महात्मा गाँधी भाग 2, गाँधी पर किए गए शातिर विचार परिवर्तन की खुराफाती प्रक्रिया-कप्तान अजीत वाडकायिल
यह नीचे अंग्रेजी पोस्ट का हिंदी में अनुवाद है:
ajitvadakayil.blogspot.com/2012/09/the-diabolical-brain-washing-process-of.html
यह गाँधी पर दूसरा पोस्ट है. इसका पहला हिंदी पोस्ट नीचे है:
https://captainvadakayilhindi.blogspot.com/2018/11/2012-httpajitvadakayil.html
हम सफ़ेद इतिहासकार या विकिपीडिया द्वारा सच्चे इतिहास को दबाने की साज़िश को कामयाब नहीं होने देंगे!
गांधी ने पहले विश्व युद्ध में 13 लाख (1.3 मिलियन) भारतीय सैनिकों की भर्ती करवाई - जिनमें से 1,11,000 (1.11 लाख) भारतीय सैनिक मारे गए थे।
गांधी ने दूसरे विश्व युद्ध में 25 लाख (2.5 मिलियन) भारतीय सैनिकों की भर्ती करवाई. इनमे से 243000 (2.43 लाख) सैनिक मारे गए.
जब मैंने 2 साल पहले इस ब्लॉग को शुरू किया था, तो मैंने वादा किया था कि मैं दबे विश्व इतिहास को उजागर करूँगा. खैर मैंने अभी शुरू ही किया है।
मैं ये सब 1977 में पुस्तक में लिखकर खूब पैसे कमा सकता था.
मैंने दक्षिण अफ्रीका में सभी गांधी विशिष्ट स्थानों को देखा है। मैं पोरबंदर और अन्य जगहों पर उसके घर भी देखे हैं.
हम भारतीयों को विश्व इतिहास से बहुत सहना पड़ा है. हम चुपचाप देखते रहे जब जर्मनों ने हमारे प्राचीन (भगवान गणेश की हथेली पर अंकित) स्वास्तिक प्रतीक को चुरा लिया था; और तो और हम लोगों को ये बकवास भी मानना पड़ा की सफेद चमड़ी वाले आर्यन ने भारत पे हमला करने के बाद वेद लिखे थे.
आज, इस इंटरनेट और डीएनए युग में हमें मालूम है कि आर्यन 4000 ईसा पूर्व में तब विस्थापित हुए थे, जब सरस्वती नदी एक टेक्टोनिक शिफ्ट के कारण सूख गई थी, जिससे नदी गैर-बारहमासी(non-perennial) हो गई थी।
आज हम जानते हैं कि हर भाषा, धर्म, ज्ञान आधार हिंदू धर्म की ही शाखाएं हैं और हम भारतीयों ने ब्रिटिश और अक्रेम रूसी स्टोनहेज़ बनाये हैं।
आगे का पड़के आप सभी को झटका लगेगा.
इस पोस्ट को पढ़ने के बाद हर एक भारतीय आश्चर्यचकित होगा - यह कैसे संभव है कि हम बुद्धिमान भारतीयों को ऐसे मूर्ख बना दिया गया - एक दुष्ट यहूदी के द्वारा.
महात्मा गांधी के बजाय बघा जतिन हमारा राष्ट्रपिता होता।
वह तगड़ा पुरुष था, जिसने लंबे संघर्ष के बाद, एक बड़े बंगाली बाघ को मार डाला, जहां बाघ ने लगभग उसकी चमड़ी को चीर दिया था.
रोत्सचाइल्ड के वेतन पर एक चेकोस्लोवाकियाई ट्रिपल एजेंट इमानुएल विक्टर वोस्का ने भारत को आज़ाद करने की एक साज़िश को चौपट कर दिया था.
वुडरो विल्सन(अमरीकी राष्ट्रपति 1913 से 1921 तक) ने बघा जतिन की साजिश का खुलासा रोत्सचाइल्ड को किया, जो भारत में ब्रिटिश राज चला रहा था .. विल्सन ने रोत्सचाइल्ड को अपना आभार व्यक्त किया, क्योंकि उसकी वजह से व्हाइट हाउस में विल्सन स्थापित हुए थे।
1912 में, चार्ल्स क्रेन (रोत्सचाइल्ड के अमेरिकी एजेंट) ने थॉमस वुडरो विल्सन (1856 - 1924) के चुनाव अभियान को वित्त पोषित किया, जो 1913 में अमेरिकी राष्ट्रपति बने।
व्हाइट हाउस में विलसन पर नज़र रखने के लिए क्रेन व्हाइट हाउस में उनके सलाहकार बने। चार्ल्स क्रेन (1858-1939) एक गुप्त यहूदी था जो हमेशा मीडिया में यहूदी-विरोधी होने का नाटक करता था।
1913 में अमेरिकी राष्ट्रपति की कुर्सी पर रोत्सचाइल्ड ने वुड्रो विल्सन को स्थापित किया था, बस शर्त ये थी कि उन्हें अमेरिकी फेडरल रिजर्व अधिनियम के कानून पर हस्ताक्षर करना होगा।
उस समय अमरीकी सदन ने अधिनियम पास नहीं होने दिया था। चालाक यहूदियों ने 1913 के क्रिसमस से कुछ दिन पहले सदन मे यह बिल पेश कराया, जब सदन के अधिकांश लोग अपने परिवारों के साथ घर पर आनंद ले रहे थे. तभी फेडरल रिजर्व अधिनियम पर मतदान किया गया था। और विल्सन जोरोत्सचाइल्ड को किए वादे के अनुसार, इसे कानून बना दिया।
यूएस डॉलर फ़ेडरल रिजर्व में छपता है- जिसका मालिक रोत्सचाइल्ड है, न कि अमेरिका की सरकार.
अमेरिका को युद्ध से बाहर रखने के वादे पर चुने जाने के बाद, राष्ट्रपति विल्सन ने यहूदियों के लिए अमेरिका को प्रथम विश्व युद्ध में ढकेल दिया. चर्चिल ने लुसिटानिया जहाज़ डुबोकर, अमरीकी सदन के लिए युद्ध की घोषणा करना आसान कर दिया.
रोत्सचाइल्ड बैंकिंग समूह विश्व युद्ध में अमेरिका को लाना चाहते थे, क्योंकि वे अब अमरीकी केंद्रीय बैंक के माध्यम से अमेरिकी मुद्रा आपूर्ति के नियंत्रण में थे। वे चाहते थे कि अमेरिकी को बड़े पैमाने पर युद्ध-लोन देकर मुल्क को क़र्ज़ के चक्रव्यूह में फसा सकें.
जब 1914 में विश्व युद्ध शुरू हुआ तब विक्टर वोस्का, रोत्सचाइल्ड के "ट्रिपल एजेंट", ने अमेरिकी राष्ट्रपति वुडरो विल्सन के साथ जान-पहचान बनाई, ताकि उनके नेटवर्क रोत्सचाइल्ड के लिए काम कर सकें, जिसके कारण उन्हें कई महत्वपूर्ण कामयाबी मिली.
वोस्का की मदद से, उन्होंने जर्मनी द्वारा बघा जतिन को हथियार सप्लाइ करने की साज़िश का पर्दाफाश किया. वोस्का ने वाशिंगटन में जर्मन राजदूत द्वारा जासूसी गतिविधियों को भी उजागर किया और एक जर्मन एजेंट को अमेरिकी पत्रकार बनने नाटक करते हुए भी पकड़वाया.
मैं आपको 1940 में प्रकाशित चेक मूल के रॉस हेडविच और डब्ल्यू इरविन द्वारा लिखी गई पुस्तक "स्पाई एंड काउंटरस्पी" को पढ़ने का सुझाव देता हूं।
उन्होंने लिखा "अगर ई वी वोस्का ने इतिहास में हस्तक्षेप नहीं किया होता तो आज महात्मा गांधी के बारे में कोई भी नहीं जानता और भारत के राष्ट्रपिता बघा जतिन होते …
हमने भारत के अनमोल रतनों में से इस एक को नजरअंदाज किया है। भारत में कितनी सड़कों का नाम गांधी पर पड़ा है? बघा जातीं के नाम पर कितनी सड़कें हैं?
ब्रिटिश शासकों ने स्वयं कहा था, यदि यह आदमी अंग्रेजी होता तो हम पूरे इंग्लैंड में बघा जतिन की मूर्ति नेल्सन मंडेला के बगल में होती.
बघा जतिन को गोली मारने वाले ब्रिटिश अधिकारी ने कहा था, "दक्षिण अफ्रीका से भारत आने से पहले बघा जतिन ने हिंसा से भारत को मुक्त कर दिया होता"।
महा-बेवकूफ, गांधी को पहली बार गुप्त-यहूदी रूसी लेखक लियो टॉल्स्टॉय द्वारा सत्याग्रह की गैर हिंसक धारणा के साथ ब्रेनवौश (चालू तरीके से विचार परिवर्तन) किया गया था--
--और उसके बाद रोत्सचाइल्ड की पगार पर जर्मन "हरमन कालेंबाख" ने एक बेडरूम में साथ रहकर गाँधी को ब्रेनवौश किया.
