करता है कि इजरायल हमेशा निर्दोष रहे और ये कि उन्हें फ़िलिस्तीनियों द्वारा घेरा गया है...वे कभी भी क़ब्ज़े वाली फिलिस्तीनी ज़मीन के बारे में बात नहीं करेंगे. फ़िलिस्तीनियों को हमेशा हिंसा के हर कार्य के लिए जिम्मेदार बताया जाता हैं.


इज़राईल को मध्य पूर्व में स्थिरता के देश के रूप में जाना जाता है. पश्चिमी मीडिया द्वारा किया गया कोई भी रिपोर्ट हमेशा इजराइली वरज़न होता है. इज़रईली आरामदायक ज़िंदगी जीते हैं--उनके बिल्डिंग,होटेल,स्विम्मिंग पूल,बुलेवार्ड सब फिलिस्तीनी ज़मीन पर बनाए गए हैं . उनके बच्चे स्कूल जाते हैं.

दूसरी ओर,फिलिस्तीनी बच्चों के पास जाने के लिए कोई स्कूल नहीं है. उन्हें पीने का सॉफ पानी भी नहीं मिलता और वे हमेशा इज़राईली हमले से डर के साए में रहते हैं . यहूदी निवासियों के पास बहुत पैसा है, और वे की सुरक्षा फेन्स के भीतर रहते हैं, जबकि फिलिस्तीनियों के पास कुछ नहीं है - क्योंकि वे मुसलमान हैं, है ना?

हर पश्चिमी शांति प्रस्ताव नकली होता है.


फसल के समय इस्राइली सैनिक फ़िलिस्तीनियों को अपनी भूमि तक पहुंचने से रोकते हैं।  वे वारंट के बिना किसी भी फिलिस्तीनी को गिरफ्तार कर सकते हैं और जानबूझकर अदालती सुनवाई स्थगित करते हैं . गाजा पट्टी पर कोई मछली पकड़ने की अनुमति नहीं है. 


सभी फिलिस्तीनी उपज यहूदी एजेंट के माध्यम से जाता है, जिसमे ये यहूदी  सदियों से एक्सपर्ट हैं . केवल यहूदी ही एक्सपोर्ट कर सकते हैं.
चेन आरी का उपयोग करके शताब्दियों पुराने फिलिस्तीनी जैतून वृक्षों को काट दिया गया है। फिलिस्तीनी,छोटी रकम लेकर,यहूदियों के फैगिन और शाइलॉक जैसी दुकानों में काम कर सकते है.

यदि कोई फिलिस्तीनी घर खाली है तो यह इजरायल सैनिकों द्वारा बुल्डओज़र से नष्ट कर दिया जाएगा--सभी
सरकार द्वारा प्रोत्साहित.
 

वे फिलिस्तीनी सेटल्मेंट पत्रों के साथ खेलते हैं और जब इसकी समय सीमा समाप्त हो जाती है तब उनकी सामाजिक सुरक्षा नहीं रहती और वे निर्वासित हो जाते हैं. फिलिस्तीनी लोगों को मायूस करने के लिए वे जमीन के पानी को खीच लेते है. यदि एक यहूदी एक फिलीस्तीनी को गोली मारना चाहता है, तो वह इजरायल सैनिकों द्वारा रोका नहीं जाएगा।


जब फ़िलिस्तीनियों को बिना वजह बिना वारंट के गिरफ्तार किया जाता है, वे वकीलों या परिवार से मिलने के हकदार नहीं होते.
प्रत्येक यहूदी बच्चे को ब्रेनवॉश किया गया है कि एक फिलीस्तीनी मुस्लिम उसका दुश्मन है. फिलिस्तीनी अपने मरे लोगों के लिए स्मारक या समाधि का पत्थर भी नहीं बना सकते।

 

ये चुतीयापा बहुत लंबे समय से चल रहा है!

क्या हमारी अंतर-आत्मा नही है?

क्या हम जानवर हैं? अब बहुत हो गया!
 
क्या हमें 3 विश्व युद्ध की ज़रूरत है?

हम सभी जानते हैं कि संयुक्त राष्ट्र की औकात क्या हैं और कौन इसे नियंत्रित करता है, है ना?

ईरानी फटटू नहीं हैं. वे लड़ना जानते हैं. बहुत जल्द पूरी दुनिया इसकी चपेट में आ जाएगी.
 
हमें पता है कि कैसे यहूदियों ने दो विनाशकारी विश्व युद्ध लाए.

मैं एक गल्फ बंदरगाह में मैं एक फिलीस्तीनी पायलट (एक शरणार्थी) की दास्तान सुन रहा था. बीच में ही वह रोने लगा फिर मुझे अपने जहाज़ के सुरक्षा की चिंता होने लगी;क्या किसी को परवाह है?

अब से 20 साल बाद, मैं भविष्यवाणी करता हूं कि ये ज़ियोनिस्ट गुंडे आंतरिक हिंसा के द्वारा  इतिहास के कूड़ेदान में होंगे--मेरी भविष्यवाणी हमेशा सही रही है.
 

https://www.youtube.com/watch?v=5DEoDgq4rME

 

कॅप्टन अजीत वाडकायिल
चिकनगुनया,लैब में बनाई गई बीमारी,कॅप्टन अजीत वाडकायिल

रविवार, 5 अगस्त, 2012

यह पोस्ट निम्न लिंक  पोस्ट का हिन्दी अनुवाद है:-
http://ajitvadakayil.blogspot.in/2012/08/chikungunya-disease-created-in-lab-capt.html

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चिकनगुनया वाइरस  (CHIKV) एक अमरीकी लैब में बना है और यह इंसानों में अएडेस आइग्यप्टि आंड अएडेस आल्बॉपिक्टस मच्छरों द्वारा फैलता है.

नीचे: यह मच्छर मुख्य रूप से दिन के समय में काटता है - जब आसमान में बादल होते हैं.
 
इसका कोई भगवान की प्रतिरक्षा या इलाज नहीं है --लालची दवाई कंपनियाँ और उनके घूसख़ोर डॉक्टरों  के दावों को ना माने.