ऐसा होने के लिए गांधी ने अपनी पत्नी कस्तूरबा को अपने से दूर भगा दिया क्योंकि उसका गांधी पर काफ़ी प्रभाव पड़ता.
कस्तूरबा को शक हो गया था की कुछ गड़बड़ है.
गांधी एक भव्य यात्रा पर थे.
इसके कारण कुछ लोगों को शक है क़ी गाँधी और कालेंबाख के बीच समलैंगिक रिश्ते थे. इसके बारे में मैने पिछले पोस्ट में लिखा है.
गांधी को तरह से ब्रेनवौश करने के बाद उन्हें रोत्सचाइल्ड द्वारा दक्षिण अफ्रीका से उठाकर गुप्त तरीके से भारत में आयात किया गया था, ताकि वो अहिंसक "एक गाल पर थप्पड़ खाकर दूसरा गाल दिखाओ" वाली विचारधारा लागू कर सके। पूरे भारत को रोत्सचाइल्ड ने उनके अफ़ीम एजेंट पारसीयों और मीडिया के ज़रिए गाँधी का सकारात्मक परिचय दिया.
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के मालिक, जर्मन यहूदी रोत्सचाइल्ड ने एक तीर से दो निशाने मार दिए. वे भारत में बढ़ती हिंसा को रोकने में कामयाब रहे. उस हिंसा के कारण ही ब्रिटेन ने 1911 में राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली बदलना पड़ा था.
वाइसराय चार्ल्स हार्डिंग ने 28 मई 1911 को ब्रिटेन से कहा, (जो कई हत्याओं के प्रयासों के बाद पूरी तरह से हिल गया था) - "मेरी राय में, बंगाल और पूर्वी बंगाल की स्थिति से कुछ भी बुरा नहीं हो सकता है। किसी भी प्रांत में व्यावहारिक रूप से कोई सरकार नहीं है ... राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली में स्थानांतरित करना और गांधी को दक्षिण अफ्रीका से भारत भेजना बेहतर है ."
रोत्सचाइल्ड चाहते थे कि भारतीय स्वतंत्रता की लड़ाई का बौस एक अहिंसक व्यक्ति हो. अच्छी तरह से योजनाबद्ध पहला विश्व युद्ध पास आ रहा था जिसका लक्ष्य था इज़राईल को बनाना.
वे चाहते थे की गाँधी लाखों हिंदुस्तानियों को ब्रिटिश सेना में भारती होने के लिए प्रोत्साहित करें.
हालांकि प्रथम विश्व युद्ध में ब्रिटेन के लिए 1.11 लाख भारतीय सैनिकों की मृत्यु हुई थी, (घायल इससे ज़्यादा थे), उनमें से किसी के लिए कोई स्मारक नहीं बनाया गया.
2.43 लाख भारतीय सिपाही दूसरे विश्व युद्ध में ब्रिटेन के लिए मारे गए.
किसी भी अन्य जाति या मुल्क की तुलना में भारतीय सैनिकों की मृत्यु सबसे अधिक थी.
फिर भी उन्हें खच्चर और गधों में गिना जाता था.
उपर तस्वीर: - "नमस्ते भारतीयों, मैं महात्मा हूं - आपको ब्रिटिश सेना में शामिल होकर लड़ना चाहिए - जर्मनों को मारना हिंसा नहीं है। लेकिन हमारे प्रिय ब्रिटिश शासकों को मारना, और उन्हें भारत से दूर भगाना हिंसा है - और मैं इसकी अनुमति नहीं दूँगा! याद रखें मैं आपके स्वतंत्रता संग्राम की ड्राइवर सीट पर बैठने के लिए चुना गया मसीहा हूं !!"
पश्चिमी मोर्चे पर आत्मघाती इलाकों में बहादुर भारतीय सैनिकों का इस्तेमाल गिलिपोली की "घातक" लड़ाई में, सिनाई, फिलिस्तीन, मेसोपोटामिया अभियान, कुट की घेराबंदी और पूर्वी अफ्रीका में टंगा की लड़ाई में किया गया था।
विन्सटन चर्चिल को कैसे हीरो बनाया गया, मैने गाँधी के पिछले पोस्ट में लिखा है.
जब गाँधी और कालेंबाख दक्षिण अफ्रीका के टोल्स्टाय फार्म में साथ रह रहे थे तब पूरे सत्याग्रह (अहिंसक प्रतिरोध) संघर्ष में कालेंबाख गांधी का प्रबंधन कर रहे थे..
1100 एकड़ जमीन पेड़ों,के साथ सभी गांधी को मुफ़्त में दिया गया था.
कहा जाता है की वो दोनो सिंपल प्यार में थे, जो 1914 तक दक्षिण अफ्रीका में चला था. यह सब गाँधी के दिमाग का विचार परिवर्तन करना और सूक्ष्म प्रबंधन करने के बारे में था।
बेवकूफ गांधी को एहसास नहीं हुआ कि दुनिया में कुछ भी मुफ़्त में नहीं मिलता! वह इस तरह के एक महंगे उपहार के चक्रवीह में फंस गए थे, जिस तरह हीरे की अंगूठी के लालच में लड़की लड़के के लिए अपनी टाँगें खोलती है.
गांधीजी द्वारा निर्मित प्रतिरोध का रूप अजीब था: सत्याग्रह। एक तरफ वह गोरों की अच्छी समझ के लिए धैर्यपूर्वक अपील करते, और दूसरी तरफ उनके उन कानूनों की अवमानना करते थे जो उन्हें बुरी लगती थी। वह इन कानूनों को तोड़ने के लिए दंड भुगतने के लिए तैयार थे, लेकिन हमलावर सफेद पुरुषों से नफरत करने से भी इनकार करते थे.
भागवद् गीता ऐसा संदेश नहीं देता--गीता कहता है की दुश्मन को मूँह तोड़ जवाब दो.
अँग्रेज़ों ने गोखले के ज़रिए गाँधी को भारत में लाया ताकि वो देशभक्त क्रांतिकारियों का मनोबल कम कर सके. गाँधी ने बंगाल जाकर वहाँ के देशभक्ति के उत्साह को ख़त्म कर दिया.
गाँधी ने अंग्रेजों के खिलाफ भारतीयों को उत्तेजित करने के आरोप में तिलक को अपमानित किया। कोई बेवकूफ़ भी समझेगा की गाँधी के इस रवैये से अँग्रेज़ बहुत खुश हो गए थे.
Templewood के विस्काउंट सर सैमुअल होर ने एक टिप्पणी की, "गांधी अंग्रेजों के सबसे अच्छे दोस्तों में से एक थे"।
उपर- नायर सन
नीचे--हड़ दयाल (स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर - ने अपना काम छोड़ दिया)। अप्रैल 1914 में, रोत्सचाइल्ड के आदेश पर, उन्हें अराजकतावादी साहित्य फैलाने के लिए अमरीकी सरकार ने गिरफ्तार कर लिया और वह जमानत के बाद जर्मनी चला गया. वह बाद में स्वीडन में एक दशक तक रहा.
15 फरवरी 1915 को, 5वें लाइट इन्फेंट्री सेना के सिंगापुर ब्रिटिश भारतीय सैनिकों ने विद्रोह किया। अंग्रेजोंने सिखों का उपयोग करके इसे 7 दिनों में कुचल दिया.
इन सैनिकों में से 47 को लाइन से खड़ा करके गोली मार दी गई. बाकी को पूर्वी अफ्रीका के एक जेल में भेजा गया, वे उसके बाद कभी नहीं देखे गए. जर्मन एसएमएस emden के कैदी नाविक इसके गवाह थे।
चंपकरमन पिल्लई जर्मन नौसेना के युद्धपोत एसएमएस EMDEN पर थे, जब जूस जहाज़ ने मद्रास पर हमला किया था।
आपको याद रखना चाहिए, की 1857 में जब पूरा भारत ब्रिटिश शासन के खिलाफ खड़ा हुआ, तो सिखों ने स्वतंत्रता के युद्ध को कुचल दिया - जिसे सिपाही विद्रोह भी कहा जाता है.