इसमें और भी अन्य उपभेद
होते हैं:-
- रॉस रिवर फीवर
- डेंगू फीवर
- ब्रेक बोन फीवर
- ओ न्योंग न्योंग फीवर आदि

पर ये चिकनगुनया जितने घातक नही होते.

1981 में अमरीका ने क्यूबा के फिदेल कास्त्रो को सबक सिखाने के लिए इन उपभेदों का इस्तेमाल किया.

एक बार जब यह वाइरस जिंदा जीव के सेल में घुस जाता है तब यह खुद से ही अपनी संख्या बड़ाता है और मेजबान सेल की चयापचय प्रक्रियाओं(metabolic processes) को चलाने लगता है . चिकनगुनिया आल्फा-वाइरस परिवार का है.


ऊष्मायन अवधि या इंक्युबेशन पीरियड आम तौर पर 1-12 दिन का होती है। इसका मतलब यह है कि मच्छर के काटने के बाद रोग 1 से 12 दिनों के पश्चात प्रकट होता है। 


चिकनगुनिया का निदान:
1. वायरस आइसोलेशन टेस्ट के द्वारा या
2.आईजीएम के एंटीबॉडी परीक्षण तथा वायरस जीन संरचनाओं के आनुवांशिक पहचान(जेनेटिक आइडेंटिफिकेशन) के द्वारा किया जाता है. 


 सी या ई1 जीनोम का मिलना या 'आंटिबॉडी की अधिक मात्रा' चिकनगुनया वाइरस का पॉज़िटिव परिणाम देती है . चिकनगुनिया के लक्षणों में बुखार, ठंड लगना, मतली, सिरदर्द और आर्तराईटीस(जोड़ दर्द) शामिल हैं।

इस बीमारी के कारण अत्यधिक हड्डी के जोड़ों में दर्द पुराने नागरिकों को खत्म करने में करीब दो साल लगते हैं और कई मामलों में वे कभी ठीक नहीं होते. पुराने लोगों को शौचालय के लिए रेंगकर जाना पड़ता है और खुद से खाना खाने को भी नहीं हो पाता.  पैर के दर्द के कारण आप ड्राइविंग व्हील नहीं पकड़ सकते या जूते नहीं पहेन सकते।

कुछ लोगों को धड़ और आंग में दाने आते हैं जो लाल रंग के होते हैं और दबाने के बावजूद गायब नहीं होते.
 

इसका फीवर सचमुच में आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को नष्ट कर देता है. वायरस बूड़े लोगों के लिए एक बड़ा खतरा है। यह पक्षाघात, गुर्दा और लिवर विकार और मस्तिष्क संबंधी समस्याएं पैदा कर सकता है। बीमारी लंबे समय तक  होने से सोचने की शक्ति में गिरावट आता है. 

चिकनगुनिया आपके सिस्टम को थोड़ा-थोड़ा करके तब तक खाता है जब तक कि यह पूरी तरह से मानव शरीर के सभी कामकाजी अंगों को ख़त्म ना कर दे.
 
अमरीकी जैविक हथियार(biological weapons) कार्यक्रम आधिकारिक रूप से यहूदी अमेरिकी राष्ट्रपति 'फ्रैंकलिन रूजवेल्ट' के आदेशों पर 1 943 के वसंत में शुरू किया गाया. परमाणु बम की तुलना में एक जैविक हथियार अधिक प्रभावी हो सकता है. चूंकि यह बीमारी अमरीकी प्रयोगशाला मेंबनाई गई है, इसलिए इसका कोई इलाज नहीं है। अमेरिकी सेना केमिकल कॉर्प्स के 'रिसर्च आंड इंजिनियरिंग डिवीज़न'  के तत्वावधान में अमेरिकी जैव-हथियार सुविधा मैरीलैंड के कैम्प डेट्रिक में स्थित थी।

 
अमरीकियों ने फोर्ट टेरी में जैव-युद्ध सुविधाओं को भी बनाए रखा.. स्टोरेज डंप 'पाइन ब्लफ आर्सेनल' में था. 1969 में, राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने अमेरिका के जैव हथियार कार्यक्रम के सभी आक्रामक पहलुओं को समाप्त कर दिया। यह राष्ट्रपति निक्सन था जिसने वियतनाम में एजेंट ऑरेंज केमिकल युद्ध पे रोक लगाई थी-इसके बावजूद वे रोथसचाइल्ड नियंत्रित मीडीया में बदनाम किए जाते हैं..

 
स्त्री मच्छर ही खून को चूस्ती है क्योंकि उसे अंडे देने लिए खून के प्रोटीन की आवश्यकता होती है. महिला 'एडीज मच्छर' अंडे देने के लिए एक उपयुक्त जगह की खोज करती है और आमतौर पे स्थिर पानी इस काम आते हैं.. पुरुष मच्छर आमतौर पर अमृत पौधे पर ही फ़ीड करते हैं। चिकुनगुनया वाले मच्छर आमतौर पे दिन में ही काटते हैं जब भारत में बारिश का मौसम होता है और धूप ना निकली हो. मलेरिया के मच्छर रात को काटते हैं.


यह मच्छर शरीर की गंध,कार्बन डाइऑक्साइड या गर्मी की ओर आकर्षित होता है. इसको छलावरण(कैमोफ़लाज़) करें.

यह बीमारी (जैसे एड्स) एक प्राकृतिक बीमारी नहीं है बल्कि इसे  अमरीकी लैब में  बनाया गया है...इसका एकमात्र "निवारक" समाधान यह है कि एक आनुवंशिक रूप से संशोधित 'पुरुष मच्छर' का उत्पादन करना जो स्त्री मच्छर के साथ प्रजनन करके कमज़ोर या शून्य सन्तान पैदा करे. हालांकि यह एक बड़ा खतरा है, और इसलिए बुद्धिमान लोगों द्वारा किया जाना चाहिए ..एक अन्य समाधान महिला मच्छर की एक ही ध्वनि आवृत्ति उत्पन्न करना है जो कि प्रतिकारक अनुनाद(रिपल्सिव रेज़ोनेन्स) है।


चूंकि इस रोग को प्रयोगशाला में बनाया गया था,तभी यह बताया गया है कि जब बीमारीफैलने लगती है, तब ईसाई मिशनरी चिकित्सा शिविरों की स्थापना करते हैं और आशाहीन पीड़ितों को जीसस का नाम लेकर झूठे इलाज करते हैं--यह जॉश्वा प्रॉजेक्ट पार्ट-2 है.