बीआर अम्बेडकर के दादा के नेतृत्व में महाराष्ट्र के दलित जाति के महार रेजिमेंट से सिखों को पर्याप्त मदद मिली। बीआर अम्बेडकर गांधी के बाद रोत्सचाइल्ड के नंबर 2 मित्र थे, क्योंकि हिंदू धर्म को जाती के आधार पर टुकड़े करने में उन्होने मदद की थी।
पिछली जाति के दलितों को गुस्सा था कि उच्च जाति के हिंदू एक ही कप से नहीं पीएंगे - फिर भी उन्हें परवाह नहीं थी कि एक सफेद व्यक्ति उन्हें अपने कमरे में घुसने की अनुमति नहीं देगा।
बीआर अम्बेडकर ने कई बार लिखा था कि ब्रिटिश शासन भारतीय शासन से बेहतर है। उन्होंने शेष भारत के साथ स्वतंत्रता के लिए लड़ने में एक मिनट नहीं बिताया। वह रोत्सचाइल्ड के स्वामित्व वाले अफीम वित्त पोषित कोलंबिया विश्वविद्यालय में शिक्षित थे।
बाद में रश बिहारी बोस द्वारा निवेदन किए जाने पर सुभाष चंद्र बोस ने भी बघा जतिन जैसा करने का प्रयास किया.
आज बघा जतिन और रश बिहारी बोस के बारे में कोई बात नहीं करता।
गांधी और नेहरू ने इस जोड़ी को भुला दिया था, वैसे ही जैसे जिओनीस्टों ने इतिहास से निकोला टेस्ला को मिटा दिया, क्योंकि उसने स्केलर वेव होविट्टर या ईएमपी के रहस्य नहीं बताए. (विश्व युद्ध 3 स्केलर हथियार से लड़ा जाएगा नाकी परमाणु बम से)।
10 जुलाई, 1909 को रोत्सचाइल्ड द्वारा गांधी को दक्षिण अफ्रीका से लंदन भेजा गया था (हिदायत के लिए) और वो 13 नवंबर, 1909 तक वहां थे.
2 जुलाई, 1909 को मदनलाल ढिंगरा ने सर कर्ज़न वाइली की हत्या कर दी थी।
गांधी को टॉल्स्टॉय के 'हिंदू को चिट्ठी' पढ़ने के लिए कहा गया, जो स्पष्ट रूप से हिंसक दृष्टिकोण की वकालत करने वाले एक भारतीय तारक नाथ दास के पत्र के जवाब में लिखा गया था।
टॉल्स्टॉय के पत्र ने समझाया क्यों भारतीयों को मुक्त होने के लिए अहिंसक प्रतिरोध एकमात्र समाधान है.
गांधी को ऊँचा महसूस कराया गया था और टोलस्टॉय (1 अक्टूबर, 1909) को लिखने के लिए प्रोत्साहित किया गया , जिसमें उन्हें हिंदुओं को अहिंसक ब्लूप्रिंट के पत्र की 20000 कॉपीस अनुवाद करके बाँटने की अनुमति मांगनी थी.
गांधी ने निष्कर्ष निकाला: 'सच्ची आजादी केवल ऐसे जीवन में ही मिलनी है। यही वह स्वतंत्रता है जिसे हम हासिल करना चाहते हैं। अगर भारत ऐसी आजादी हासिल कर ले, तो वह वास्तव में स्वराज होगा। '
गांधी ने रेवरेंट डोकेउनके पहले जीवनी लेखक को (1909) बताया: 'यह बाइबल का New Testament था जिसने वास्तव में मुझे निष्क्रिय प्रतिरोध के अधिकार और मूल्यों के प्रति जागृत किया. जब माउंट पर मैने येशू का लेख पड़ा- "बुराई का विरोध न करें -" तब मैं बहुत खुश हुआ और मेरी राय की पुष्टि हुई।
अरे बाप रे..
जहाज से लंदन से डरबन की वापसी यात्रा पर (13 से 22 नवंबर, 1909), गांधी ने टॉल्स्टॉय के 'हिंदू को चिट्ठी [14 दिसंबर, 1908 को दिनांकित] का अनुवाद गुजराती में किया। उन्होंने "PREFACE TO LEO TOLSTOY’S “LETTER TO A HINDOO” [गुजराती अनुवाद]।
कुछ पागलों वाले उद्धरण यह हैं: 'असली साहस और मानवता में लात का जवाब लात से नहीं दिया जाता. यह टॉल्स्टॉय के शिक्षण का मूल है।
गांधी ने लिखा - टॉल्स्टॉय मुझे एक साधारण जवाब देता है. हम अपने खुद के गुलाम हैं, न कि अंग्रेजों के। '(क्या मजाक है!)' उनके शिक्षण का केंद्रीय सिद्धांत मेरे लिए पूरी तरह से स्वीकार्य है, और यह नीचे दिए गए पत्र में निर्धारित है। '
गाँधी की टेड़ी सोच नीचे देखो--हे भगवान!
'एक व्यावसायिक शिपिंग कंपनी ने भारतीय राष्ट्र को गुलाम बना दिया जिसमें 30 करोड़ लोग हैं- - तीस हजार अंग्रेजी लोग इसमे शामिल थे, वो कोई ऐतलीट नहीं थे बल्कि कमजोर और बुरे दिखने वाले थे- उन्होने 30 करोड़ सशक्त, चालाक, मजबूत, स्वतंत्रता से प्यार करने वाले लोगों को गुलाम बना दिया? क्या आंकड़े यह स्पष्ट नहीं करते कि अँग्रेज़ नहीं बल्कि भारतीयों ने खुद को गुलाम बना दिया है?
टॉल्स्टॉय ने गांधी को लिखा (8 मई, 1910 में) "निष्क्रिय प्रतिरोध-न केवल भारत के लिए बल्कि पूरी मानवता के लिए सबसे बड़ा महत्व है। '
9 सितंबर, 1928 को टॉल्स्टॉय के जन्म शताब्दी पर, गांधी ने एक यादगार भाषण दिया, जिसमें निम्नलिखित मोती शामिल थे: जब मैं इंग्लैंड गया, तो मैं हिंसा का मतदाता था - -। तोल्स्तोय की पुस्तक पढ़ने के बाद, मुझमे अहिंसा में विश्वास की कमी गायब हो गई। टॉल्स्टॉय अपनी उम्र में अहिंसा का एक महान वकील था। - - - - भारत या अन्य जगहों में से कोई भी नहीं है जिसने इसे ईमानदारी से पालन करने की कोशिश की है। मैं चाहता हूं कि हर कोई टॉल्स्टॉय के जीवन से ये चीजें सीखें - आत्म-संयम. हमें कभी भी 'सच्चाई का पीछा नहीं छोड़ना चाहिए' जिसके लिए अहिंसा का एकमात्र सही मार्ग है, जिसे कहते हैं 'प्यार का महासागर'.
देखो मैने दुख की सीमा पार कर दी--उसके बाद तुम मज़ा करो-- हाहा.
1947 में भारत को आजादी मिलने के बाद, ब्रिटेन को अब "इस्तेमाल हुए" गाँधी की कोई ज़रूरत नहीं थी और गांधी को भी यह महसूस हो गया था।
उसके बाद उन्होंने अंग्रेजों से दूरी रखा, क्योंकि अब नेहरू की बारी थी, एडविना माउंटबेटन के माध्यम से ब्रेनवौश होने की.
लॉर्ड माउंटबेटन भारत का आखरी वाइसरॉय था. उसकी बीवी एड्वीना माउंटबेटन थी.
हरमन कालेंबाख गांधी के लिए वो थे, जो एड्वीना थी नेहरू के लिए. दोनों ही रोत्सचाइल्ड के गुलाम विंस्टन चर्चिल के खबरी थे. एडविना का रोत्सचाइल्ड खानदान से नाता था.
एक भारतीय जासूस (ब्रिटिश सैनिक) गद्दार किरपाल सिंह ने फरवरी 1915 में गदर षड्यंत्र के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दे दी. 21 फरवरी 1915 को आक्रमण दिवस निर्धारित किया गया था, दिनांक और स्थानों के ब्योरे को कृपाल सिंह के माध्यम से पंजाब सीआईडी को खबर मिल गयी.
घुसपैठ को देखते हुए, एक हताश रश बिहारी ने 19वीं को डी-डे लाया, लेकिन लापरवाही ने किर्पल सिंह को ब्रिटिश अधिकारियों को इस अग्रिम तारीख की रिपोर्ट करने में सफलता दिया. कृपाल सिंह को विद्रोहियों द्वारा पकड़ लिया गया, लेकिन वह सूसू के बहाने से बच के भाग निकला.
आक्रमण दिवस 21 फरवरी 1915 को था। बघा जतिन के तहत बंगाल cell अगले दिन हावड़ा स्टेशन में प्रवेश करने वाले पंजाब मेल का इंतेज़ार करेगा और तुरंत हमला करेगा.
बर्मा, सिंगापुर के भारतीय सिपाही उसी दिन विद्रोह करेंगे और हमला करेंगे। अंडमान सेलुलर द्वीप में कैद किए गए भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों को अंग्रेजों पर चलाने के लिए बंदूकें दी जाएँगी और फरार होने के लिए मदद दी जाएगी. एक नौसेना अधिकारी वॉन मुलर की अगुवाई में 100 जर्मन सैनिक हमलों का समन्वय करेंगे।
रश बेहारी बोस लाहौर से बच निकले और मई 1915 में जापान चले गए। गियानी प्रीतम सिंह, स्वामी सत्यनंद पुरी और अन्य नेता थाईलैंड भाग गए. जतिन और शेष बंगाल सेल भूमिगत हो गये.