एक प्लेटलेट की औसत उम्र सामान्यतः केवल 8 दिन होती है। यदि प्लेटलेट्स की संख्या बहुत कम है, तो अत्यधिक खून बह सकता है। हालांकि, यदि प्लेटलेट्स की संख्या बहुत अधिक है, तो खून में क्लॉट बन सकता हैं ,जो रक्त वाहिकाओं(वेसल्स) को बाधित कर सकता है और स्ट्रोक, म्योकार्डिअल अवरोधन, फुफ्फुसीय अवरोध या शरीर के अन्य हिस्सों में रक्त वाहिकाओं की रुकावट जैसी समस्याएं हो सकती हैं.

एक स्वस्थ व्यक्ति में सामान्य प्लेटलेट गिनती रक्त के प्रति  160,000 μएल (माइक्रोलाइट्रर) से अधिक होती है।
 
चिकनगुनिया बहुत कम रक्त प्लेटलेट गिनती का कारण बनता है।

 

आयुर्वेदिक इलाज:- दो पपीते को मिक्सर में डालें और रस निकालें। चिकनगुनिया के लिए स्टेबलाइज़र के रूप में, हरा रस का एक चम्मच 6 घंटे में एक बार दिया जा सकता है जो कि प्लेटलेट संख्या स्थिर करता है.ये जादू की तरह काम करेगा.

कृपा और शांति!


कॅप्टन अजीत वाडकायिल

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Sunday, 28 January 2018

असंख्य होलोकॉस्ट और जनसंहार-कॅप्टन अजीत वाडकायिल

Monday, July 25, 2011


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अन्गिनत कत्लोगारत - मुसलमानों और ईसाइयों द्वारा हिंदुओं का जनसंहार -सबसे बुरा उत्पीड़न -एक शानदार 11000 साल पुराने सभ्य निवासियों का विनाश

 मुझे 7000 साल पुरानी वैदिक मंत्र के इस वीडियो (ऊपर) के साथ शुरू करना  चाहिए --कृपा और शांति

इस पोस्ट को मंत्र प्ले करके पड़ने का प्रयास करें .
 
ऊपर का नक्शा प्राचीन हिन्दू भारत का है --जो की सिकंदर अलिक्सांदर को भारत से भगाए जाने के बाद का है .
मुसलमानों द्वारा भारत पर हमला होने के बाद का नक्शा नीचे है;
 


 
पूरी दुनिया को कई नरसंहारों और खूनखराबों के बारे में पता है जो सदियों से होते आए हैं . सबको तालिबान द्वारा  बामियान बुद्ध मूर्ति विनाश  के बारे में पता है .
 

इतिहासकारों ने उन सभी की मात्रा निर्धारित कर दी है--चाहे वह हिटलर का हो, या अमेरिका के रेड इंडियन्स का या ऑस्ट्रेलियाई आदिवासियों का या सर्बियाई का या स्पेनिश क्रूरता या बाकी किसी और का .

 

यहां तक कि अंग्रेजों ने भी हिंदू नरसंहार का आकलन करने की परवाह नहीं की जो कि 900 साल तक हमलावर मुसलमानों और मुस्लिम शासकों के हाथों हुआ .
पिछले 800 सालों में 9 करोड़ मासूम हिंदुओं का कत्ल हुआ  - किसे परवाह है ?

इस 9 करोड़ की संख्या में शामिल नहीं है;

 2010 में श्रीलंकाई तमिलों का विशाल नरसंहार--
या
13 लाख भारतीय गुलाम-मज़दूर (indentured labourer),जिन्हें अँग्रेज़ों ने दोखा देकर विदेश भेजा और उनसे गुलामों वाले काम करवाए
या
भारतीय फ़ौजी जिन्हें दोनों विश्व युद्ध में बलि-के-बकरे की तरह इस्तेमाल किया गया और जिन्हें स्मारकों के बिना दफ़नाया गया .

1 लाख 11 हज़ार भारतीय फ़ौजी पहले विश्व युद्ध में
और
2 लाख 43 हज़ार भारतीय फ़ौजी दूसरे विश्व युद्ध में मारे गये थे.

हम देखते हैं बेवकूफ़ हिंदुस्तानियों को जो की  यहूदियों के नकली 60 लाख होलोकॉस्ट मृतकों के लिए रोते हैं .


एनसाइक्लोपीडीया ने भी इसे रेकॉर्ड नही किया था,लेकिन इस ब्लॉगसाइट ने उन्हें मजबूर किया यह करने में .


इस 9 करोड़ वाली संख्या में भारत की अकाल की मौतें शामिल नहीं है-जो कि इस उपजाऊ देश में जान-बूझकर लाई गयी थी .

98 लाख भारतीयों की मृत्यु 1769 के महान विनाशकारी अकाल में हुई थी .यह अकाल रोथसचाइल्ड द्वारा ईस्ट इंडिया कंपनी के कर्मचारी वॉरेन हेस्टिंग्स ने जान-बूझकर लाई थी ताकि किसान खाद्य फसल  छोड़कर अफ़ीम,नील,जूट की फसल उगाएं .


1832 में महान गुंटूर अकाल के बारे में कोई बात नहीं करता जिसे भी जान-बूझकर लाया गया था ताकि लोग अपनी उम्मीद खो बैठें और विस्थापित होकर गुलाम-मज़दूरी करने विदेशों में चले जाएँ .
रोथसचाइल्ड ने दो साल पहले ही योजना बना ली थी क्योंकि 1834 में काला-गुलामी को समाप्त किया गया और भारतीय गुलाम-मज़दूरों ने इनकी जगह ले ली .
 