10 फरवरी 1908 को, मीर आलम नामक एक पठान के नेतृत्व में मुसलमानों के एक समूह ने गांधी के घर में प्रवेश किया और उन्हें डंडे से बुरी तरह पीटा. उन्होंने उसे मारने की धमकी भी दी।
इस घटना के बाद गाँधी के दिमाग़ में कुछ हो गया. इसके बाद उन्होने कभी भी मुसलमानों या इस्लाम की बुराई नहीं की.
डॉ बीआर अम्बेडकर ने लिखा कि यह घटना गांधी के जीवन में एक बदलाव था और बाद में गांधी ने मुसलमानों द्वारा किए गए सबसे जघन्य अपराध को भी नज़रअंदाज़ करना शुरू कर दिया।
नीचे, मीर आलम द्वारा हमला होने के बाद की गाँधी की तस्वीर! उनकी बायीं आंख आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुई थी.
आजादी के दौरान, अविभाजित भारत में मुस्लिम जनसंख्या 23 प्रतिशत थी और 23 प्रतिशत मुसलमानों को 32 प्रतिशत भूमि क्षेत्र पाकिस्तान के रूप में मिला था।
गाँधी द्वारा मुसलमानों के लिए कही हुई कुछ बातें:-
"हिंदुओं को कभी भी मुसलमानों के खिलाफ नाराज नहीं होना चाहिए, भले ही वो हिंदुओं के अस्तित्व को ख़त्म करने के लिए अपना मन बना लें. अगर वो हम सभी को तलवार से मार डालें, तो हमें मौत बहादुरी से कबूल करनी चाहिए। ... पैदा होना और मृत्यु पाना हमारे नसीब में लिखा है, तो हम इसपर उदास क्यों हों? "(6 अप्रैल, 1947 को भाषण दिया गया था)
एक दूसरी जगह पर जब वह शरणार्थियों के एक समूह से बात कर रहे था, तो ये कहा, "यदि सभी पंजाबी बिना किसी(मुसलमान) की जान लिए अपनी जान गवाते हैं, तो पंजाब अमर हो जाएगा. खुद को इच्छुक अहिंसक बलिदान की तरह पेश करो" . (Collins and Lapierre, Freedom at Midnight, p-385)
विभाजन(पारटीशन) से ठीक पहले, बड़ी संख्या में मुसलमानों द्वारा हिंदू और सिख महिलाओं के साथ बलात्कार किया जा रहा था। गांधी ने उन्हें सलाह दी कि यदि एक मुस्लिम ने हिंदू या सिख महिला से बलात्कार करने की इच्छा व्यक्त की, तो उसे इनकार नहीं करना चाहिए बल्कि उसके साथ सहयोग करना चाहिए। स्त्री को तब मृतक की तरह अपने दांतों के बीच अपनी जीभ रखनी चाहिए. इस प्रकार बलात्कारी मुसलमान जल्द ही संतुष्ट हो जाएगा और जल्द ही वह उसे छोड़ देगा। (D Lapierre and L Collins, Freedom at Midnight, Vikas, 1997, p-479).
महात्मा अमर रहे!
क्या हम ऐसे इंसान को नोबेल पुरस्कार दिलवाने की सिफारिश करें?
अँग्रेज़ों को अब एहसास हो गया होगा कि चर्चिल हमेशा अपने राजा से इतना घमंड से क्यूँ बात करते थे, क्योंकि वह रोत्सचाइल्ड के खून का था, जिसने एंग्लैंड के वित्त को नियंत्रित किया और इस प्रकार इंग्लैंड की जीवन रेखा को नियंत्रित किया।
भारतीयों को एहसास होगा कि 1947 से पहले नाइटहुड प्राप्त किए सभी भारतीय स्वतंत्रता सेनानी नकली थे.
पाप से ज़्यादा सदाचार से डरना चाहिए, क्योंकि इसकी अतिरिक्तता विवेक(CONSCIENCE) के विनियमन के अधीन नहीं है। ध्यान रहे, दोनों विश्व युद्ध में गाँधी ने भारतीयों से कहा की अँग्रेज़ों के लिए जर्मनों को मारो. पर वो नहीं चाहते थे की भारतीय क्रूर अँग्रेज़ों की जान लें.
बजी घंटी?
गांधी की कुंडली स्पष्ट रूप से उनके कुटिल, चालू, संदिग्ध, डबल एजेंट प्रकृति, दिखाती है - कर्क में चाँद के साथ राहु ये स्पष्ट रूप से इंगित करता है। अधिकांश नकली आधुनिक ज्योतिषियों ने गांधी के कुंडली के बारे में ग़लत लिखा है, उनमें सच सामने लाने की हिम्मत नहीं है.
मुझे अभी एक चौंकाने वाला सच उजागर करना होगा।
चितपावन का अर्थ है "समुद्र किनारे पर पड़ा हुआ"।
महाराष्ट्र के चितपावन ब्राह्मण केरल के नीली आंखों वाले यहूदियों का एक गुच्छा था, जिन्हें रोत्सचाइल्ड के स्वामित्व वाले (ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी) जहाज ने डाल किया था और तट पर उतारने के लिए तैयार किया था।
जाहिर है कि उनका जहाज कोंकण के कोलाबा जिले में मानसून में डूब गया।
चितपावन ब्राह्मण, जो 17 वीं शताब्दी से पहले अज्ञात थे, उनके वाई गुणसूत्र(y-chromosome-पुरुष वाला chromosome) में यहूदी धर्मगुरू वाले DNA के लिए अद्वितीय कोहेनीम हैप्लोटाइप शामिल है।
बेने इज़राइल यहूदियों का दावा है कि वे भारतीय चितपावन ब्राह्मणों के साथ एक आम उत्पत्ति साझा करते हैं।
बीआर अम्बेडकर की पत्नी एक चितपावन ब्राह्मण थीं।
गांधी के गुरु गोपाल कृष्ण गोखले एक चितपावन थे।
गांधी का हत्यारा चितपावन था।
गोखले के गुरु महादेव गोविंद रानडे, 'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस' के संस्थापक सदस्य, भी चितपावन थे।
रोत्सचाइल्ड के नकली पश्चिमी इतिहासकारों ने हर जगह बकवास लिखा था जहां स्कंद पुराण के सह्याद्रीखंड में भगवान परशुराम की लंबी कहानी में चितपावन ब्राह्मणों के बारे में समझाया गया था।
कुछ समझा?
गांधी को दक्षिण अफ्रीका में रोत्सचाइल्ड द्वारा एकमात्र भूरे रंग की त्वचा वाला बनाया गया था, जो ब्रिटिश साम्राज्य को झुका सकता है, एक लंबा नेता जो इतने सम्मान और भय का आदेश देता है कि यहां तक कि ब्रिटन जो दुनिया के मुल्कों पर शासन करती था,वो गाँधी के सामने लड़खड़ा गई.
गांधी को ईसाई मिशनरियों और जनरल क्रिस्टियान स्मट्स द्वारा आक्रामक रूप से प्रचारित किया गया था, जो गांधी के साथ टकराव पर हर बार झुकते थे और सभी भारतीय कूलियों को गांधी के ज़रिए उनका अहंकार बड़ाते थे.
पहले गांधी के बारे में किसी ने नहीं सुना था, न तो दक्षिण अफ्रीका में और न ही भारत में। जनरल स्मट्स से कई बार माँगे पूरी करवाने से गाँधी की प्रसिद्धता व्यापक हो गई। यह सब एक बड़ा धोखा था।
जब गांधी भारत आए, तो ब्रिटिश सरकार ने उनके सभी आंदोलनों के सामने झुकना जारी रखा और उन्होंने जो मांग की उसे स्वीकार कर लिया। एक बुद्धू को भी समझेगा की ये चाँस नहीं हो सकता. 3
धीरे-धीरे, भारतीयों ने गांधी का समर्थन करना शुरू किया क्योंकि वो एक "उँचे नेता जो काम पूरा करवा सकते थे".
जनरल हान क्रिस्टियान स्मट्स रोत्सचाइल्ड का एजेंट था क्योंकि वह प्रथम और द्वितीय विश्व युद्धों को समाप्त करने वाली शांति संधि में से प्रत्येक पर हस्ताक्षर करने वाले एकमात्र व्यक्ति था, ये युद्ध इजरायल राज्य को बनाने के एकमात्र इरादे से लड़े गए थे.
जनरल स्मट्स 1941 में ब्रिटिश सेना के फील्ड मार्शल थे, और विंस्टन चर्चिल के इंपीरियल वॉर कैबिनेट में भी सेवा दी.