1866-67 में रोथसचाइल्ड की वजह से आए महान  उड़ीसा अकाल के बारे में कोई बात नहीं करता 1866-67 में रोथसचाइल्ड की वजह से आए महान  उड़ीसा अकाल के बारे में कोई बात नहीं करता,जिसमें 58 लाख हिन्दुस्तानी भुखमरी से मारे गये थे .
 
1876-78 में भारत में आए महान अकाल के बारे में कोई भी बात नहीं करता जिसमें 63 लाख लोग मारे गए थे. उसका मकसद यही था की लोग भारत छोड़कर विदेश में गुलाम-मज़दूरी करने चले जाएँ .
महान अकाल (1899-1900 -10.1 करोड़ से ज्यादा मृत) की वार्ता के बारे में कोई नही बोलता जिसे वाइसरॉय कर्सन द्वारा शुरू की गई ताकि भारतीय पुरुष रोथसचाइल्ड की ब्रीटैश इंडिया आर्मी में नामांकन करें और मुफ़्त का खाने का राशन पाएँ . यह आज भी एक रहस्य है ..

हम भारतीय 1943 (बंगाल) में जान-बूझकर लाए अकाल से परिचित हैं जिसमें 52 लाख लोग मारे गए थे . इस अकाल के लिए अमरत्या सेन ने अँग्रेज़ों को क्लीन-चिट दी जिसके परिणामस्वरूप उन्हें नोबेल प्राइज़ से नामज़ा गया . रोथसचाइल्ड ने सुभाष चंद्र बोस के बंगालियों को सज़ा दी जिन्होंने दूसरे विश्व युद्ध में ब्रिटिश पक्ष से जापानी पक्ष में छलाँग लगाई .

http://ajitvadakayil.blogspot.in/2010/04/indentured-coolie-slavery-reinvented.html



 



नॉर्वे में सिर्फ 68 लोग मारे गए,और बीबीसी / सीएनएन स्मारक सेवाओं को घंटे प्राइम टाइम पर लाइव दिखाया--क्योंकि वे गोरे ईसाई हैं .


तलवार-की-धार पर रूपांतरण के लिए लाखों हिंदुओं को इस्लाम में तब्दील होना पड़ा जिसे इस पोस्ट में शामिल नहीं किया गया है।
 

 
आज किसीको परवाह नही--विजय माल्या ने टीपू सुल्तान की तलवार ख़रीदकर लाई जिसने पचासों बंधक(पेड़ से उल्टा लटकाए) हिंदुओं का लहु बहाया .

 

हमलावर मुसलमानों ने आकर्षक युवा महिलाओं के मृत शरीर को कभी भी नहीं छोड़ा।
 

 

जब तक मृत शरीर गंध नहीं करता या ठंडा,कठोर नहीं हो जाता,तब तक यह बेहूदा मुस्लिम हमलावर मृत शरीर के साथ सेक्स करते थे .
राजपूत महिलाएँ आग में कूद कर जान दे देती थीं ताकी वो ज़िंदा ना पकड़ी जाएँ क्योंकि फिर उन्हें स्त्रीगृह में बेचकर उनका बलात्कार किया जाता था .



लगभग सभी प्राचीन हिंदू मंदिरों और महलों पर हमला करके विदेशी आक्रमणकारियों नें उन्हें     धराशायी किया .
 

शुरू में वे  गुप्त वाल्टों या भूमिगत कुओं में छिपा हुआ सोना और हीरे का पता लगाने के लिए करते थे .

 

बाद में, औरंगजेब की तरह मुस्लिम शासकों के लिए यह काफिरों के स्थानों को नष्ट करने के लिए किया जाता था .

 

 
160 साल पहले भारत इस धरती पर हीरे का एकमात्र स्रोत था।

त्रिवेन्द्रम केरल के एक छोटे श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर में 2 हफ्ते पहले, 24 अरब अमरीकी डॉलर का सोने और हीरे का पता चला था। एक न्यायिक जुडीशियल आदेश के कारण मुख्य पत्थर काल्लरा वाल्ट्स अभी तक खोले जाने बाकी हैं।
 
येह सोना एक पुल्ली प्रणाली द्वारा वाल्टों में उतारा गया था, क्योंकि यह डर था कि कहीं टीपू सुल्तान (केरल के) राजा वर्मा को ना हरा दे

 

 

टीपू सुल्तान की हत्या के बाद, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के मालिक रोथसचाइल्ड परिवार  कई जहाजों में सोना उठाके ले गये .
 
1858 में, सिपाही विद्रोह के बाद और भारत पर कब्जा करने के बाद-ईस्ट इंडिया कंपनी के मालिक रोथसचाइल्ड ने ताजमहल के शिखर के ठोस स्वर्ण हटाए और उन्हें ब्रिटेन भेज दिया--

 

 
--और उन्हें वैसे ही दिखने वाले पीतल से बदल दिया .

 
उन्होंने सभी कीमती पत्थरों को निकाल दिया जैसे कि रजत, नीलमणि, पन्ना, ताजमहल के हीरे और अर्द्ध कीमती पत्थरों के साथ बदसूरत छेद भर दिया .

 


आज भी अगर आप भारत सरकार से अनुमति लेते हैं --(यह हिंदू-मुस्लिम दंगों को रोकने के कारण नहीं मिलेगा)

--आप ताज महल में गहरे भूमिगत कुएँ,अच्छी ख़ासी गोल सीडियाँ देख पाएँगे--यह एक राजपूत महल था, जिसे राजस्थानी मार्बल से बनाया गया था ---
 
--जहां एक पल में खजाने को जलमग्न किया जा सकता था और महाराजा मानसिंघ के ख़ज़ाने के अधिकारियों को दरवाजों की श्रृंखला के माध्यम से यमुना नदी में भागने का रास्ता था।


यहां कुछ काले और सफेद प्राचीन चित्र हैं, जो कि ब्रिटिश म्यूज़ीयम इतिहासकारों द्वारा लिए गए हैं . लंदन के ब्रिटिश म्यूज़ीयम में ताज महल के इन सभी ईंठ के वाल्ट्स और कमरों की सैकड़ों अधिक तस्वीरें हैं।

 
ऊपर ताजमहल (तेजो महालय) की एक इंटीरियर रूम की छत पर वेदिक डिजाइन है

ताजमहल के अंदर सैकड़ों कमरे (सभी ईंठ वाले), 7 मंजिला और दर्जनों शौचालयों की आवश्यकता क्या है?