आज एक इजरायली शहर का नाम जनरल हान स्मट्स के नाम पर रखा गया है, ये आदमी रोत्सचाइल्ड और लॉर्ड बाल्फुर का करीबी दोस्त था.
गाँधी द्वारा बनाई गई हान क्रिस्चियन स्मट्स के लिए चप्पल.
दक्षिण अफ्रीका में गांधी को अंग्रेजों द्वारा 3 पदक से सम्मानित किया गया था। ब्रिटिश राज के हितों की प्रगति में विशिष्ट सेवा प्रदान करने के लिए 1915 में ब्रिटिश राजा द्वारा सम्मानित पदक कैसर-ए-हिंद पदक सबसे उल्लेखनीय था।
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कप्तान अजीत वाडकायिल
यह नीचे अंग्रेजी पोस्ट का हिंदी में अनुवाद है:
ajitvadakayil.blogspot.com/2012/09/the-diabolical-brain-washing-process-of.html
यह गाँधी पर दूसरा पोस्ट है. इसका पहला हिंदी पोस्ट नीचे है:
https://captainvadakayilhindi.blogspot.com/2018/11/2012-httpajitvadakayil.html
हम सफ़ेद इतिहासकार या विकिपीडिया द्वारा सच्चे इतिहास को दबाने की साज़िश को कामयाब नहीं होने देंगे!
गांधी ने पहले विश्व युद्ध में 13 लाख (1.3 मिलियन) भारतीय सैनिकों की भर्ती करवाई - जिनमें से 1,11,000 (1.11 लाख) भारतीय सैनिक मारे गए थे।
गांधी ने दूसरे विश्व युद्ध में 25 लाख (2.5 मिलियन) भारतीय सैनिकों की भर्ती करवाई. इनमे से 243000 (2.43 लाख) सैनिक मारे गए.
जब मैंने 2 साल पहले इस ब्लॉग को शुरू किया था, तो मैंने वादा किया था कि मैं दबे विश्व इतिहास को उजागर करूँगा. खैर मैंने अभी शुरू ही किया है।
मैं ये सब 1977 में पुस्तक में लिखकर खूब पैसे कमा सकता था.
मैंने दक्षिण अफ्रीका में सभी गांधी विशिष्ट स्थानों को देखा है। मैं पोरबंदर और अन्य जगहों पर उसके घर भी देखे हैं.
हम भारतीयों को विश्व इतिहास से बहुत सहना पड़ा है. हम चुपचाप देखते रहे जब जर्मनों ने हमारे प्राचीन (भगवान गणेश की हथेली पर अंकित) स्वास्तिक प्रतीक को चुरा लिया था; और तो और हम लोगों को ये बकवास भी मानना पड़ा की सफेद चमड़ी वाले आर्यन ने भारत पे हमला करने के बाद वेद लिखे थे.
आज, इस इंटरनेट और डीएनए युग में हमें मालूम है कि आर्यन 4000 ईसा पूर्व में तब विस्थापित हुए थे, जब सरस्वती नदी एक टेक्टोनिक शिफ्ट के कारण सूख गई थी, जिससे नदी गैर-बारहमासी(non-perennial) हो गई थी।
आज हम जानते हैं कि हर भाषा, धर्म, ज्ञान आधार हिंदू धर्म की ही शाखाएं हैं और हम भारतीयों ने ब्रिटिश और अक्रेम रूसी स्टोनहेज़ बनाये हैं।
आगे का पड़के आप सभी को झटका लगेगा.
इस पोस्ट को पढ़ने के बाद हर एक भारतीय आश्चर्यचकित होगा - यह कैसे संभव है कि हम बुद्धिमान भारतीयों को ऐसे मूर्ख बना दिया गया - एक दुष्ट यहूदी के द्वारा.
महात्मा गांधी के बजाय बघा जतिन हमारा राष्ट्रपिता होता।
वह तगड़ा पुरुष था, जिसने लंबे संघर्ष के बाद, एक बड़े बंगाली बाघ को मार डाला, जहां बाघ ने लगभग उसकी चमड़ी को चीर दिया था.
रोत्सचाइल्ड के वेतन पर एक चेकोस्लोवाकियाई ट्रिपल एजेंट इमानुएल विक्टर वोस्का ने भारत को आज़ाद करने की एक साज़िश को चौपट कर दिया था.
1912 में, चार्ल्स क्रेन (रोत्सचाइल्ड के अमेरिकी एजेंट) ने थॉमस वुडरो विल्सन (1856 - 1924) के चुनाव अभियान को वित्त पोषित किया, जो 1913 में अमेरिकी राष्ट्रपति बने।
1913 में अमेरिकी राष्ट्रपति की कुर्सी पर रोत्सचाइल्ड ने वुड्रो विल्सन को स्थापित किया था, बस शर्त ये थी कि उन्हें अमेरिकी फेडरल रिजर्व अधिनियम के कानून पर हस्ताक्षर करना होगा।
यूएस डॉलर फ़ेडरल रिजर्व में छपता है- जिसका मालिक रोत्सचाइल्ड है, न कि अमेरिका की सरकार.
अमेरिका को युद्ध से बाहर रखने के वादे पर चुने जाने के बाद, राष्ट्रपति विल्सन ने यहूदियों के लिए अमेरिका को प्रथम विश्व युद्ध में ढकेल दिया. चर्चिल ने लुसिटानिया जहाज़ डुबोकर, अमरीकी सदन के लिए युद्ध की घोषणा करना आसान कर दिया.
रोत्सचाइल्ड बैंकिंग समूह विश्व युद्ध में अमेरिका को लाना चाहते थे, क्योंकि वे अब अमरीकी केंद्रीय बैंक के माध्यम से अमेरिकी मुद्रा आपूर्ति के नियंत्रण में थे। वे चाहते थे कि अमेरिकी को बड़े पैमाने पर युद्ध-लोन देकर मुल्क को क़र्ज़ के चक्रव्यूह में फसा सकें.
ये सब लोग शीर्ष मास्टरमाइंड थे जिन्होने 1913 में अवैध फेडरल रिजर्व बैंक(अमरीकी केंद्रीय बैंक) के निर्माण के लिए रोत्सचाइल्ड के साथ षड्यंत्रित किया:-
-थिओडोर रूजवेल्ट,
-पॉल वारबर्ग - रोत्सचाइल्ड के प्रतिनिधि,
-वुडरो विल्सन - अमेरिकी राष्ट्रपति ने अधिनियम पर हस्ताक्षर किए,
-नेल्सन डब्ल्यू एल्ड्रिच - रॉकफेलर के प्रतिनिधि,
-बेंजामिन स्ट्रॉन्ग - रॉकफेलर के प्रतिनिधि,
-फ्रैंक ए वेंडरलिप - रॉकफेलर के प्रतिनिधि,
-जॉन रॉकफेलर - रॉकफेलर खुद,
-हेनरी डेविसन - जेपी मॉर्गन के प्रतिनिधि,
-चार्ल्स नॉर्टन - जेपी मॉर्गन के प्रतिनिधि।
वोस्का की मदद से, उन्होंने जर्मनी द्वारा बघा जतिन को हथियार सप्लाइ करने की साज़िश का पर्दाफाश किया. वोस्का ने वाशिंगटन में जर्मन राजदूत द्वारा जासूसी गतिविधियों को भी उजागर किया और एक जर्मन एजेंट को अमेरिकी पत्रकार बनने नाटक करते हुए भी पकड़वाया.
मैं आपको 1940 में प्रकाशित चेक मूल के रॉस हेडविच और डब्ल्यू इरविन द्वारा लिखी गई पुस्तक "स्पाई एंड काउंटरस्पी" को पढ़ने का सुझाव देता हूं।
हमने भारत के अनमोल रतनों में से इस एक को नजरअंदाज किया है। भारत में कितनी सड़कों का नाम गांधी पर पड़ा है? बघा जातीं के नाम पर कितनी सड़कें हैं?
ब्रिटिश शासकों ने स्वयं कहा था, यदि यह आदमी अंग्रेजी होता तो हम पूरे इंग्लैंड में बघा जतिन की मूर्ति नेल्सन मंडेला के बगल में होती.
बघा जतिन को गोली मारने वाले ब्रिटिश अधिकारी ने कहा था, "दक्षिण अफ्रीका से भारत आने से पहले बघा जतिन ने हिंसा से भारत को मुक्त कर दिया होता"।
महा-बेवकूफ, गांधी को पहली बार गुप्त-यहूदी रूसी लेखक लियो टॉल्स्टॉय द्वारा सत्याग्रह की गैर हिंसक धारणा के साथ ब्रेनवौश (चालू तरीके से विचार परिवर्तन) किया गया था--
--और उसके बाद रोत्सचाइल्ड की पगार पर जर्मन "हरमन कालेंबाख" ने एक बेडरूम में साथ रहकर गाँधी को ब्रेनवौश किया.
कस्तूरबा को शक हो गया था की कुछ गड़बड़ है.