इस्लामिक ताज महल दक्षिण का सामना क्यों कर रहा है, और यह वास्तु सिद्धांतों पर क्यों बनाया गया है?

और हिंदू राजा मंत्र ओम क्यों जगह का गौरव ले रहा है?

 

वैसे, रानी का नाम कभी मुमताज महल नहीं था, बल्कि मुमताज-उल-जमानी था।
गजनी के महमूद ने गुजरात के सोमनाथ मंदिर से खजाने को लूट लिया, और उन्होंने शिव लिंगम को भी चुरा लिया। ।
 

 

700 साल बाद सम्राट औरंगजेब सोमनाथ मंदिर को आखरी बार नष्ट
 किया .

गज़नी ने इसे खजाने और काला पत्थर के लिए किया था और औरंगजेब ने धर्म के लिए किया

 

क्यों गजनी शिव लिंग चोरी करना चाहता था?
क्योंकि मक्का के काबा से 5 फीट दक्षिण पूर्व कोने पर एक मिटेओरिक काला पत्थर है। ग़ज़नी को इस पत्थर की शक्तियों के बारे में पता था।
 

 


यह अविश्वसनीय है कि पाकिस्तानी मुसलमान आक्रमणकारी और बलात्कारी गजनी का समर्थन करते हैं। उनके मिसाइलों का नाम उसके नाम पर है .

भारतीय और पाकिस्तानी का एक जैसा खून है- हमारे पूर्वज एक ही थे.
 
पाकिस्तान की तुलना में भारत में अधिक मुसलमान हैं . वेदिक संस्कृति पाकिस्तान की भी है .  हम इसके बारे में बहुत स्पष्ट हैं कि वे सरस्वती नदी के क्षेत्र से संबंधित हैं.
 
पाकिस्तान के ज़्यादातर मुसलमानों को बलपूर्वक आक्रमणकारियों द्वारा तलवार-की-धार पे धर्म परिवर्तन करना पड़ा--हाँ ये बात अलग है अगर उनका डीएनए तुर्की या कॅस्पियन सी का हो और अगर वे इमरान ख़ान जैसे दिखते हों .


और वैसे भी रोथसचाइल्ड ने अपने 33 डिग्री फ्रीमेसन चर्चिल और माउंटबेटन का उपयोग करके पूर्व और पश्चिम पाकिस्तान का निर्माण किया था ताकि कम्यूनिस्ट और हिंद महासागर में एक रुकावट बन सके .

 

 


माउंटबेटन ने नेहरू से भारत की नब्ज पाने के लिए अपनी पत्नी का इस्तेमाल किया . विभाजन के बाद की लड़ाई रोथसचाइल्ड द्वारा करवायी गई थी। उन दिनों में भी यह स्पष्ट था कि कुरस्क जैसे परमाणु पनडुब्बी एक देश को अपने घुटनों तक ला सकते हैं .

 

 

 


17 दिसंबर, 13 9 8 में, तुर्की के मोंगोलियाई खून वाला तिमूर बिन तारगै बारलास,जो कि अमू दरिया से आया था,उसने एक दिन में एक लाख से ज्यादा हिंदुओं को तलवारों से काट डाला .यह बात उसने खुद अपनी किताब तिज़क-ई-तिमूर्ी में लिखी है .
 


उसने दावा किया कि एक बड़े तांडव में एक घंटे के भीतर 100,000 सिर काट दिए गये थे जहां रक्त धारा की तरह बह रहा था .
 

उसने दिल्ली की लूटपाट अगले दिन की . यह आदमी -नहीं-जानवर,बाबर के दादा का दादा था.
राम और लक्ष्मण और हिंदुओं की इस संस्कृत भूमि,जहाँ कोई भाई या बेटा राजा को नही मारता था,यहाँ पर हमने देखा-राजा के परिवार के सदस्य एक दूसरे की आँख नोच रहे,भाई भाई को मार रहा,वग़ैरह-वग़ैरह .

 



उन्होंने सभी आकर्षक युवा महिलाओं को हरेम में दास बनने के लिए रखा।
 
समरकंद में विशाल बीबी काहिंम मस्जिद का निर्माण किया गया था जो कि 92 विशाल हाथियों में लाए खजाना से बना था .

 


अधिकतर पैसा ओटोमन साम्राज्य के भाड़े के सैनिकों की भर्ती के लिए किया गया था।

किसी भी इतिहासकार ने कभी जाना है कि ओटोमैन इतने सफल क्यों थे?
उन्होंने अपने सैनिकों को अच्छी तरह से भुगतान किया, और उन्हें युद्ध की लूट की अनुमति दी। यह सिकंदर अलेक्सांद्र के प्रकार का नेतृत्व और प्रेरणा जैसी परिस्थिति नहीं थी .
 

कुत्तब-उद-दीन ऐबक ने दिल्ली में पहले मस्जिद का निर्माण किया- कुव्वत-अल-इस्लाम ने पृथ्वीराज द्वारा निर्मित महान मंदिर के पत्थर और नींव का इस्तेमाल किया।

 

इस मंदिर का एक हिस्सा अभी भी है और मस्जिद की पीठ पर है।
 
शमसुद्दीन इल्तुतमिश ने 11 वीं शताब्दी में वाराणसी के सभी महान मंदिरों को नष्ट कर दिया।
 
औरंगजेब ने दिवाली पर प्रतिबंध लगा दिया और सभी गैर मुसलमानों पर एक जबरदस्त जाज़िया  टैक्स लगा दिया।
बहुत सारे गरीब हिंदुओं ने इस तरह भी परिवर्तित कर दिया। औरंगजेब ने मूर्तियों को तोड़ा-


 

 

वह किसी भी मंदिर के अंदरूनी जगहों में दफन खजाने की तलाश में नहीं था। उसने वाराणसी और मथुरा में एक ही नींव और एक ही पत्थर पर महान हिंदू पत्थर के मंदिरों पर मस्जिद बनाए।

 
मथुरा में उसने कटरा मस्जिद  का निर्माण किया , लेकिन उसने मस्जिद के पीछे की मंदिरी दीवार को वैसा ही रखा .यह स्थान  पवित्र कृष्ण केशव देव मंदिर (जहाँ कृष्ण के पैदा होने की अफवाह है) का है .



इसके अलावा वाराणसी में विश्वनाथ मंदिर की जगह की भी जांच करें, 1669 में गंगा द्वारा निर्मित लंबी मीनार मस्जिद के साथ -उसकी  पिछली दीवार पुरानी मंदिर की दीवारों का उपयोग करती है।

मैं राम मंदिर और बाबरी मस्जिद के बारे में बात नही करूँगा,क्योंकि वो आग में घी डालने जैसा हो जाएगा . इस ब्लॉग का मकसद मुसलमानों पर उंगली उठाना नहीं है . मैंने क़ुरान पड़ी है और मैने पाया कि यह अच्छी किताब है जो की उस ज़माने के अरबी रेगिस्तानी लोगों के लिए बनाया गया था--पर तानाशाहों और शासनकरियों ने इसे खराब कर दिया..
 

 
मैं कलीकट से हूँ. हमारे रेकॉर्ड टीपू
सुल्तान के अत्याचार और मंदिरों की तबाही की  पुष्टि करते हैं .

 

वह सोने और हीरे की तलाश में था। उसका कोई शाही वंश नहीं था।

 

उसके पिता हैदर अली सिर्फ एक अवसरवादी सेनापति थे, जिन्होंने सही समय पर पदभार संभाला था। टिपू हैदर का बेटा उसकी दूसरी पत्नी फकरुनिसा से था . जब भी टीपू सुल्तान एक अभियान पर जाता था वह श्रीरंगापट्टनम के रंगनाथ मंदिर के हिन्दू ज्योतिषियों से सलाह लेता था---ऐसा विरोधाभास(paradox) था। उसने कलले में लक्ष्मीकांत मंदिर के ज्योतिषियों से भी परामर्श किया .

 

हैदर अली ने कालीकट के राजा झमोरीन (समथिरी) को घेर लिया। राजा ने अपने गन-पाउडर शस्त्रागार को उड़ाकर 1766 में आत्महत्या कर ली।
उन्हें डर था कि उनके स्वर्ण-ख़ज़ानों के ठिकाने का पता लगाने के लिए उनपर ज़ुल्म किया जाएगा।


ज़मोरीन के वित्त मंत्री पर अत्याचार हुआ और फिर उसे मार दिया गया .
 

ब्रिटिश रिकॉर्ड के अनुसार,उत्तरी केरल के मुसलमानों का एक बड़ा प्रतिशत जबरन टीपू सुल्तान ने परिवर्तित किया . लोगों ने चुपचाप कबूल किया, क्योंकि टीपू अत्याचार और आतंक से धार्मिक ज़ुल्म करने में एक्सपर्ट था। आज केरल की आबादी में 25% मुसलमान है।


उसने इस्लामी नामों से सभी कस्बों का नाम बदल दिया। कोझीकोड(कलीकट) इस्लामाबाद बन गया . आज केवल फररोक नामक कस्बा ही वैसा रह गया है, बाकी सभी का नाम वापस मूल रूप में कर दिया गया है।

ब्रिटिश ने कोझिकोड को कालीकट में बदल दिया आज फिर से यह कोझीकोड वापस आ गया है, मेरा पासपोर्ट इसका गवाह है।
 

बहुत सारे स्थानीय मुस्लिम समर्थकों(मपिला) ने हिंदुओं को आतंकित करके उनकी   पुरानी ज़मीनें(थारवाडु) और जायदाद हड़प लीं--ऐसा पोर्तुगालि एफ.र. बार्तोलोमाको का दावा है.
 


ब्रिटिश अभिलेखों के अनुसार इन प्राचीन मंदिरों को लूटा और तबाह कर दिया गया:-
त्रिप्रन्गोत,त्रिचेम्बारम,तिरुणावाया ,कालीकट ताली,हेमाम्बिका मदिर,पालघाट का जैन मंदिर,मम्मीयूर,तिरुवन्नूर,परामबाटली,वेंकितांगू,
पेम्मयानाडु,तिरुवांजिकुलम,तेरुवनाम,त्रिचूर का वादाखुँनातन,बेलूर शिव मंदिर,श्री वेलियनट्तुकवा, वराक्कल, पुथु, गोविंदपुरम, केरिलदीश्वर, त्रिकन्दियुरूर, सुकपुरम,मरनहे टेंपल ऑफ आअल्वंचेरी तंब्राककाल, वेंगरा टेंपल- अरणाडु, तिकूलम, रामनातकरा, अज़िंजलां इंडियाणनूर, वाडुकुंडा शिव मंदिर मादाई .

 
सबसे बड़ा नुकसान 7000 वर्षीय थिरुनावझा मंदिर का था जहाँ ढेरों वेदिक रेकॉर्ड थे. यह मंदिर 6000 वर्ष पुराना गुरुवायूर से भी पुराना था।
टीपू सुल्तान को हाइड्रोज़ कुट्टी द्वारा गुरुवायूर मंदिर को नष्ट करने से रोक दिया गया था जिन्होंने उन्हें बताया कि 8000 साल पुरानी काला मूर्ति को त्रावणकोर राज्य में अंबलपुज्हा श्री कृष्ण मंदिर में स्थानांतरित कर दिया गया है .