गांधी एक भव्य यात्रा पर थे.
गांधी को तरह से ब्रेनवौश करने के बाद उन्हें रोत्सचाइल्ड द्वारा दक्षिण अफ्रीका से उठाकर गुप्त तरीके से भारत में आयात किया गया था, ताकि वो अहिंसक "एक गाल पर थप्पड़ खाकर दूसरा गाल दिखाओ" वाली विचारधारा लागू कर सके। पूरे भारत को रोत्सचाइल्ड ने उनके अफ़ीम एजेंट पारसीयों और मीडिया के ज़रिए गाँधी का सकारात्मक परिचय दिया.
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के मालिक, जर्मन यहूदी रोत्सचाइल्ड ने एक तीर से दो निशाने मार दिए. वे भारत में बढ़ती हिंसा को रोकने में कामयाब रहे. उस हिंसा के कारण ही ब्रिटेन ने 1911 में राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली बदलना पड़ा था.
वाइसराय चार्ल्स हार्डिंग ने 28 मई 1911 को ब्रिटेन से कहा, (जो कई हत्याओं के प्रयासों के बाद पूरी तरह से हिल गया था) - "मेरी राय में, बंगाल और पूर्वी बंगाल की स्थिति से कुछ भी बुरा नहीं हो सकता है। किसी भी प्रांत में व्यावहारिक रूप से कोई सरकार नहीं है ... राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली में स्थानांतरित करना और गांधी को दक्षिण अफ्रीका से भारत भेजना बेहतर है ."
रोत्सचाइल्ड चाहते थे कि भारतीय स्वतंत्रता की लड़ाई का बौस एक अहिंसक व्यक्ति हो. अच्छी तरह से योजनाबद्ध पहला विश्व युद्ध पास आ रहा था जिसका लक्ष्य था इज़राईल को बनाना.
वे चाहते थे की गाँधी लाखों हिंदुस्तानियों को ब्रिटिश सेना में भारती होने के लिए प्रोत्साहित करें.
2.43 लाख भारतीय सिपाही दूसरे विश्व युद्ध में ब्रिटेन के लिए मारे गए.
किसी भी अन्य जाति या मुल्क की तुलना में भारतीय सैनिकों की मृत्यु सबसे अधिक थी.
फिर भी उन्हें खच्चर और गधों में गिना जाता था.
पश्चिमी मोर्चे पर आत्मघाती इलाकों में बहादुर भारतीय सैनिकों का इस्तेमाल गिलिपोली की "घातक" लड़ाई में, सिनाई, फिलिस्तीन, मेसोपोटामिया अभियान, कुट की घेराबंदी और पूर्वी अफ्रीका में टंगा की लड़ाई में किया गया था।
जब गाँधी और कालेंबाख दक्षिण अफ्रीका के टोल्स्टाय फार्म में साथ रह रहे थे तब पूरे सत्याग्रह (अहिंसक प्रतिरोध) संघर्ष में कालेंबाख गांधी का प्रबंधन कर रहे थे..
1100 एकड़ जमीन पेड़ों,के साथ सभी गांधी को मुफ़्त में दिया गया था.
कहा जाता है की वो दोनो सिंपल प्यार में थे, जो 1914 तक दक्षिण अफ्रीका में चला था. यह सब गाँधी के दिमाग का विचार परिवर्तन करना और सूक्ष्म प्रबंधन करने के बारे में था।
बेवकूफ गांधी को एहसास नहीं हुआ कि दुनिया में कुछ भी मुफ़्त में नहीं मिलता! वह इस तरह के एक महंगे उपहार के चक्रवीह में फंस गए थे, जिस तरह हीरे की अंगूठी के लालच में लड़की लड़के के लिए अपनी टाँगें खोलती है.
गांधीजी द्वारा निर्मित प्रतिरोध का रूप अजीब था: सत्याग्रह। एक तरफ वह गोरों की अच्छी समझ के लिए धैर्यपूर्वक अपील करते, और दूसरी तरफ उनके उन कानूनों की अवमानना करते थे जो उन्हें बुरी लगती थी। वह इन कानूनों को तोड़ने के लिए दंड भुगतने के लिए तैयार थे, लेकिन हमलावर सफेद पुरुषों से नफरत करने से भी इनकार करते थे.
अँग्रेज़ों ने गोखले के ज़रिए गाँधी को भारत में लाया ताकि वो देशभक्त क्रांतिकारियों का मनोबल कम कर सके. गाँधी ने बंगाल जाकर वहाँ के देशभक्ति के उत्साह को ख़त्म कर दिया.
गाँधी ने अंग्रेजों के खिलाफ भारतीयों को उत्तेजित करने के आरोप में तिलक को अपमानित किया। कोई बेवकूफ़ भी समझेगा की गाँधी के इस रवैये से अँग्रेज़ बहुत खुश हो गए थे.
Templewood के विस्काउंट सर सैमुअल होर ने एक टिप्पणी की, "गांधी अंग्रेजों के सबसे अच्छे दोस्तों में से एक थे"।
थोड़ा मसले से भटकता हूँ: सभी नोबेल पुरस्कार विजेताओं में से 22% (185 नंबर) यहूदी रहे हैं, जो विश्व जनसंख्या का 0.192% हैं।
विरोधाभास यह है कि जब वे पश्चिमी विश्वविद्यालय के तकनीकी प्रवेश परीक्षा या गणित ओलंपियाड या आईक्यू परीक्षण में शेष दुनिया के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं, तो वे सबसे पीछे रह जाते हैं।
अर्थशास्त्र के 41% नोबेल पुरस्कार विजेता ज़ीयोनिस्ट यहूदी हैं। केवल वे गंदे-पैसे को समझते हैं, है ना?
150 करोड़ मुस्लिमों को सिर्फ 3 नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। हम उन मुसलमानों के बारे में बात नहीं करेंगे जिन्होंने जियोनिस्ट लाइन का पालन करके यहूदियों द्वारा साहित्य पुरस्कारों के साथ साथ संयुक्त शांति पुरस्कार प्राप्त किए।
140 करोड़ चीनी और 120 करोड़ भारतीय, जो इस दुनिया का 1/3 आबादी हैं, उनके पास नोबेल प्राइज़ पाने की काबिलियत नहीं है? फिर भी यह अजीब असंगतता है कि यदि आप किसी भी अमेरिकी विश्वविद्यालय में जाते हैं, तो कंप्यूटर साइंस और इलेक्ट्रॉनिक वर्ग (जिसके लिए दिमाग और प्रतिस्पर्धा की आवश्यकता होती है) में ज़्यादातर हिन्दुस्तानी और चीनी छात्र ही दिखेंगे.
यूरोप के 18 देशों में क़ानून है की अगर आप दूसरे विश्व युद्ध के 60 लाख मृतक यहूदियों की संख्या पर सवाल उठाएँगे तो आपको जेल की सज़ा हो जाएगी. आप पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की रेड भी पड़ सकती है.
अब वापस मुद्दे पर:
बघा जतिन, एक युवा बंगाली नेता ने, हथियारों और गोला बारूद से भरे जहाज को आयात करने के लिए एक बड़ी अंतर्राष्ट्रीय योजना बनाई थी. प्लान था की इसे उड़ीसा के तट पर पहुचाया जाएगा.
भारत से बघा जतिन की अगुवाई में गुप्त अभियान अमरीका (हर दयाल / एमएन रॉय) से इंग्लैंड (श्यामजी कृष्ण वर्मा) से जर्मनी (चंपकारामन पिल्लई) से पेरिस (logistics के लिए मैडम कामा) से सिंगापुर और जापान (रश बिहारी बोस / नायर सैन) तक फैला था.
नीचे--हड़ दयाल (स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर - ने अपना काम छोड़ दिया)। अप्रैल 1914 में, रोत्सचाइल्ड के आदेश पर, उन्हें अराजकतावादी साहित्य फैलाने के लिए अमरीकी सरकार ने गिरफ्तार कर लिया और वह जमानत के बाद जर्मनी चला गया. वह बाद में स्वीडन में एक दशक तक रहा.
आपको याद रखना चाहिए, की 1857 में जब पूरा भारत ब्रिटिश शासन के खिलाफ खड़ा हुआ, तो सिखों ने स्वतंत्रता के युद्ध को कुचल दिया - जिसे सिपाही विद्रोह भी कहा जाता है.