1791 में टिपू को अंग्रेजों ने मार दिया था। जहाँ पर वो गिरा,उधर एक पत्थर का स्मारक है, जिसे मैंने वो देखा है.उस्के श्रीरंगपट्टम के महल हिंदू मंदिर की तिजोरी से बनाए गये थे
 

2003 में टीपू सुल्तान की तलवार को विजय माल्या ने खरीदा था। टीपू सुल्तान की तलवार पे फारसी में एक शिलालेख(inscription) है:"मेरा विजयी साबर अविश्वासियों के विनाश के लिए चमक रहा है तू हमारा खुदा है, उसे विजयी बनाओ जो मुहम्मद के विश्वास को बढ़ावा देता है। उसे उलझाओ, जो मुहम्मद की आस्था को अस्वीकार कर देता है और उन लोगों से हमें रोको जो इतने इच्छुक हैं "।

 
टीपू ने तलवार तब छोड़ दिया, जब वह अलुवा में राजा त्रावणकोर के राजा से लड़ाई हारने के बाद लड़ाई मैदान से भाग रहा था.

 

आज भी आप पाएंगे कि उनका किला सुल्तान बैथरी सिर्फ एक जैन मंदिर है जिसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है। इस व्यक्ति के पास अन्य धर्मों के लिए कोई सम्मान नहीं था- सिवाय इसके कि जब वह अपने भविष्य को अग्रिम में जानना चाहता था .
 
जब उसे दफ़नाया जा
रहा था तब अंगेज़ों ने यह लिखा--आकाश उग आया और आनन्दित हुआ - या यह एक संयोग हो सकता है - यह 4 मई को कभी भी पहले की तरह बिना बारिश से बारिश हो सकता है .
 

अंत में:-क्या किसी को अंदाज़ा है  कितना ट्रिलियन अमरीकी डॉलर के मूल का सोना और हीरा यहूदियों(रोथसचाइल्ड),ईसाइयों(ब्रिटिश,पोरटुगाली) और मुसलमानों(ओत्टॉमान मुघल) ने हिन्दुस्तान से चुराया??
 
भारतीय वेदिक ज्ञान का क्या जिसे चोरी करके उन्होनें अपने नाम का पेटेंट लगाया और फिर हिंदुओं को मंद नस्ल बताया .

 

भारत ने अब तक अपने इतिहास में किसी भी अन्य देश पर हमला नहीं किया है।


https://www.youtube.com/watch?v=9IstZSgniH8

लगभग मुघल राज के सभी मस्जिद हिंदू मंदिर को तोड़कर बनाए गए थे . यह सोने के लिए और वास्तु पर आधारित सही जगह हासिल करने के लिए किया गया .

 
भारतीय हिंदू महिलाएँ, जो 1970 के दशक में
शादी करके ब्रिटेन में बसना चाहती थीं,उनपे ऐयरपोर्ट पर जब्रन
कौमार्य परीक्षण(virginity tests) करे गए. किसी और धर्म की महिलाओं पर ऐसा करने की उनकी औकात नहीं थी .ब्रिटिश प्रधानमंत्री आधिकारिक तौर पर इस बात पर सहमत हुए कि 1970स में ऐसे परीक्षण किए गए - जबकि वास्तव में सौ से अधिक गए थे।


 
हर कोई जानता है कि रजनीश, प्रभुपाद और कई अन्य  हिंदू आध्यात्मिक गुरु ईसाइयों द्वारा जहर देकर मारे गए थे . वे कट्टर भक्त  के रूप में आंतरिक चक्र में आए थे .ऐसा करने की क्या ज़रूरत है?
क्यों कृष्णा कॉन्षियसनेस को ईसा कॉन्षियसनेस में तब्दील किया गया,वो भी ऐसे लोगों के द्वारा जो की कोंसीऔसनेस्स का नहीं समझते .
 
जब भी कोई हिंदू अधिक सहता है, और शांतिपूर्ण तरीके से मौखिक रूप से इसका विरोध करता है, तो उसे तुरंत हिंदू राष्ट्रवादी और एक भयानक आतंकवादी से बुरा करार दिया जाता है .



यह नीचे एक नमूना है कि कैसे हिंदू  अपने ही देश में अपमानित किए जाते हैं-यह पेंटिंग मुस्लिम पेंटर एम.एफ.हूसेन ने बनाई थी .
हमारे यहाँ ईसाई, मुसलमान और हाइ-फ़ाई हिंदू ,विदेशी चंदों पे चलने वाले टीवी चैनलों पर आते हैं और यह घोषित करते हैं कि हूसेन साहब 'देवदूत' जैसे हैं और हिंदुओं को 'बोलने की आज़ादी' पर सहिष्णु होना चाहिए. एक बूखे ग़रीब हिंदू के लिए उसके भगवान ही उसकी उम्मीद की किरण हैं:

 
सीता मा श्री लंका में दस सिर वाले रावण की गोद में निर्वस्त्र बैठी है और अपने उखड़े बलों पे कंगी कर रही है---और भगवान हनुमान भी इसे देखकर हैरान हो गए .
 

उपर:- भगवान हनुमान छुपकर आश्चर्य होकर देख रहे हैं की क्या चल रहा है . उपर वाला आदमी(69 पोज़िशन) रावण या राम नहीं है ! मैं नही लिखूंगा यह कौन है,क्योंकि फिर लोगों का खून उब्लेगा!!!
 
उपर-सीता हनुमान की पूंछ पर टाँग खोलके बैठी है .
भगवान गणेश का लटका हुआ पेट--और उसपे साइंबोर्ड-ताना मारते हुए .


उपर-हिंदू भगवानों की हवस पार्टी

वैसे, शिव लिंग भगवान शिव की पिनीयाल ग्रंथि(pineal gland) है,नाकि उनका लन्ड -जैसा वॅटिकेन ने प्रचारित किया है .


यदि आप हिन्दू हैं, तो मेरा ये कहना है-"फटटू मत रहो" .ऐसा भी समय आता है कि अगर आप दूसरे गाल पे थप्पड़ खाते हैं तो आप गुलाम बन जाते हैं .मेरे माता-पिता गुलाम थे,और आपके भी,ज़रा इस्पे गौर करें .


जब पश्चिमी देश,9500 ईसा पूर्व में चतुर्थक बर्फ युग(quarternary ice age) से बाहर आए थे तब वे असभ्य थे, गुफ़ाओं में रहते थे और कच्चा माँस खाते थे . उस दौरान भारत एक महान सभ्यता थी, जहाँ राजा महलों में रहा करते थे,लोग सिल्क के कपड़े पहनते थे और संस्कृत में कविताएँ लिखी जाती थीं .
रोथसचाइल्ड(ईस्ट इंडिया कंपनी का मालिक) का एक कर्मचारी था मैक्स म्यूलर,जिसे वॅटिकेन ने विश्व-इतिहास को उलटने का आदेश दिया ताकि बाइबल की तारीखें सही साबित हों .

ईसाइयों की बाइबल के मुताबिक ब्रह्मांड का बड़ा धमाका(big bang) 23 अक्तूबर 4004 ईसा पूर्व में 9 बजे हुआ जबकि यह वारदात 1400 करोड़ साल पहले हुई थी . यह भी लिखा गया है की नोआह के चाप (noah's arc) और पार्टी के साथ बड़ी बाढ़ 2500 ईसा पूर्व में हुई(जीवन 4 अरब साल पहले धरती पर आया था) . 5000 ईसा पूर्व तक, भारतीय रिग वेद संस्कृत में लिखी जा चुकी थी .
इस ग्रह पर हर धर्म और प्रार्थना हिंदू धर्म से प्रेरित है और हर भाषा संस्कृत से निकली है .

आर्य अपना स्वास्तिका चिह्न(शिव के पुत्र गणेश की ताड़ पर बने) लेकर भारत से बाहर चले गए . आधुनिक डीएनए परीक्षण यह साबित करते हैं कि आर्य भारत में नहीं आए(जैसा कि हिटलर ने कहा था) बल्कि यहाँ से बाहर गये थे. भारतीय ड्राविदियान अनाहत चक्र '6 प्वाइंट स्टार' यहूदी धर्म द्वारा अपनाया गया है . शिव लिंगम मूर्तिपूजक मंदिरों के पत्थरों का मुख्य आकर्षण मक्का काबा, जेरूसलम और वेटिकन पर स्थित चट्टान के गुंबद हैं।

 



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कॉमेंट :

शफ़ीक़ अब्दुल्ला , 12 जनवरी 2014 को 7:44 पी.एम.
 
कप्तान, मैं वास्तव में आपके इस रिसर्च से बहुत प्रभावित हूं और मैं आपको इसके लिए सलाम करता हूं। मुझे लगता है कि इसे हमारे इतिहास की पुस्तकों में होना चाहिए क्योंकि हमें यह जानना चाहिए कि हम वास्तव में हैं कौन .

हमारी     तहज़ीब के लिए ये एक दुख की कहानी है और मेरा दिल उन सभी शुद्ध भारतीय आत्माओं के साथ है जो अपने वतन के लिए लड़े और अपनी जान गवाए बैठे ...मुझे ऐतराज है,जब आप कहते हैं कि कई हिंदू जानें गयीं . यह हक़ीकत में हमारे भी पूर्वज थे . मैं मुसलमान हूं लेकिन मेरा  यह मानना है कि मेरे पूर्वज भी हिंदू  थे।

अफसोस; मैं यही कह सकता हूं कि हमें एकजुट रहना चाहिए, चाहे कोई भी व्यक्ति किसी भी मज़हब का पालन करना चाहता हो .. धर्म पूरी तरह से एक व्यक्ति की चोइस होती  है .
मैं मुसलमान हूं लेकिन अगर टीपू या किसी अन्य व्यक्ति ने मेरे साथी भारतीय(हिंदू,क्रिस्चियन,मुस्लिम,यहूदी) के घर पर हमला किया तो मैं उन्हें बचाने के लिए अपनी जान तक कुर्बान कर दूँगा . 

यह हमारा भारत होना चाहिए, नाकी उन पाकियों की तरह जो यहाँ से फ़र्रार हो गये .

मैं अपने  भारत से प्यार करता हूं और आप को  सलाम करता हूँ। प्यार बाँटो  और एकजुट रहो . 

हमारी भूमि हमारे धर्म से ऊपर होनी चाहिए . ऐसा मेरे माता-पिता नें मुझे सिखाया , कि अपने वतन के लिए लड़ना ही असली जिहाद है जिसका कुछ आतंकियों ने ग़लत मतलब निकाला है .

मेरा मानना है कि शिक्षित और सच की राह पर चलने वाले लोग सांप्रदायिक हिंसा को अपने भाइयों बहनों के साथ सुलझाएँगे .
जय हिंद .

जवाब:

कैप्टन अजीत वाडकायिल, 12 जनवरी 2014 8:19 पी.एम.

नमस्ते  शफ़ीक़ अब्दुल्ला,

मैं चाहता हूं कि सभी भारतीय मुसलमान तुम्हारे जैसे हों - जहां पहले वफादारी वतन के लिए हो और फिर मक्का के लिए .

भारतीय, पाकिस्तानी और बांग्लादेशी मुसलमानों को एक यहूदी रोथसचाइल्ड के शाही सवारी के लिए लिया गया था- जिन्होंने अपने मुस्लिम कठपुतलियों का इस्तेमाल किया .

वे ये भी नही जानते क़ि यह दोनों  थे कौन -- जैसे भारतीय लोग गाँधी(यहूदी रोथसचाइल्ड का एक कठपुतली) की असलीयत नहीं जानते .
कितना शर्मनाक!!

हिन्दुस्तानी और पाकिस्तानी एक ही खून(डी.एन.ए.) के हैं--फिर भी पाकिस्तानी छोटी आँख वाले चाइनीज़ के साथ दोस्ती किए हैं(अवसरवाद).

भारत में पाकिस्तान से ज़्यादा मुसलमान हैं .
गौरवशाली सरस्वती नदी की वैदिक सभ्यता भारतीयों से ज़्यादा पाकिस्तानियों की है .

GOOGLE में टाइप करें -- SIR MUHAMMED IQBAL KNIGHTED FOR SCUTTLING THE KHILAFAT MOVEMENT VADAKAYIL
और
DAMA DAM MAST QALANDAR, A PRAYER TO A SINDHI HINDU SAINT JHULELAL VADAKAYIL
कॅप्टन अजीत वाड़काइल
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कॅप्टन अजीत वाडकायिल