बीआर अम्बेडकर के दादा के नेतृत्व में महाराष्ट्र के दलित जाति के महार रेजिमेंट से सिखों को पर्याप्त मदद मिली। बीआर अम्बेडकर गांधी के बाद रोत्सचाइल्ड के नंबर 2 मित्र थे, क्योंकि हिंदू धर्म को जाती के आधार पर टुकड़े करने में उन्होने मदद की थी।
पिछली जाति के दलितों को गुस्सा था कि उच्च जाति के हिंदू एक ही कप से नहीं पीएंगे - फिर भी उन्हें परवाह नहीं थी कि एक सफेद व्यक्ति उन्हें अपने कमरे में घुसने की अनुमति नहीं देगा।
बीआर अम्बेडकर ने कई बार लिखा था कि ब्रिटिश शासन भारतीय शासन से बेहतर है। उन्होंने शेष भारत के साथ स्वतंत्रता के लिए लड़ने में एक मिनट नहीं बिताया। वह रोत्सचाइल्ड के स्वामित्व वाले अफीम वित्त पोषित कोलंबिया विश्वविद्यालय में शिक्षित थे।
बाद में रश बिहारी बोस द्वारा निवेदन किए जाने पर सुभाष चंद्र बोस ने भी बघा जतिन जैसा करने का प्रयास किया.
आज बघा जतिन और रश बिहारी बोस के बारे में कोई बात नहीं करता।
गांधी और नेहरू ने इस जोड़ी को भुला दिया था, वैसे ही जैसे जिओनीस्टों ने इतिहास से निकोला टेस्ला को मिटा दिया, क्योंकि उसने स्केलर वेव होविट्टर या ईएमपी के रहस्य नहीं बताए. (विश्व युद्ध 3 स्केलर हथियार से लड़ा जाएगा नाकी परमाणु बम से)।
10 जुलाई, 1909 को रोत्सचाइल्ड द्वारा गांधी को दक्षिण अफ्रीका से लंदन भेजा गया था (हिदायत के लिए) और वो 13 नवंबर, 1909 तक वहां थे.
2 जुलाई, 1909 को मदनलाल ढिंगरा ने सर कर्ज़न वाइली की हत्या कर दी थी।
गांधी को टॉल्स्टॉय के 'हिंदू को चिट्ठी' पढ़ने के लिए कहा गया, जो स्पष्ट रूप से हिंसक दृष्टिकोण की वकालत करने वाले एक भारतीय तारक नाथ दास के पत्र के जवाब में लिखा गया था।
टॉल्स्टॉय के पत्र ने समझाया क्यों भारतीयों को मुक्त होने के लिए अहिंसक प्रतिरोध एकमात्र समाधान है.
गांधी को ऊँचा महसूस कराया गया था और टोलस्टॉय (1 अक्टूबर, 1909) को लिखने के लिए प्रोत्साहित किया गया , जिसमें उन्हें हिंदुओं को अहिंसक ब्लूप्रिंट के पत्र की 20000 कॉपीस अनुवाद करके बाँटने की अनुमति मांगनी थी.
गांधी ने निष्कर्ष निकाला: 'सच्ची आजादी केवल ऐसे जीवन में ही मिलनी है। यही वह स्वतंत्रता है जिसे हम हासिल करना चाहते हैं। अगर भारत ऐसी आजादी हासिल कर ले, तो वह वास्तव में स्वराज होगा। '
गांधी ने रेवरेंट डोकेउनके पहले जीवनी लेखक को (1909) बताया: 'यह बाइबल का New Testament था जिसने वास्तव में मुझे निष्क्रिय प्रतिरोध के अधिकार और मूल्यों के प्रति जागृत किया. जब माउंट पर मैने येशू का लेख पड़ा- "बुराई का विरोध न करें -" तब मैं बहुत खुश हुआ और मेरी राय की पुष्टि हुई।
अरे बाप रे..
जहाज से लंदन से डरबन की वापसी यात्रा पर (13 से 22 नवंबर, 1909), गांधी ने टॉल्स्टॉय के 'हिंदू को चिट्ठी [14 दिसंबर, 1908 को दिनांकित] का अनुवाद गुजराती में किया। उन्होंने "PREFACE TO LEO TOLSTOY’S “LETTER TO A HINDOO” [गुजराती अनुवाद]।
कुछ पागलों वाले उद्धरण यह हैं: 'असली साहस और मानवता में लात का जवाब लात से नहीं दिया जाता. यह टॉल्स्टॉय के शिक्षण का मूल है।
गांधी ने लिखा - टॉल्स्टॉय मुझे एक साधारण जवाब देता है. हम अपने खुद के गुलाम हैं, न कि अंग्रेजों के। '(क्या मजाक है!)' उनके शिक्षण का केंद्रीय सिद्धांत मेरे लिए पूरी तरह से स्वीकार्य है, और यह नीचे दिए गए पत्र में निर्धारित है। '
गाँधी की टेड़ी सोच नीचे देखो--हे भगवान!
'एक व्यावसायिक शिपिंग कंपनी ने भारतीय राष्ट्र को गुलाम बना दिया जिसमें 30 करोड़ लोग हैं- - तीस हजार अंग्रेजी लोग इसमे शामिल थे, वो कोई ऐतलीट नहीं थे बल्कि कमजोर और बुरे दिखने वाले थे- उन्होने 30 करोड़ सशक्त, चालाक, मजबूत, स्वतंत्रता से प्यार करने वाले लोगों को गुलाम बना दिया? क्या आंकड़े यह स्पष्ट नहीं करते कि अँग्रेज़ नहीं बल्कि भारतीयों ने खुद को गुलाम बना दिया है?
टॉल्स्टॉय ने गांधी को लिखा (8 मई, 1910 में) "निष्क्रिय प्रतिरोध-न केवल भारत के लिए बल्कि पूरी मानवता के लिए सबसे बड़ा महत्व है। '
9 सितंबर, 1928 को टॉल्स्टॉय के जन्म शताब्दी पर, गांधी ने एक यादगार भाषण दिया, जिसमें निम्नलिखित मोती शामिल थे: जब मैं इंग्लैंड गया, तो मैं हिंसा का मतदाता था - -। तोल्स्तोय की पुस्तक पढ़ने के बाद, मुझमे अहिंसा में विश्वास की कमी गायब हो गई। टॉल्स्टॉय अपनी उम्र में अहिंसा का एक महान वकील था। - - - - भारत या अन्य जगहों में से कोई भी नहीं है जिसने इसे ईमानदारी से पालन करने की कोशिश की है। मैं चाहता हूं कि हर कोई टॉल्स्टॉय के जीवन से ये चीजें सीखें - आत्म-संयम. हमें कभी भी 'सच्चाई का पीछा नहीं छोड़ना चाहिए' जिसके लिए अहिंसा का एकमात्र सही मार्ग है, जिसे कहते हैं 'प्यार का महासागर'.
देखो मैने दुख की सीमा पार कर दी--उसके बाद तुम मज़ा करो-- हाहा.
उसके बाद उन्होंने अंग्रेजों से दूरी रखा, क्योंकि अब नेहरू की बारी थी, एडविना माउंटबेटन के माध्यम से ब्रेनवौश होने की.
लॉर्ड माउंटबेटन भारत का आखरी वाइसरॉय था. उसकी बीवी एड्वीना माउंटबेटन थी.
हरमन कालेंबाख गांधी के लिए वो थे, जो एड्वीना थी नेहरू के लिए. दोनों ही रोत्सचाइल्ड के गुलाम विंस्टन चर्चिल के खबरी थे. एडविना का रोत्सचाइल्ड खानदान से नाता था.
एक भारतीय जासूस (ब्रिटिश सैनिक) गद्दार किरपाल सिंह ने फरवरी 1915 में गदर षड्यंत्र के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दे दी. 21 फरवरी 1915 को आक्रमण दिवस निर्धारित किया गया था, दिनांक और स्थानों के ब्योरे को कृपाल सिंह के माध्यम से पंजाब सीआईडी को खबर मिल गयी.
घुसपैठ को देखते हुए, एक हताश रश बिहारी ने 19वीं को डी-डे लाया, लेकिन लापरवाही ने किर्पल सिंह को ब्रिटिश अधिकारियों को इस अग्रिम तारीख की रिपोर्ट करने में सफलता दिया. कृपाल सिंह को विद्रोहियों द्वारा पकड़ लिया गया, लेकिन वह सूसू के बहाने से बच के भाग निकला.
आक्रमण दिवस 21 फरवरी 1915 को था। बघा जतिन के तहत बंगाल cell अगले दिन हावड़ा स्टेशन में प्रवेश करने वाले पंजाब मेल का इंतेज़ार करेगा और तुरंत हमला करेगा.
बर्मा, सिंगापुर के भारतीय सिपाही उसी दिन विद्रोह करेंगे और हमला करेंगे। अंडमान सेलुलर द्वीप में कैद किए गए भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों को अंग्रेजों पर चलाने के लिए बंदूकें दी जाएँगी और फरार होने के लिए मदद दी जाएगी. एक नौसेना अधिकारी वॉन मुलर की अगुवाई में 100 जर्मन सैनिक हमलों का समन्वय करेंगे।
रश बेहारी बोस लाहौर से बच निकले और मई 1915 में जापान चले गए। गियानी प्रीतम सिंह, स्वामी सत्यनंद पुरी और अन्य नेता थाईलैंड भाग गए. जतिन और शेष बंगाल सेल भूमिगत हो गये.
10 फरवरी 1908 को, मीर आलम नामक एक पठान के नेतृत्व में मुसलमानों के एक समूह ने गांधी के घर में प्रवेश किया और उन्हें डंडे से बुरी तरह पीटा. उन्होंने उसे मारने की धमकी भी दी।
इस घटना के बाद गाँधी के दिमाग़ में कुछ हो गया. इसके बाद उन्होने कभी भी मुसलमानों या इस्लाम की बुराई नहीं की.
डॉ बीआर अम्बेडकर ने लिखा कि यह घटना गांधी के जीवन में एक बदलाव था और बाद में गांधी ने मुसलमानों द्वारा किए गए सबसे जघन्य अपराध को भी नज़रअंदाज़ करना शुरू कर दिया।
नीचे, मीर आलम द्वारा हमला होने के बाद की गाँधी की तस्वीर! उनकी बायीं आंख आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुई थी.
आजादी के दौरान, अविभाजित भारत में मुस्लिम जनसंख्या 23 प्रतिशत थी और 23 प्रतिशत मुसलमानों को 32 प्रतिशत भूमि क्षेत्र पाकिस्तान के रूप में मिला था।
गाँधी द्वारा मुसलमानों के लिए कही हुई कुछ बातें:-
"हिंदुओं को कभी भी मुसलमानों के खिलाफ नाराज नहीं होना चाहिए, भले ही वो हिंदुओं के अस्तित्व को ख़त्म करने के लिए अपना मन बना लें. अगर वो हम सभी को तलवार से मार डालें, तो हमें मौत बहादुरी से कबूल करनी चाहिए। ... पैदा होना और मृत्यु पाना हमारे नसीब में लिखा है, तो हम इसपर उदास क्यों हों? "(6 अप्रैल, 1947 को भाषण दिया गया था)
एक दूसरी जगह पर जब वह शरणार्थियों के एक समूह से बात कर रहे था, तो ये कहा, "यदि सभी पंजाबी बिना किसी(मुसलमान) की जान लिए अपनी जान गवाते हैं, तो पंजाब अमर हो जाएगा. खुद को इच्छुक अहिंसक बलिदान की तरह पेश करो" . (Collins and Lapierre, Freedom at Midnight, p-385)
विभाजन(पारटीशन) से ठीक पहले, बड़ी संख्या में मुसलमानों द्वारा हिंदू और सिख महिलाओं के साथ बलात्कार किया जा रहा था। गांधी ने उन्हें सलाह दी कि यदि एक मुस्लिम ने हिंदू या सिख महिला से बलात्कार करने की इच्छा व्यक्त की, तो उसे इनकार नहीं करना चाहिए बल्कि उसके साथ सहयोग करना चाहिए। स्त्री को तब मृतक की तरह अपने दांतों के बीच अपनी जीभ रखनी चाहिए. इस प्रकार बलात्कारी मुसलमान जल्द ही संतुष्ट हो जाएगा और जल्द ही वह उसे छोड़ देगा। (D Lapierre and L Collins, Freedom at Midnight, Vikas, 1997, p-479).
महात्मा अमर रहे!
क्या हम ऐसे इंसान को नोबेल पुरस्कार दिलवाने की सिफारिश करें?
अँग्रेज़ों को अब एहसास हो गया होगा कि चर्चिल हमेशा अपने राजा से इतना घमंड से क्यूँ बात करते थे, क्योंकि वह रोत्सचाइल्ड के खून का था, जिसने एंग्लैंड के वित्त को नियंत्रित किया और इस प्रकार इंग्लैंड की जीवन रेखा को नियंत्रित किया।
भारतीयों को एहसास होगा कि 1947 से पहले नाइटहुड प्राप्त किए सभी भारतीय स्वतंत्रता सेनानी नकली थे.
पाप से ज़्यादा सदाचार से डरना चाहिए, क्योंकि इसकी अतिरिक्तता विवेक(CONSCIENCE) के विनियमन के अधीन नहीं है। ध्यान रहे, दोनों विश्व युद्ध में गाँधी ने भारतीयों से कहा की अँग्रेज़ों के लिए जर्मनों को मारो. पर वो नहीं चाहते थे की भारतीय क्रूर अँग्रेज़ों की जान लें.
बजी घंटी?
गांधी की कुंडली स्पष्ट रूप से उनके कुटिल, चालू, संदिग्ध, डबल एजेंट प्रकृति, दिखाती है - कर्क में चाँद के साथ राहु ये स्पष्ट रूप से इंगित करता है। अधिकांश नकली आधुनिक ज्योतिषियों ने गांधी के कुंडली के बारे में ग़लत लिखा है, उनमें सच सामने लाने की हिम्मत नहीं है.
चितपावन का अर्थ है "समुद्र किनारे पर पड़ा हुआ"।
महाराष्ट्र के चितपावन ब्राह्मण केरल के नीली आंखों वाले यहूदियों का एक गुच्छा था, जिन्हें रोत्सचाइल्ड के स्वामित्व वाले (ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी) जहाज ने डाल किया था और तट पर उतारने के लिए तैयार किया था।
जाहिर है कि उनका जहाज कोंकण के कोलाबा जिले में मानसून में डूब गया।
चितपावन ब्राह्मण, जो 17 वीं शताब्दी से पहले अज्ञात थे, उनके वाई गुणसूत्र(y-chromosome-पुरुष वाला chromosome) में यहूदी धर्मगुरू वाले DNA के लिए अद्वितीय कोहेनीम हैप्लोटाइप शामिल है।
बेने इज़राइल यहूदियों का दावा है कि वे भारतीय चितपावन ब्राह्मणों के साथ एक आम उत्पत्ति साझा करते हैं।
बीआर अम्बेडकर की पत्नी एक चितपावन ब्राह्मण थीं।
गांधी के गुरु गोपाल कृष्ण गोखले एक चितपावन थे।
गांधी का हत्यारा चितपावन था।
गोखले के गुरु महादेव गोविंद रानडे, 'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस' के संस्थापक सदस्य, भी चितपावन थे।
रोत्सचाइल्ड के नकली पश्चिमी इतिहासकारों ने हर जगह बकवास लिखा था जहां स्कंद पुराण के सह्याद्रीखंड में भगवान परशुराम की लंबी कहानी में चितपावन ब्राह्मणों के बारे में समझाया गया था।
कुछ समझा?
गांधी को ईसाई मिशनरियों और जनरल क्रिस्टियान स्मट्स द्वारा आक्रामक रूप से प्रचारित किया गया था, जो गांधी के साथ टकराव पर हर बार झुकते थे और सभी भारतीय कूलियों को गांधी के ज़रिए उनका अहंकार बड़ाते थे.
पहले गांधी के बारे में किसी ने नहीं सुना था, न तो दक्षिण अफ्रीका में और न ही भारत में। जनरल स्मट्स से कई बार माँगे पूरी करवाने से गाँधी की प्रसिद्धता व्यापक हो गई। यह सब एक बड़ा धोखा था।
जब गांधी भारत आए, तो ब्रिटिश सरकार ने उनके सभी आंदोलनों के सामने झुकना जारी रखा और उन्होंने जो मांग की उसे स्वीकार कर लिया। एक बुद्धू को भी समझेगा की ये चाँस नहीं हो सकता. 3
धीरे-धीरे, भारतीयों ने गांधी का समर्थन करना शुरू किया क्योंकि वो एक "उँचे नेता जो काम पूरा करवा सकते थे".
जनरल हान क्रिस्टियान स्मट्स रोत्सचाइल्ड का एजेंट था क्योंकि वह प्रथम और द्वितीय विश्व युद्धों को समाप्त करने वाली शांति संधि में से प्रत्येक पर हस्ताक्षर करने वाले एकमात्र व्यक्ति था, ये युद्ध इजरायल राज्य को बनाने के एकमात्र इरादे से लड़े गए थे.
जनरल स्मट्स 1941 में ब्रिटिश सेना के फील्ड मार्शल थे, और विंस्टन चर्चिल के इंपीरियल वॉर कैबिनेट में भी सेवा दी.
आज एक इजरायली शहर का नाम जनरल हान स्मट्स के नाम पर रखा गया है, ये आदमी रोत्सचाइल्ड और लॉर्ड बाल्फुर का करीबी दोस्त था.
गाँधी द्वारा बनाई गई हान क्रिस्चियन स्मट्स के लिए चप्पल.
दक्षिण अफ्रीका में गांधी को अंग्रेजों द्वारा 3 पदक से सम्मानित किया गया था। ब्रिटिश राज के हितों की प्रगति में विशिष्ट सेवा प्रदान करने के लिए 1915 में ब्रिटिश राजा द्वारा सम्मानित पदक कैसर-ए-हिंद पदक सबसे उल्लेखनीय था।
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यह नीचे अंग्रेजी पोस्ट का हिंदी में अनुवाद है:
कप्तान अजीत वाडकायिल
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